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RAPID FIRE करेंट अफेयर्स (16 दिसंबर, 2019)

  • 16 Dec 2019
  • 8 min read

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस

पूरे देश में 14 दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्‍य ऊर्जा दक्षता एवं संरक्षण में भारत की उपलब्धि‍यों को दर्शाना और जलवायु परिवर्तन में कमी लाकर राष्‍ट्र के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करना है। ऊर्जा दक्षता एवं संरक्षण के महत्त्व के बारे में आम जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिये ऊर्जा दक्षता ब्‍यूरो ने 9 से 14 दिसंबर, 2019 तक ‘राष्‍ट्रीय ऊर्जा संरक्षण सप्‍ताह’ मनाया। भारत में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम वर्ष 2001 में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा निष्पादित किया गया था, जो ऊर्जा का उपयोग कम करने के लिये नीतियों और रणनीतियों के विकास में मदद करता है। ऊर्जा दक्षता ब्‍यूरो का मिशन ऐसी नीतियाँ एवं रणनीतियाँ विकसित करने में सहायता प्रदान करना है, जिनसे इस व्‍यापक ऊर्जा मांग में कमी करने में मदद मिलेगी। यह ऊर्जा दक्षता उपायों को बड़े पैमाने पर अपनाने के लिये आवश्‍यक प्रोत्‍साहन दिये जाने से ही संभव हो सकता है।


44 हज़ार वर्ष पुराना भित्तिचित्र

इंडोनेशिया के द्वीप में दो साल पहले खोजी गई सुलावेसी की एक गुफा में 44 हज़ार साल पुराना एक भित्तिचित्र मिला है। शोधकर्त्ताओं का दावा है, 4.5 मीटर चौड़ा यह दुर्लभ भित्तिचित्र दुनिया के इतिहास में सबसे पुराना है। इस कलाकृति में गुफा की दीवार पर गहरे लाल रंग से एक सींग वाला जानवर बनाया गया है, जिसका एक शिकारी पीछा कर रहा है।

Old Graffiti

शोधकर्त्ताओं का मानना है कि यूरोप की गुफाओं में भी चारकोल से बने भित्तिचित्र मिले हैं, लेकिन इंडोनेशिया में पाई गईं रॉक पेंटिंग यूरोप के भित्तिचित्रों से हज़ारों साल पहले की है। दावा किया जाता है कि यूरोप की गुफाओं में पाई गईं रॉक पेंटिंग्स को 14 हज़ार से लेकर 21 हज़ार साल के बीच की होने का दावा किया जाता है। अब तक इन्हें दुनिया की सबसे पुरानी कलाकृति का दर्जा हासिल था। ये प्रागैतिहासिक काल के भित्तिचित्र हैं। इससे पहले इंडोनेशिया के ही बोर्नियो द्वीप में 40 हज़ार साल पुराने एक और चित्र की खोज हुई थी। इन भित्तिचित्रों से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि हज़ारो साल पहले भी कलाकारी कितनी उन्नत थी।


ज़मीन पर सबसे गहराई वाली जगह की खोज

शोधकर्त्ताओं ने अंटार्कटिका का नवीनतम भौगोलिक मानचित्र जारी किया है। इसे बेडमशीन परियोजना द्वारा विकसित किया गया है। बेडमशीन अंटार्कटिका की बर्फ की चादर का नया मानचित्र है, जिसे सबसे ज़्यादा दुरुस्त माना जाता है। शोधकर्त्ताओं ने यह जगह अंटार्कटिका के डेनमान ग्लेशियर में खोजी है जो समुद्रतल से 3500 मीटर नीचे है। यह खोज अंटार्कटिका का नवीनतम भौगोलिक मानचित्र बनाने के बाद हुई। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में UCI की एक टीम के शोधकर्त्ताओं ने अंटार्कटिका की बर्फ की चादर के नीचे की भूमि की आकृति का अभी तक का सबसे सटीक चित्र बनाया है। नए निष्कर्षों से शोधकर्त्ताओं को पर्यावरण बदलावों के प्रभावों का अनुमान लगाने में मदद मिलेगी। हालाँकि ज़मीन पर दुनिया की सबसे गहरी घाटी पूर्वी अंटार्कटिका में डेमन ग्लेशियर के नीचे पाई गई थी। पिछले अध्ययनों के अनुसार घाटी को उथला माना जाता था, लेकिन नए अध्ययन ने इसकी वास्तविक गहराई को उजागर किया है। वैज्ञानिकों ने छिपी हुई घाटी की गहराई का पता लगाने के लिये उसमें भरी हुई बर्फ की मात्रा और लॉ ऑफ कंज़र्वेशन का सहारा लिया है। वैसे दुनिया की सबसे गहरी ज्ञात जगह प्रशांत महासागर में 'मारियाना ट्रेंच' है।


लिसिप्रिया कंगुजम

केवल आठ साल की उम्र में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली भारतीय लड़की लिसिप्रिया कंगुजम ने अपनी चिंताओं से दुनिया को झकझोर दिया है। मणिपुर की इस नन्ही पर्यावरण कार्यकर्त्ता ने स्पेन की राजधानी मैड्रिड में CoP25 जलवायु शिखर सम्मेलन में वैश्विक नेताओं से अपनी धरती और उन जैसे मासूमों के भविष्य को बचाने के लिये तुरंत कदम उठाने का आह्वान किया। इतनी छोटी उम्र में इतने अहम मसले पर बात रखने के कारण लिसिप्रिया स्पेन के अखबारों की सुर्खियाँ बन गईं। स्पेनिश अखबारों ने उन्हें भारतीय ग्रेटा थनबर्ग बताते हुए उनकी जमकर तारीफ की। लिसिप्रिया अब तक 21 देशों का दौरा कर चुकी हैं और जलवायु परिवर्तन मसले पर विविध सम्मेलनों में अपनी बात रख चुकी हैं। वह दुनिया में सबसे कम उम्र की पर्यावरण कार्यकर्त्ता बताई जा रही हैं। केवल छह साल की उम्र में लिसिप्रिया को वर्ष 2018 में मंगोलिया में आपदा मसले पर हुए मंत्री स्तरीय शिखर सम्मेलन में बोलने का अवसर मिला था। मंगोलिया से लौटने के बाद लिसिप्रिया ने अपने पिता की मदद से 'द चाइल्ड मूवमेंट' नामक संगठन बनाया। वह इस संगठन के ज़रिये वैश्विक नेताओं से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कदम उठाने की अपील करती हैं।


भारत का सिक्सर किंग

भारतीय टीम के ओपनर रोहित शर्मा ने छक्कों के मामले में इतिहास रच दिया है। वेस्टइंडीज़ के खिलाफ मुंबई के मैदान पर दूसरे टी-20 इंटरनेशनल मैच में अपनी पारी का पहला छक्का जड़ते ही रोहित शर्मा ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपने कॅरियर का 400वाँ छक्का जड़ा। ऐसा करने वाले वे भारत के पहले खिलाड़ी बन गए हैं। यह उनके टी-20 अंतर्राष्ट्रीय कॅरियर का 116वाँ छक्का था। वर्ल्ड क्रिकेट में दाएँ हाथ के बल्लेबाज़ रोहित शर्मा से पहले पाकिस्तान के दिग्गज ऑलराउंडर शाहिद अफरीदी (476 छक्के) और वेस्टइंडीज़ के क्रिस गेल (534 छक्के) ने यह उपलब्धि अपने नाम की थी। रोहित शर्मा से पहले महेंद्र सिंह धौनी (359 छक्के) इस उपलब्धि को अपने नाम कर सकते थे, लेकिन वह फिलहाल अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से दूर हैं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में रोहित शर्मा ने महज 360वीं पारी में यह 400वाँ छक्का लगाया है, जबकि शाहिद अफरीदी ने 437 पारियों में 400 छक्के लगाए थे। हालाँकि उस दौरान टी-20 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट बहुत कम हुआ करता था।

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