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Rapid Fire करेंट अफेयर्स (04 September)

  • 04 Sep 2019
  • 5 min read
  • हाल ही में नई दिल्ली में स्थित न्यूज़ीलैंड के उच्चायोग में ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, पापुआ न्यू गिनी तथा फिजी के उच्चायोगों ने संयुक्त रूप से नमस्ते पैसिफिक नामक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत में प्रशांत महासागरीय देशों की संस्कृति का प्रदर्शन करना था। भारत में ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त हरिंदर सिद्धू ने कहा कि भारतीयों के पास प्रशांत संस्कृति पर बात करने या समझने के लिए बहुत कम अवसर हैं। ऐसे में ‘नमस्ते पैसिफिक’ जैसे कार्यक्रम अच्छा अवसर प्रदान करते हैं। कई प्रशांत द्वीप देश बहुत छोटे हैं, लेकिन दिल्ली में उनके उच्चायोग हैं, उनके लिये इस प्रकार के कार्यक्रम बेहतरीन अवसर प्रदान करते हैं। रणनीतिक रूप से प्रशांत क्षेत्र के द्वीपीय देश भारत के लिये बेहद महत्त्वपूर्ण हैं तथा भारत इन देशों की ज़रूरतों एवं प्राथमिकताओं के अनुसार अपने द्विपक्षीय सहयोग को आकार देता है। प्रशांत महासागर और उसके आसपास के क्षेत्र के द्वीपीय देशों को उनकी भौगोलिक समानता के कारण ओशिनियाई देशों के रूप में जाना जाता है।
  • प्लास्टिक से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिये छत्तीसगढ़ में एक अनूठी पहल शुरू होने जा रही है। राज्य के अंबिकापुर में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर गार्बेज कैफे (Garbage Cafe) की शुरुआत की जा रही है। देशभर में अपनी तरह का यह पहला कैफे है, जहाँ प्लास्टिक कचरा देकर भरपेट खाना मिलेगा। इस प्रोजेक्ट के तहत अंबिकापुर नगर निगम गरीब और बेघर लोगों को प्लास्टिक कचरे के बदले खाना खिलाएगा। एक किलो प्लास्टिक के बदले एक बार भरपेट खाना मिलेगा, जबकि 500 ग्राम प्लास्टिक देकर ब्रेकफास्ट किया जा सकता है। यह कैफे शहर के मुख्य बस अड्डे पर होगा तथा बजट से इस गार्बेज स्कीम के लिए 5 लाख रुपए दिए गए हैं। इस मुहिम के तहत नगर निगम गरीब और बेघर लोगों को मुफ्त खाना खिलाएगा। साथ ही, प्लास्टिक बीनने वाले बेघर लोगों को मुफ्त शरण देने की भी योजना है। इस प्लास्टिक से छत्तीसगढ़ के शहर अंबिकापुर में सड़क बनाई जाएगी, जिसे इंदौर के बाद देश का दूसरा सबसे साफ शहर चुना गया है।
  • केरल के कोच्चि शहर से 80 किलोमीटर दूर बसे अलेप्पी में हर वर्ष अगस्त महीने के दूसरे शनिवार को नेहरू ट्रॉफी बोट रेस का आयोजन किया जाता है। सर्प नौका दौड़ या स्नेक बोट रेस के नाम से प्रसिद्ध यह बोत रेस यहाँ पुन्नमदा लेक में आयोजित की जाती है, जिसमें हर साल बड़ी संख्या में बोट्स हिस्सा लेती हैं। इस रेस में भाग लेने के लिए आसपास के गांवों से बोट्स आती हैं और हर गाँव की अपनी अलग बोट होती है। इन बोट्स को चंदन वल्लम या स्नेक बोट कहते हैं और 100 फीट लंबी हर स्नेक बोट में 100 से ज़्यादा नाविक, खेवनहार और 25 चीयर लीडर्स आ सकते हैं। इस बोट रेस में मज़बूत भुजाओं वाले नाविक एक लय में चप्पू से नाव को खेते हैं, वहीं इनके बीच बैठे हुए गायक अपने साथियों का उत्साह बढ़ाने के लिए बोट सॉंग्स गाते हैं। इन्हीं के साथ दो ड्रमर भी होते हैं जो बड़े उत्साह के साथ ड्रम बजाकर अपने नाविकों में जोश भरते हैं। इस वर्ष केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के साथ 2019 नेहरू ट्रॉफी बोट रेस के 67वें संस्करण का उद्घाटन किया, जिसमें पल्लथुर्थी बोट क्लब के नदुभगम चंदन बोट ने जीत हासिल की। पुन्नमदा लेक में हुई इस रेस में नडुभगम ने यूबीसी बोट क्लब के चंबाकुलम बोट को हराकर यह खिताब जीता। इस रेस की शुरुआत वर्ष 1952 में हुई थी और 1 जुलाई, 1962 को इसका नाम नेहरू ट्रॉफी रखा गया।
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