केंद्र सरकार की अनुशंसा पर राष्ट्रपति ने चार राज्यों में नए राज्यपालों की नियुक्ति की है तथा हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल का तबादला किया गया है। राजस्थान, महाराष्ट्र, केरल और तेलंगाना में राज्यपालों को नियुक्त किया गया है और हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्रा का ट्रांसफर कर उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया है। भगत सिंह कोशयारी को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया है बंडारू दत्तात्रेय को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। आरिफ मोहम्मद खान को केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया है तथा तमिलिसाई सौंदराजन को तेलंगाना का राज्यपाल बनाया गया है। गौरतलब है कि इससे पहले 22 जुलाई को चार राज्यों में नए राज्यपालों की नियुक्ति की गई थी तथा दो का तबादला कर दिया था। आपको बता दें कि केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति के द्वारा राज्यपाल की नियुक्ति की जाती है। भारतीय संविधान के भाग-6 में अनुच्छेद 153 से 167 तक राज्य कार्यपालिका के विषय में जानकारी दी गई है। राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख होता है, तथा राज्यपाल केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है।
स्विट्जरलैंड में बैंक खाते रखने वाले भारतीय नागरिकों की जानकारी 1 सितंबर से भारत के टैक्स अधिकारियों को मिलने लगेगी। पिछले वर्ष भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच स्विस बैंकों में जमा धन के बारे में जानकारी साझा करने को लेकर बातचीत हुई थी, ताकि भारत यह पता लगा सके कि उसके यहाँ से कितना कालाधन विदेश जा रहा है। भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच हुए समझौते के तहत स्विस बैंक खाते वाले भारतीयों का विवरण आज से कर अधिकारियों को उपलब्ध होना शुरू हो जाएगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के मुताबिक काले धन के खिलाफ यह महत्त्वपूर्ण कदम होगा और इससे स्विस बैंकों में खातों को लेकर गोपनीयता के युग का अंत हो जाएगा। इस साल लोकसभा में जून महीने में वित्तीय मामलों की स्थायी समिति की एक रिपोर्ट पेश की गई थी, इसके मुताबिक वर्ष 1980 से वर्ष 2010 के बीच 30 वर्षों के दौरान भारतीयों के ज़रिये लगभग 246.48 अरब डॉलर यानी 17,25,300 करोड़ रुपए से लेकर 490 अरब डॉलर यानी 34,30,000 करोड़ रुपए के बीच कालाधन देश के बाहर भेजा गया। विदित हो कि स्विट्ज़रलैंड के बैंकों को कालाधन छिपाने के लिये सबसे सुरक्षित माना जाता है।
मरुस्थलीकरण की समस्या से निपटने के लिये संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोधी सम्मेलन (United Nations Convention to Combat Desertification-UNCCD) के कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज के 14वें सत्र (CoP 14) की शुरुआत 2 सितंबर को ग्रेटर नोएडा में हुई तथा यह 13 सितंबर तक चलेगा। इस सम्मेलन का उद्घाटन UNCCD के कार्यकारी सचिव इब्राहिम थिआ और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने किया। इस वैश्विक कार्यक्रम की मेज़बानी के साथ ही भारत CoP की अध्यक्षता भी चीन से हासिल करेगा और वर्ष 2021 तक इसका अध्यक्ष बना रहेगा। इस सम्मेलन में 196 देशों के 6000 से ज्यादा प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं जो मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे के पारस्परिक व्यवहार्य समाधान की तलाश पर चर्चा करेंगे। भूमि क्षरण से निपटने के लिये करीब 80 देशों के मंत्री, वैज्ञानिक, देशों और स्थानीय सरकारों के प्रतिनिधि, गैर-सरकारी संगठन, वैश्विक युवा नेटवर्कों से जुड़े लोग अपने अनुभव और विशेषज्ञता साझा करेंगे। गौरतलब हाई कि मरुस्थलीकरण भूमि क्षरण का ही एक प्रकार है जिसमें भूमि का अपेक्षाकृत सूखा इलाका मरुस्थल बन जाता है और वहाँ स्थित जलाशय, वनस्पति और वन्यजीव समाप्त हो जाते हैं। यह जलवायु परिवर्तन, मानव गतिविधियों द्वारा मृदा का अत्यधिक दोहन जैसे कई कारकों की वज़ह से होता है। UNCCD की देखरेख में मरुस्थलीकरण को लेकर चलाए जा रहे इस अभियान की शुरूआत वर्ष 1977 में हुई, लेकिन इनमें तेज़ी 1996 से आई, जब इसे लेकर दुनिया के सभी देशों ने एकजुट होकर काम करने की पहल की।
प्रौद्योगिकी क्षेत्र की विख्यात कंपनी गूगल ने बिल्ड फॉर डिजिटल इंडिया (Build for Digital India) कार्यक्रम शुरू करने के लिये इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ समझौता किया है। इस समझौते के तहत चलाया जाने वाला बिल्ड फॉर डिजिटल इंडिया कार्यक्रम इंजीनियरिंग छात्रों को एक ऐसा मंच उपलब्ध कराएगा जहाँ वे सामाजिक समस्याओं से निपटने वाले प्रौद्योगिकी आधारित बाज़ार के लिये तैयार समाधान को विकसित कर सकेंगे। यह पहल न केवल देशभर के कॉलेज छात्रों को प्रोत्साहित करेगी बल्कि देश की कुछ बड़ी सामाजिक चुनौतियों के लिये कुछ अच्छे प्रौद्योगिकी समाधान भी पेश करेगी। इसके तहत देशभर से इंजीनियरिंग छात्रों को स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, स्मार्ट सिटी एवं अवसंरचना, महिला सुरक्षा, स्मार्ट परिवहन, पर्यावरण, दिव्यांगता एवं पहुँच और डिजिटल साक्षरता जैसे विषयों पर उनके विचार और समाधान पेश करने के लिये आमंत्रित किया जाएगा। इसके तहत प्रतिभागी मशीन लर्निंग, क्लाउड और एंड्राइड जैसी नई प्रौद्योगिकियों के लिये ऑनलाइन और ऑफलाइन सीखने के अवसरों को लाभ उठा सकेंगे। इसके अलावा गू्गल सबसे अधिक संभावना वाले उत्पाद एवं प्रोटोटाइप को उत्पाद डिज़ाइन, रणनीति और प्रौद्योगिकी में सिखाने वाले सत्र भी चलाएगा।