Rapid Fire करेंट अफेयर्स (23 October) | 23 Oct 2019
1. भारत-स्विट्ज़रलैंड करेंगे रेल परिवहन के क्षेत्र में सहयोग
भारत और स्विट्ज़रलैंड ने रेल परिवहन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर 21 अक्तूबर को नई दिल्ली में संपन्न हुई संयुक्त कार्यसमूह की पहली बैठक में सहमति जताई है।
- ज्ञातव्य है कि रेल क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिये दोनों देशों के बीच वर्ष 2017 में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हए थे। बैठक में इसकी व्यवस्थाओं के तहत सहयोग के तौर-तरीकों पर चर्चा की गई।
- इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व रेल मंत्री पीयूष गोयल तथा स्विट्ज़रलैंड का प्रतिनिधित्व वहाँ की पर्यावरण, परिवहन, ऊर्जा तथा संचार मंत्री सुश्री सिमोनेटा सोमारुगा ने किया।
- भारत ने स्विट्ज़रलैंड से अपने मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत भारत में उत्पादन बढ़ाने तथा भारत को वैश्विक बाजार के मंच के रूप में इस्तेमाल करने का मौका देने की बात कही।
- भारत ने स्विट्ज़रलैंड की कंपनियों के लिये क्लीयरंस की प्रक्रिया में तेज़ी लाने तथा नए उत्पाद विकसित करने के मुद्दे उठाए जाने के बारे में रेलवे बोर्ड को निर्देश दिया।
- इसके अलावा संयुक्त कार्यसमूह में मालभाड़ा, यात्री परिवहन, रेलवे विद्युतीकरण उपकरणों परिवहन और सुरंग प्रौद्योगिकी पर विस्तार से चर्चा की गई।
- बैठक में इस बात पर भी सहमति व्यक्त की गई कि रेलवे क्षेत्र में सहयोग की प्रगति पर समयबद्ध तरीके से संस्थागत स्तर पर निगरानी रखी जाएगी।
2. भारत के लिये पर्यावरणीय प्रवाह का आकलन एवं कार्यान्वयन पर कार्यशाला
- नई दिल्ली में 21 अक्तूबर को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने ‘भारत के लिये पर्यावरणीय प्रवाह का आकलन एवं कार्यान्वयन’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया।
- राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) ने जर्मनी के सहयोग से अपनी परियोजना ‘गंगा संरक्षण के लिये समर्थन (SGR)’ के क्रियान्वयन के माध्यम से आपसी अनुभवों के आदान-प्रदान की बात कही।
- इसके साथ ही भारत में पर्यावरणीय प्रवाह (ई-फ्लो) के आकलन पर मार्ग निर्देशन दस्तावेज़ के प्रथम संस्करण का औपचारिक रूप से विमोचन किया गया।
- इस कार्यशाला में विचार-विमर्श के साथ-साथ भावी अनुसंधान कार्य में इस दस्तावेज़ को उन्नत करने में मदद मिलेगी।
भारत में गंगा नदी का महत्त्व
भारत में गंगा नदी के जल का उपयोग घरेलू, कृषि, औद्योगिक और विद्युत उत्पादन जैसे क्षेत्रों में किया जाता है। इसके अतिरिक्त गंगा नदी के जल में मनोरंजन और आध्यात्मिक गतिविधियाँ भी संचालित की जाती हैं।
गंगा नदी एक अनूठा परिवेश सुलभ कराती है, जिसमें भारत के राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन के साथ-साथ घड़ियाल, कछुए निवास करते हैं। अत: इसके महत्त्व को देखते हुए इसके जल का सतत उपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
भारत गंगा नदी के अविरल प्रवाह को सुनिश्चित करने हेतु नमामि गंगे कार्यक्रम क्रियान्वित कर रहा है।
इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य भारत में ई-फ्लो के कार्यान्वयन में सहयोग देना था, जैसे:
- भारत में पर्यावरणीय प्रवाह के आकलन के लिये समग्र लक्ष्य क्या-क्या हैं?
- समग्र लक्ष्यों के अनुसार पर्यावरणीय प्रवाह के कार्यान्वयन के लिये अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक कदम क्या हैं?
3. हिम तेंदुओं की गणना के लिये प्रोटोकॉल
- नई दिल्ली के विज्ञान भवन में वैश्विक हिम तेंदुआ और पारिस्थितिकी संरक्षण कार्यक्रम की चौथी संचालन समिति की बैठक आयोजित की गई।
- इस बैठक में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने जानकारी दी कि बाघों की गणना की तरह हिम तेंदुओं की गणना के लिये एक प्रोटोकॉल बनाया गया है।
- वैश्विक हिम तेंदुआ और पारिस्थितिकी संरक्षण कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन के अनुसार, यह प्रोटोकॉल अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर आधारित है।
- इसके अलावा सरकार हरित अर्थव्यवस्था और हिमालयी क्षेत्र में हिम तेंदुओं के क्षेत्रों में हरित मार्ग बनाने पर भी विचार कर रही है।
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में हिम तेंदुए की रक्षा का प्रावधान तो है, लेकिन इसके आवास और संरक्षण के लिए दीर्घकालिक रणनीति में स्थानीय लोगों की भागीदारी से संबंधित निश्चित प्रावधान नहीं है।
- हिम तेंदुआ मध्य और दक्षिण एशिया के पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। इसे IUCN की रेड लिस्ट में विलुप्तप्राय प्रजातियों में सूचीबद्ध किया गया है।
- 2,800 से 4,600 मीटर की ऊँचाई हिम तेंदुओं के रहने के अनुकूलन होती है।
- लद्दाख में लगभग 12% क्षेत्र हिम तेंदुओं के रहने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना गया है।
प्रोजेक्ट सिक्योर हिमालय
- केंद्र सरकार ने नवंबर, 2017 में भारत के चार राज्यों में फैले उच्च हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए छह वर्ष का एक प्रोजेक्ट 'सिक्योर हिमालय' लॉन्च किया।
- स्थानीय और विश्व स्तर पर महत्त्वपूर्ण जैव विविधता, भूमि और वन संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए इस योजना के अंतर्गत कार्य किया जाता है।
- इसी के साथ भारत वन्यजीव मोबाइल ऐप की भी शुरुआत की गई तथा वर्ष 2017-2031 की अवधि हेतु देश की तीसरी राष्ट्रीय वन्यजीव कार्य योजना जारी की गई।