Rapid Fire करेंट अफेयर्स (18 September) | 18 Sep 2019
- सर्वे ऑफ इंडिया (एसओआई) पहली बार ड्रोन की मदद से देश का डिजिटल नक्शा बना रहा है। विज्ञान और तकनीकी विभाग के सहयोग से यह काम दो साल में पूरा होगा। इसके लिये तीन डिजिटल केंद्र बनाए गए हैं। यहाँ से पूरे देश का भौगोलिक डिजिटल डेटा तैयार होगा। सैटेलाइट से नियंत्रित होने वाले जीपीएस सिस्टम की अपेक्षा यह डिजिटल नक्शा ज्यादा सटीक और स्पष्ट होगा। लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऐसे स्थानों की मैपिंग नहीं की जाएगी, जिन्हें संवेदनशील माना जाता है। महाराष्ट्र, हरियाणा और कर्नाटक से इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हो गई है। इससे ज़मीन संबंधी जानकारियाँ और ठिकाने की पता आसानी से चल सकेगा। यह नक्शा 10 सेंटीमीटर तक की सटीक पहचान प्रदान करेगा। सर्वे ऑफ इंडिया के पास अभी 2500 से ज्यादा ग्राउंड कंट्रोल पॉइंट्स हैं और इसी आधार पर मैपिंग की जाती रही है। यह ग्राउंड कंट्रोल पॉइंट्स देश के हर 30 से 40 किमी. के दायरे में समान रूप से बाँटे गए हैं। नई मैंपिंग के लिये वर्चुअल CORS सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है। CORS यानी Continuously Operating Reference Stations अर्थात् सतत संचालन संदर्भ केंद्र। इसके नेटवर्क का उपयोग करते हुए अब जो नक्शे बनाए जा रहे हैं, उनसे तत्काल 3-डी जानकारी हासिल की जा सकती है। नई तकनीक की मदद से विभाग निर्धारित स्केल पर ही डिजिटल नक्शा उपलब्ध कराएगा। अभी जो नक्शा मौजूद है उसे ब्रिटिश सर्वेयर कर्नल सर जॉर्ज एवरेस्ट ने 1 मई, 1830 को बनाया था। 189 साल पुराने इस सटीक नक्शे के प्रकाशन के बाद इसे नए सिरे से बनाने के लिये सरकार ने कई प्रोजेक्ट शुरू किये थे। वर्ष 2017 में डाक विभाग ने मैप माई इंडिया के साथ जुड़कर एक पायलट डिजिटल प्रोजेक्ट शुरू किया था। इसका नाम ई-लोकेशंस था। इस डिजिटल मैपिंग प्रोग्राम का उद्देश्य लोगों के पते की डिजिटल मैपिंग करना था, जिससे भारत की डाक सेवा ज्यादा सटीक हो और रियल एस्टेट के बारे में पारदर्शिता आए। नए सर्वे में सभी घरों की जियो मैपिंग होगी। वास्तविक स्थान को नक्शे पर चिह्नित किया जाएगा। इससे संपत्तियों के टैक्स में सामने आने वाली त्रुटियाँ खत्म होंगी। टैक्स वसूली बढ़ने से नगर निगम और पालिकाओं को आर्थिक मज़बूती मिलेगी। बाढ़ के बाद भी खाली प्लॉट की आसानी के साथ मैपिंग की जा सकेगी। इससे लोगों को राहत मिलेगी।
- भारत सरकार आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) सदस्य देशों के ऐसे स्टूडेंट्स को फेलोशिप देगी जो IIT से Ph.D. कर रहे हैं। 16 सितंबर को इस फेलोशिप कार्यक्रम की शुरुआत की गई। भारत सरकार इस कार्यक्रम के ज़रिये आसियान के सदस्य देशों के भारत में IIT में पढ़ने वाले 1000 स्टूडेंट्स को फेलोशिप प्रदान करेगी। गौरतलब है कि वर्ष 2018 में आसियान-भारत संबंधों के 25 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सदस्य देशों के स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप देने की घोषणा की थी। इसके साथ ही आसियान हाइवे प्रोफेशनल्स के लिये इंडियन अकेडमी ऑफ हाइवे इंजीनियर्स में ट्रेनिंग कोर्स दिये जाने का भी प्रस्ताव दिया गया था। ज्ञातव्य है कि आसियान की स्थापना 8 अगस्त, 1967 को बैंकॉक, थाइलैंड में हुई थी। इस संगठन के दस स्थायी सदस्य हैं, जिनमें ब्रुनेई, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम शामिल हैं।
- राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहाँ बिना मांगे सूचनाएँ देने का प्रावधान किया गया है। अब यह अधिकारियों की इच्छा पर निर्भर नहीं होगा कि RTI में कौन सी सूचना देनी है और कौन सी छिपानी है। प्रदेश के सरकारी विभागों में पारदर्शिता और जिम्मेदारी बढ़ाने के लिये जन सूचना पोर्टल 2019 लॉन्च किया गया है। इस पोर्टल के माध्यम से प्रारंभ में आम जनता से जुड़े 13 सरकारी विभागों की 23 योजनाओं की जानकारी अब एक ही क्लिक पर मिल सकेगी। धीरे-धीरे अन्य विभागों की योजनाओं को जोड़ा जाएगा। इस पोर्टल की शुरुआत होने से सरकार के कार्यों में पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित होगी तथा आम लोगों को एक ही जगह पर सूचनाएँ अपने आप उपलब्ध हो जाएंगी। लोगों को किसी तरह की जानकारी लेने के लिये RTI लगाने की आवश्यक्ता नहीं होगी। आरटीआई एक्ट के तहत इस तरह का पोर्टल बनाने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है। राजस्थान में इस पोर्टल के अलावा सरकारी योजनाओं की जानकारी आमजन तक पहुँचाने के लिये जन सूचना पोर्टल मोबाइल एप भी विकसित किया जा रहा है। जो अधिकारियों को ही सूचना ऑनलाइन उपलब्ध कराने के लिये बाध्य करेगी। इस पोर्टल से आम जनता से जुड़े जिन 13 विभागों को जोड़ा गया है उनमें ऊर्जा, शिक्षा, चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग, सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग, जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, ग्रामीण विकास व पंचायती राज विभाग, श्रम व रोज़गार विभाग, खनन विभाग, राजस्व विभाग, खाद्य व नागरिक आपूर्ति विभाग, सहकारिता विभाग, ऊर्जा विभाग, आयोजना, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग व प्रशासनिक सुधार विभाग शामिल हैं। पोर्टल पर मनरेगा, ग्रामीण क्षेत्रों में खुले में शौचमुक्त लाभार्थियों, पंचायतीराज संस्थाओं के विकास कार्य, मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा व जाँच योजना, आयुष्मान भारत, स्वास्थ्य बीमा योजना के लाभार्थियों की जानकारी उपलब्ध होगी। इसके साथ ही खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थियों की जानकारी, उचित मूल्य की दुकानों की जानकारी, राशनकार्ड धारकों की जानकारी, किसान कर्ज़ माफी, वन अधिकार अधिनियम आदि के बारे में सूचनाएँ उपलब्ध होंगी।