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Rapid Fire करेंट अफेयर्स (14 September)

  • 14 Sep 2019
  • 9 min read
  • 14 सितंबर का दिन देशभर में हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया। हालाँकि हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों को आज़ादी के बाद भारत की भाषा चुना गया और संविधान सभा ने देवनागरी लिपि वाली हिंदी के साथ ही अंग्रेज़ी को भी आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया, लेकिन वर्ष 1949 में 14 सितंबर के दिन संविधान सभा ने हिंदी को ही भारत की राजभाषा घोषित किया। इस निर्णय के बाद हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के आग्रह पर वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया। हिंदी विश्व में सबसे अधिक बोली जाने वाली पाँच भाषाओं में से एक है। विदित हो कि हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है।
  • भारत और 10 सदस्यीय दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों का संगठन आसियान मुक्त व्यापार समझौते की समीक्षा करने पर सहमत हो गए हैं। इस समझौते पर वर्ष 2009 में हस्ताक्षर किये गए थे। समीक्षा का उद्देश्य समझौते को कारोबारियों के अधिक अनुकूल तथा आर्थिक रिश्तों को और मज़बूत बनाना है। दोनों पक्षों ने इसके लिये संयुक्त समिति गठित करने का भी फैसला किया है। आसियान के आर्थिक मामलों के मंत्रियों तथा भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में बैंकॉक में हुई बैठक के दौरान इस पर सहमति जताई। दोनों पक्षों की यह बैठक 16वें एईएम-भारत (आसियान-भारत आर्थिक मंत्री) विचार-विमर्श के लिये हुई। दोनों पक्षों ने आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते को और अनुकूल, सरल तथा कंपनियों के लिये सुविधाजनक बनाने पर ज़ोर दिया। समीक्षा के ब्योरे पर काम करने की ज़िम्मेदारी अधिकारियों को दी और उनसे अगली मंत्रिस्तरीय बैठक में रिपोर्ट देने को कहा। दोनों पक्षों ने मुक्त व्यापार समझौते के जरिये द्विपक्षीय व्यापार और बढ़ाने तथा वित्तीय प्रौद्योगिकी, संपर्क, स्टार्टअप और नवप्रवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को लेकर आसियान-भारत व्यापार परिषद की सिफारिशों पर गौर किया। भारत-आसियान के बीच वस्तु व्यापार समझौता जनवरी 2010 में अमल में आया। आसियान के 10 सदस्य देश- ब्रुनेई, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलिपींस, लाओस और वियतनाम हैं। दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2018 में बढ़कर 80.8 अरब डॉलर पहुँच गया जो वर्ष 2017 में 73.6 अरब डॉलर था।
  • राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद तीन देशों- आइसलैंड, स्विट्ज़रलैंड और स्‍लोवेनिया की यात्रा के दूसरे चरण में स्विट्ज़रलैंड पहुँचे। उन्होंने स्विट्ज़रलैंड में वहाँ के राष्‍ट्रपति और संघीय परिषद के सदस्‍यों से मुलाकात की। इन उच्चस्तरीय बैठकों में कश्‍मीर पर भारत के रुख और स्विट्ज़रलैंड में बैंक खातों की जानकारी के स्वत: आदान-प्रदान के बारे में चर्चा हुई। इसके अलावा वित्‍त, जैव प्रौद्योगिकी, विज्ञान, पर्यटन और रेलवे के क्षेत्रों में व्‍यापक सहयोग पर भी चचा हुई। रामनाथ कोविंद ने स्विट्ज़रलैंड की राजधानी बर्न में भारतीय समुदाय को संबोधित किया। विदित हो कि स्विट्ज़रलैंड दुनिया के सबसे प्राचीनतम लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍थाओं में से एक है, जहाँ 2000 से ज़्यादा कम्‍यून लोकतांत्रिक तरीके से काम कर रहे हैं। वर्तमान में स्विट्ज़रलैंड की 250 से ज्‍यादा कंपनियाँ भारत में काम कर रही हैं तथा भारत की बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियाँ ज्यूरिख, बेसल और बर्न में मौजूद हैं। भारत की 80 से अधिक वैज्ञानिक संस्‍थाएँ और 300 अनुसंधानकर्त्ताओं की टीम संयुक्‍त कार्यक्रम के तहत एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। रामनाथ कोविंद और स्विस राष्ट्रपति उली मौरर की उपस्थिति में भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच तीन समझौते भी हुए। पहला समझौता विज्ञान और नवोन्मेष के क्षेत्र में तथा दूसरा जलवायु परिवर्तन पर और तीसरा समझौता लुसान विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग की अध्‍यक्षता के नवीनीकरण पर हुआ।
  • पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (BPR&D) ने 12-13 सितंबर को ‘जेलों में आपराधिक गतिविधियाँ और कट्टरता : कैदियों एवं जेल कर्मचारियों की असुरक्षा और उनका संरक्षण’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन में सुधारक सेवाओं के क्षेत्र में विभिन्‍न चुनौतियों का उल्‍लेख किया गया और इसके साथ ही जेल प्रणालियों एवं संबंधित मानव संसाधन को बेहतर बनाने के लिये एक सचेत नीति बनाने की आवश्‍यकता पर बल दिया गया। गौरतलब है कि आज़ादी के बाद से ही देश में जेल प्रशासन विभिन्‍न मंचों पर गहन विचार-विमर्श का विषय रहा है। यहाँ तक कि देश का सर्वोच्च न्‍यायालय भी समय-समय पर जेलों की स्थितियों पर अपनी चिंता जताता रहा है। अत: जेलों में सुरक्षा सुनिश्चित करने, कैदियों के रहन-सहन का स्‍तर बेहतर करने और जेलों को सुधार केंद्र में तब्‍दील करने की ज़रूरत है। सम्मेलन में कहा गया कि कि जेल की व्यवस्‍था ऐसी होनी चाहिये जिससे कि कारावास प्रक्रिया के दौरान ज़्यादा कष्ट न हो। कैदियों के व्‍यवहार में सुधार लाने और फिर इसके बाद उनका पुनर्वास करने करना भी बेहद ज़रूरी है। जेल सुधारों से जु़ड़ी विभिन्‍न चुनौतियों में जेलों में ज़रूरत से ज़्यादा कैदियों को रखना, विचाराधीन कैदियों की अधिक संख्‍या, जेलों में अपर्याप्‍त बुनियादी ढाँचागत सुविधाएँ, जेलों में आपराधिक गतिविधियाँ एवं कट्टरता, महिला कैदियों एवं उनके बच्‍चों की सुरक्षा, समुचित जेल प्रशासन के लिये धन एवं स्‍टाफ की कमी इत्‍यादि प्रमुख हैं। इसके लिये सरकार ने फास्‍ट-ट्रैक कोर्ट और लोक अदालतों का गठन किया है, जिससे विचाराधीन कैदियों से जुड़े लंबित मामलों में कमी आएगी और इसके परिणामस्‍वरूप जेल प्रणाली पर कम बोझ पड़ेगा। केंद्र सरकार ने 1800 करोड़ रुपए की लागत से ‘जेल आधुनिकीकरण योजना’ शुरू की है, जिसका उद्देश्‍य 199 नई जेलें, 1572 अतिरिक्‍त बैरक एवं जेल कर्मियों के लिये 8568 आवासीय परिसर बनाना है।
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