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RAPID FIRE करेंट अफेयर्स (28 नवंबर)

  • 28 Nov 2019
  • 5 min read

लोकपाल का लोगो और मोटो

नवगठित लोकपाल ने अपने प्रतीक चिह्न (Logo) और ध्येय वाक्य (मोटो) लॉन्च कर दिया है। ‘इशावस्या उपनिषद’ के एक श्लोक “मा गृधाह कस्यस्विधनम्” को ‘ध्येय वाक्य’ चुना गया है जिसका अर्थ है- ‘किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति हासिल करने का लोभ न करें।’

Lokpal logo & motto

त्रिस्तरीय चयन प्रक्रिया के आधार पर उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के रहने वाले प्रशांत मिश्र के डिज़ाइन को लोकपाल के ‘लोगो’ के लिये चुना गया है। यह ‘लोगो’ लोकपाल के शाब्दिक अर्थ पर आधारित है। इसमें ‘लोक’ का अर्थ जनता और ‘पाल’ का मतलब देखभाल करने वाला है। ‘लोगो’ में तीन रंग हैं जो लोकपाल के राष्ट्रीय तत्त्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। गौरतलब है कि लोकपाल और लोकायुक्त कानून 2013 के तहत गठित लोकपाल एक संवैधानिक निकाय है। इसका गठन कुछ विशेष श्रेणियों के नौकरशाहों/पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच के लिये किया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने 23 मार्च,2019 को लोकपाल के अध्यक्ष के रूप में न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष को शपथ दिलाई थी।


एलियूड किपचोगे

दो घंटे से कम समय में मैराथन पूरी करने वाले पुरुष एथलीट एलियूड किपचोगे (Eliud Kipchoge) को वर्ष का सर्वश्रेष्ठ पुरुष एथलीट पुरस्कार दिया गया है। किपचोगे ने हाल ही में तब इतिहास रचा था, जब उन्होंने 42.195 किलोमीटर की दूरी एक घंटे 59 मिनट 40.2 सेकेंड में तय की थी। इस ओलंपिक चैम्पियन के नाम एक और विश्व रिकॉर्ड भी है, जो दो घंटे एक मिनट 39 सेकेंड का है।


दालिलाह मुहम्मद

400 मीटर महिला बाधा दौड़ में विश्व चैम्पियन दालिलाह मुहम्मद (Dalilah Muhammad) को वर्ष की सर्वश्रेष्ठ महिला एथलीट का पुरस्कार दिया गया है। अमेरिका की दालिलाह ने जुलाई में अमेरिकी ट्रायल्स में 52.20 सेकेंड के समय से वर्ष 2003 से चले आ रहे रिकार्ड को तोड़कर विश्व रिकार्ड बनाया था। इसके बाद उन्होंने दोहा में नए विश्व रिकार्ड समय 52.16 सेकेंड से विश्व चैम्पियनशिप स्वर्ण पदक जीता था। विदित हो कि International Association of Athletics Federations द्वारा विश्व एथलेटिक्स के 50 प्रतिशत खिलाड़ियों, कोचों व पत्रकारों के 25 प्रतिशत तथा आम जनता के 25 प्रतिशत मतों से विजेताओं को चुना जाता है।


एडमिरल सुशील कुमार

पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल सुशील कुमार का 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह वर्ष 1998 से वर्ष 2001 तक भारतीय नौसेना के प्रमुख रहे थे। एडमिरल सुशील कुमार ने वर्ष 1965 व वर्ष 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में हिस्सा लिया था। वे गोवा मुक्ति संग्राम में भी शामिल रहे। वर्ष 1999 में करगिल युद्ध के दौरान भी वह उस समूह में शामिल थे जो रणनीति बना रहा था। पूर्व एडमिरल संसद पर हुए हमले के जवाब में बनी ऑपरेशन पराक्रम योजना के दौरान चीफ्स ऑफ स्टॉफ कमेटी के अध्यक्ष थे। चीफ्स ऑफ स्टॉफ कमेटी में थलसेना, नौसेना और वायुसेना प्रमुख होते हैं। उन्होंने ‘ए प्राइम मिनिस्टर टू रिमेंबर- मेमोरीज ऑफ मिलिट्री चीफ' नाम से एक किताब भी लिखी हैं। उनके रणकौशल को देखते हुए उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल से नवाज़ा गया था।

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