RAPID FIRE करेंट अफेयर्स (25 नवंबर) | 25 Nov 2019
NCC का 71वाँ स्थापना दिवस
- दुनिया के सबसे बड़े वर्दीधारी युवा संगठन राष्ट्रीय कैडेट कोर (National Cadet Core-NCC) ने 24 नवंबर को अपना 71 वाँ स्थापना दिवस मनाया।
- भारत में NCC की स्थापना 15 जुलाई, 1948 को राष्ट्रीय कैडेट कोर अधिनियम, 1948 के तहत हुई थी।
- NCC का उद्देश्य वाक्य - 'एकता और अनुशासन' है, जिसे वर्ष 1957 में अपनाया गया था।
- NCC तीन साल की होती है- पहले साल 'A', दूसरे साल 'B' और तीसरे साल 'C' grade का certificate मिलता है। NCC समूह का नेतृत्व 'लेफ्टिडेंट जनरल' रैंक का अधिकारी करता है और पूरे देश में ऐसे कुल 17 अधिकारी हैं।
- NCC का मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- देश में इसकी कुल 788 टुकड़ियाँ हैं, इनमें से 667 सेना की, 60 नौसेना और 61 वायु सेना की हैं।
NCC अपनी बहुआयामी गतिविधियों और विभिन्न पाठ्यक्रमों के माध्यम से युवाओं के समक्ष स्व-विकास के लिये अवसर प्रदान करता है। NCC युवाओं को कल के ज़िम्मेदार नागरिकों में रूपान्तारित करने की दिशा में अहम भूमिका निभाता है।
रोहतांग टनल
लेह-मनाली नेशनल हाइवे पर बनाई जा रही 8.8 किलोमीटर लंबी रोहतांग सुरंग अगले छह महीने में चालू होने की संभावना है।
- देश की सबसे लंबी सड़क सुरंगों में से एक रोहतांग सुरंग हिमालय के पूर्वी पीर पंजाल रेंज में रोहतांग दर्रे के नीचे 10,171 फुट की ऊँचाई पर बनाई जा रही है।
- यह मनाली और जनजातीय ज़िले लाहौल-स्पीति के प्रशासनिक केंद्र केलांग के बीच की दूरी को लगभग 45 किलोमीटर कम कर देगी।
- गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश के टॉप टूरिस्ट डेस्टिनेशन में रोहतांग को भी गिना जाता है। जून के महीने में यहाँ भारी मात्रा में सैलानी आते हैं।
- दिसंबर में सर्दियों के दौरान भारी बर्फबारी के बाद इसे बंद कर दिया जाता है और जून में इसे फिर से पर्यटकों के लिये खोल दिया जाता है।
- रोहतांग दर्रा पीर पंजाल श्रृंखला पर बना एक पहाड़ी रास्ता है जो मनाली से करीब 51 किलोमीटर दूर है। यह रास्ता कुल्लू घाटी को लाहौल स्पीति से जोड़ता है।
- रोहतांग सुरंग पर लगभग 2700 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इसके अलावा उत्तरी और दक्षिणी नॉर्थ पोर्टल को जोड़ने वाली सड़कों, स्नो गैलरी और पुलों के निर्माण में लगभग 500 करोड़ रुपए खर्च आएगा।
सामरिक महत्त्व: भारत के पूर्वी और पश्चिमी छोर पर तनाव की स्थिति के मद्देनजर रोहतांग सुरंग सामरिक दृष्टि से बेहद महत्त्वपूर्ण है। चीन और पाकिस्तान की सीमा पर तैनात सेना तक रसद पहुँचाने का काम भी आसान हो जाएगा।
सुमात्रन गैंडा
- मलेशिया में सुमात्रा प्रजाति का अब एक भी गैंडा नहीं बचा है। बोर्नियो द्वीप स्थित मलेशिया के सबा प्रांत में हाल ही में इमान नामक अंतिम मादा गैंडे की मौत हो गई।
- 25 साल की इमान कैंसर से पीड़ित थी। गौरतलब है कि मलेशिया के अंतिम नर गैंडे की मौत छह महीने पहले ही हो चुकी है। वह मलेशिया के सबा राज्य में बोर्नियो द्वीप पर इमान के साथ उसी रिज़र्व में रहता था।
- विलुप्त होने के कगार पर पहुँची इस प्रजाति के अब सिर्फ 80 गैंडे ही बचे हैं जो इंडोनेशिया के सुमात्रा और बोर्नियो के वनों में निवास करते हैं।
- इस प्रजाति के अस्तित्व को मुख्य खतरा जलवायु परिवर्तन और पारंपरिक चीनी चिकित्सा के लिये बड़े पैमाने पर होने वाले इनके शिकार से है। ऐसे में इनकी संख्या में तेज़ी से गिरावट आ रही है और यह प्रजाति विलुप्ति की कगार पर पहुँच गई है।
- गैंडों की सबसे छोटी प्रजाति सुमात्रा राइनो को वर्ष 2015 में मलेशिया में विलुप्त घोषित किया गया था। पूरे विश्व में गेंडे की 5 प्रजातियाँ हैं। दो प्रजातियाँ अफ्रीका में और तीन प्रजातियाँ एशिया में पाई जाती हैं। सुमात्राई गैंडा सबसे छोटी प्रजाति का होता है।
विश्व स्तर पर 22 सितम्बर को विश्व गैंडा दिवस मनाया जाता है। यह दिवस विशेष रूप से गैंडे की पाँच प्रजातियों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये मनाया जाता है. यह पाँच प्रजातियाँ- हैं काला, सफेद, एक सींग वाला गैंडा एवं सुमात्रा और जावा गैंडा।
राज्यपालों का 50वाँ सम्मेलन
- राज्यपालों का 50वाँ सम्मेलन नई दिल्ली में 23-24 नवंबर, 2019 को जनजातीय कल्याण एवं जल, कृषि, उच्च शिक्षा तथा जीवन की सुगमता पर बल दिये जाने के साथ संपन्न हुआ।
- राष्ट्रपति भवन में आयोजित हुए इस सम्मेलन में राज्यपालों के पाँच समूहों ने इन मुद्दों पर अपनी रिपोर्ट सौंपी,ऐसे बिंदुओं की पहचान तथा गहन विचार विमर्श किया जिनके संबंध में राज्यपाल मुख्य भूमिका निभा सकते हैं।
- सम्मेलन में जनजातीय कल्याण के मुद्दे पर विशेष बल दिया गया।
- गौरतलब है कि राज्यपाल का पद संघीय व्यवस्था में बेहद महत्त्वपूर्ण है और राज्यपालों को अपनी भूमिका से केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करना चाहिये।
प्रधानमंत्री ने सम्मेलन में कहा कि वर्ष 2022 में भारत अपनी आज़ादी की 75वीं वर्षगाँठ और वर्ष 2047 में 100वीं वर्षगाँठ मनाएगा। ऐसे में प्रशासनिक मशीनरी को देश के लोगों के करीब लाने और उन्हें सही राह दिखाने में राज्यपाल की भूमिका कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाती है।