Rapid Fire करेंट अफेयर्स (26 September) | 26 Sep 2019
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें अधिवेशन से इतर प्रशांत द्वीप राष्ट्रों के साथ बैठक की। उन्होंने Pacific Small Island Developing States (PSIDS) में प्रभावशाली विकास परिेयाजनाओं के लिये एक करोड़ 20 लाख डॉलर के अनुदान की घोषणा की। इससे इस क्षेत्र के प्रत्येक देश को लगभग 10 लाख डॉलर मिलेंगे ताकि वह अपनी पसंद की परियोजना में निवेश कर सके। इसके अतिरिक्त प्रत्येक देश की ज़रूरत के लिये 15 करोड़ डॉलर की रियायती ऋण सुविधा की भी घोषणा की गई। इसका लाभ PSIDS राष्ट्र सौर और नवीकरणीय ऊर्जा तथा जलवायु परिवर्तन संबंधी परियोजनाओं में निवेश के लिये कर सकते हैं। यह पहला अवसर था जब प्रधानमंत्री ने इन देशों के नेताओं से एक साथ मुलाकात की। इस बैठक में फिजी, किरिबाती, मार्शल द्वीप समूह, माइक्रोनेशिया, नौरु, पलाउ, पापुआ न्यू गिनी, समोआ, सोलोमन द्वीप समूह, टोंगा, टुवालू और वनुआतू के राष्ट्राध्यक्षों ने हिस्सा लिया। बेहद छोटे ये सभी देश मिलकर प्रशांत द्वीप विकासशील देशों के समूह का गठन करते हैं।
- रोहिंग्या शरणार्थियों के प्रत्यावर्तन की देखरेख के लिये बांग्लादेश, म्याँमार और चीन एक त्रिपक्षीय संयुक्त कार्य प्रणाली बनाने पर सहमत हो गए हैं। न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन से इतर बांग्लादेश के विदेशमंत्री डॉ. ए.के. अब्दुल मोमिन ने चीन और म्याँमार के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक के बाद यह घोषणा की। यह प्रस्ताव चीन ने रखा था, जिस पर म्याँमार और बांग्लादेश ने अपनी सहमति दी। इस त्रिपक्षीय समूह की पहली बैठक अगले महीने होगी। विदित हो कि बांग्लादेश और म्याँमार ने नवंबर 2017 में दो वर्ष के भीतर रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी को लेकर दो समझौतों पर हस्ताक्षर किये थे। लेकिन इन शरणार्थियों के वापस नहीं जाने के कारण ये समझौते विफल हो गए। रोहिंग्याओं का कहना था कि वे म्याँमार में सुरक्षा और नागरिकता की गारंटी मिले बिना वहाँ नहीं जाएंगे। शरणार्थियों के लिये संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त के अनुसार बांग्लादेश में 9 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी हैं, जिनमें से साढ़े 7 शरणार्थी अगस्त 2017 में म्याँमार के रखाइन प्रांत में हिंसा और सैन्य कार्रवाई के कारण बांग्लादेश चले गए थे। दूसरी ओर बांग्लादेश ने अपने यहांँ 11 लाख रोहिंग्या शरणार्थियों के होने का दावा किया है। विदित हो कि रखाइन म्याँमार के उत्तर-पश्चिमी छोर पर बांग्लादेश की सीमा पर बसा एक प्रांत है, जो 36 हजार 762 वर्ग किलोमीटर में फैला है, सितवे इसकी राजधानी है। म्याँमार सरकार द्वारा वर्ष 2014 की जनगणना रिपोर्ट में राज्य की करीब 10 लाख की मुस्लिम आबादी को जनगणना में शामिल नहीं किया गया था।
- भारत सरकार देश की एकता और अखंडता में योगदान देने के लिये सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम पर सर्वोच्च नागरिक सम्मान पुरस्कार की शुरुआत करने जा रही है। यह पुरस्कार राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बढ़ावा देने एवं उल्लेखनीय तथा प्रेरणादायक योगदान के लिये दिया जाएगा। 31 अक्तूबर को सरदार पटेल की जयंती राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर इस पुरस्कार की घोषणा की जाएगी। यह दिवस सरदार वल्लभ भाई पटेल के राष्ट्र के प्रति समर्पण को याद रखने के लिये मनाया जाता है। वर्ष 2014 में पहली बार राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया गया था। भारत के राजनीतिक एकीकरण के लिये सरदार वल्लभ भाई पटेल के योगदान को चिरस्थायी बनाए रखने के उद्देश्य के साथ अलग-अलग समुदाय के लोगों के बीच एकता की भावना को बढ़ावा देना और सांस्कृतिक समानता लाना इस दिवस का उद्देश्य है।
- सरकार ने प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद का पुनर्गठन किया है। इस परिषद का कार्यकाल दो वर्ष का होगा और 26 सितंबर से प्रभावी होगा। डॉक्टर बिबेक देबराय प्रधानमंत्री की पुनर्गठित आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष और रतन पी. वाटल सदस्य सचिव बने रहेंगे। इनके अलावा डॉक्टर आशिमा गोयल नवगठित समिति की अंशकालिक सदस्य बनी रहेंगी, जबकि डॉक्टर साजिद चिनॉय को दूसरा अंशकालिक सदस्य बनाया गया है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद भारत में प्रधानमंत्री को आर्थिक मामलों पर सलाह देने वाली समिति है। इसमें एक अध्यक्ष तथा चार सदस्य होते हैं।
- अरुणाचल प्रदेश से भारतीय सेना में जाने वाली मेजर पोनुंग डोमिंग अपने प्रदेश से लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर पदोन्नत होने वाली पहली महिला सेना अधिकारी बन गई हैं। पोनुंग डोमिंग पूर्वी सियांग जिले के पासीघाट के जीटीसी की रहने वाली हैं। वर्ष 2014 में उन्होंने डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में यूनाइटेड नेशन पीस कीपिंग मिशन में भी हिस्सा लिया। विदित हो कि इसी वर्ष मार्च में रक्षा मंत्रालय ने महिला अधिकारियों को भारतीय सेना की उन सभी 10 शाखाओं में स्थायी कमीशन देने की बात कही थी, जहाँ उन्हें शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) में शामिल किया जाता था। अभी भी सेना में महिला अफसरों को स्थायी कमीशन दिया जाता है, लेकिन वह कुछ गैर-युद्धक शाखाओं तक ही सीमित है।