Rapid Fire करेंट अफेयर्स (16 October) | 16 Oct 2019
1. ‘मेक इन इंडिया’ में मज़बूती लाने के लिये संशोधित कार्यक्रम लॉन्च
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने भारत में निवेश आकर्षित करने के साथ-साथ सीमा शुल्क (कस्टम्स) अधिनियम, 1962 के तहत बॉण्ड स्कीम के अंतर्गत विनिर्माण एवं अन्य परिचालनों के ज़रिये ‘मेक इन इंडिया’ में मज़बूती लाने के लिये एक संशोधित एवं सुव्यवस्थित कार्यक्रम शुरू किया है।
- ज्ञातव्य है कि सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 65 से किसी भी कस्टम बॉण्डेड वेयरहाउस में विनिर्माण और अन्य परिचालन संभव हो पाते हैं।
- इस योजना को स्पष्ट एवं पारदर्शी प्रक्रियाओं, परिचालन संबंधी आवश्यकताओं और ICT आधारित प्रलेखन तथा लेखा-जोखा रखने के ज़रिये आधुनिक बना दिया गया है।
योजना की प्रमुख बातें
- तौर-तरीकों या परिचालन में एकरूपता के लिये एकल आवेदन-सह-मंज़ूरी फॉर्म निर्दिष्ट किया गया है।
- सीमा शुल्क के क्षेत्राधिकार आयुक्त इस तरह की इकाइयों की स्थापना तथा उनके परिचालन पर करीबी नजर रखने के लिये मंज़ूरी के एकल बिंदु के रूप में काम करेंगे।
- ऐसी कोई भौगोलिक सीमा नहीं है जहाँ इस तरह की इकाइयाँ स्थापित की जा सकती हैं।
- सीमा शुल्क स्थगन कार्यक्रम के तहत संबंधित यूनिट विभिन्न वस्तुओं (कच्चा माल एवं पूंजीगत सामान) का आयात कर सकती है।
- यदि प्रसंस्कृत वस्तुओं का निर्यात किया जाता है तो संबंधित शुल्क को पूरी तरह से माफ कर दिया जाता है।
- इसके तहत कोई भी ब्याज देनदारी नहीं होगी और बेहतर तरलता (लिक्विडिटी) से संबंधित इकाइयाँ (यूनिट) लाभान्वित होंगी।
- धारा 65 के अंतर्गत आने वाली यूनिट्स में विनिर्माण एवं अन्य परिचालनों में उपयोग के लिये घरेलू बाज़ार से GST अनुरूप वस्तुओं की खरीदारी की जा सकती है।
- कारोबार में सुगमता के साथ-साथ आसान अनुपालन के लिये एकल डिजिटल खाते को निर्दिष्ट किया गया है।
- CBIC ने इस योजना के बारे में आवश्यक जानकारी देने तथा इसे प्रोत्साहित करने के साथ-साथ निवेशकों की सुविधा के लिये ‘इन्वेस्ट इंडिया’ के साथ मिलकर एक विशेष माइक्रोसाइट लॉन्च की है।
इन्वेस्ट इंडिया
इन्वेस्ट इंडिया भारत सरकार की आधिकारिक निवेश संवर्द्धन एवं सुविधा प्रदाता एजेंसी है, जिसे देश में निवेश को सुविधाजनक बनाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। यह देश में संभावित वैश्विक निवेशकों के लिये सबसे पहला केंद्र है। ‘इन्वेस्ट इंडिया’ का मुख्य उद्देश्य उद्यमों को व्यावहारिक निवेश सूचनाएँ सुलभ कराते हुए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को सुविधाजनक बनाना और संबद्ध देशों के आर्थिक विकास में सकारात्मक योगदान करने वाले अवसरों पर ध्यान केंद्रित करने वाली कंपनियों को आवश्यक सहयोग प्रदान करना है।
2. सौरव गांगुली बने BCCI के नए अध्यक्ष
- पूर्व कप्तान सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के नए अध्यक्ष होंगे।
- इसकी घोषणा BCCI के पूर्व सदस्य राजीव शुक्ला ने की।
- सौरव गांगुली के अलावा अन्य किसी ने पद के लिये नामांकन दाखिल नहीं किया। उनके निर्विरोध निर्वाचन की विधिवत घोषणा 23 अक्तूबर को होगी।
- वह 10 महीने के लिये बोर्ड के अध्यक्ष होंगे। सौरव गांगुली 5 साल 2 महीने से बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं।
- नए नियमों के अनुसार, बोर्ड का कोई भी सदस्य लगातार 6 साल तक ही किसी पद पर रह सकता है।
- इस तरह सौरव गांगुली का बोर्ड में कार्यकाल सितंबर 2020 में समाप्त हो जाएगा।
- सौरव गांगुली BCCI के ऐसे पहले अध्यक्ष होंगे, जिनके पास 400 से ज़्यादा अंतर्राष्ट्रीय मैचों का अनुभव है, उन्होंने कुल 424 मैच खेले।
- सौरव गांगुली से पहले वर्ष 1954 से वर्ष 1956 तक 3 टेस्ट खेलने वाले महाराजकुमार ऑफ विजयनगरम (विजय आनंद गणपति राजू) ही पूर्णकालिक अध्यक्ष थे। ।
- सौरव गांगुली बोर्ड के 35वें अध्यक्ष होंगे, हालाँकि 233 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने वाले सुनील गावस्कर और 42 मैच खेलने वाले शिवलाल यादव ने भी बोर्ड का नेतृत्व किया, लेकिन दोनों वर्ष 2014 में कुछ समय के लिये अंतरिम अध्यक्ष ही रहे थे।
BCCI क्या है?
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) देश में क्रिकेट के लिये राष्ट्रीय शासकीय निकाय है। बोर्ड एक सोसाइटी, तमिलनाडु सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत है और इसका गठन दिसंबर, 1928 में गकिया गया था। यह राज्य क्रिकेट संघों के एक संघ है और राज्य संघों के प्रतिनिधि निर्धारित समय पर BCCI के अधिकारियों का चुनाव करते हैं। BCCI भारतीय क्रिकेट को पोषित करता है और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट की भागीदारी सुनिश्चित करता है।बोर्ड का मुख्यालय मुंबई में है। यह जान लेना भी बेहद रोचक है कि भारत में एक स्वायत्त संस्था या सोसाइटी, जैसा कि भारतीय कानून में बीसीसीआई है, को केवल इसलिये एक खेल का आधिकारिक प्रशासक मान लिया गया है क्योंकि एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था इसकी टीम को ही भारतीय टीम की मान्यता देती है।
3. समुद्री राज्य विकास परिषद की 17वीं बैठक
- हाल ही में जहाजरानी मंत्रालय ने समुद्री राज्य विकास परिषद (MSDC) की 17वीं बैठक का आयोजित की।
- जहाजरानी मंत्रालय देश के छोटे और बड़े बंदरगाहों के बीच आपसी क्रियाकलाप के आधार पर बंदरगाहों के लिये राष्ट्रीय ग्रिड बनाने की योजना पर काम कर रहा है।
- देश में 204 छोटे बंदरगाह हैं, जिसमें से केवल 44 काम कर रहे हैं। ये सभी बंदरगाह पहले समुद्री गतिविधियों के केन्द्र थे और इन्हें पुनर्जीवित करने से ये एक बार फिर समुद्री व्यापार के महत्वपूर्ण केन्द्र बन सकते हैं।
- सरकार चाहती है कि प्रमुख और छोटे बंदरगाह मिल-जुलकर काम करें, ताकि देश में बंदरगाह संचालित विकास हो सके।
- तटीय जहाजरानी और अंतरदेशीय जलमार्ग क्षेत्र देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। किफायती और प्रदूषण मुक्त जल परिवहन देश में लॉजिस्टिक की लागत कम कर सकती है, जिससे विश्व बाजार में भारतीय वस्तुएं अधिक प्रतिस्पर्द्धा कर सकती है।
समुद्री राज्य विकास परिषद (MSDC)
- MSDC समुद्री क्षेत्र के विकास के लिये एक शीर्ष सलाहकार निकाय है और इसका उद्देश्य प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाहों के एकीकृत विकास को सुनिश्चित करना है।
- MSDC का गठन मई, 1997 में राज्य सरकारों के साथ परामर्श करने संबंधित समुद्री राज्यों द्वारा या तो प्रत्यक्ष या कैप्टिव उपयोगकर्ताओं तथा निजी भागीदारी द्वारा मौजूदा और नए छोटे बंदरगाहों के भविष्य में विकास के लिये किया गया था।
- इसके अलावा यह छोटे बंदरगाहों, कैप्टिव बंदरगाहों के विकास की भी निगरानी करता है ताकि उनका प्रमुख बंदरगाहों के साथ एकीकृत विकास सुनिश्चित करने के साथ-साथ सड़क/रेल/आईडब्ल्यूटी जैसी अन्य बुनियादी जरूरतों का आकलन करके संबंधित मंत्रालयों को उचित सिफारिशें की जा सकें।