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RAPID FIRE करेंट अफेयर्स (23 नवंबर)

  • 23 Nov 2019
  • 8 min read

SCO स्‍थायी कार्य समूह की 5वीं बैठक

शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation-SCO) के सदस्‍य देशों के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय एवं विभागों तथा विज्ञान एवं टेक्‍नालॉजी सहयोग पर स्‍थायी कार्य समूह की 5वीं बैठक रूस के मॉस्‍को में आयोजित हुई।

  • SCO के 8 सदस्‍य देशों के प्रति‍निधिमंडल के प्रमुखों ने 3 दिन की बैठक के बाद विज्ञान और प्रौद्योगिकी की 5वीं बैठक के प्रोटोकॉल पर हस्‍ताक्षर किये।
  • SCO के युवा वैज्ञानिकों तथा अन्‍वेषकों की बैठक वर्ष 2020 में आयोजित करने के भारत के प्रस्‍ताव पर सहमति व्‍यक्‍त की गई।
  • वर्ष 2020 के अंत तक SCO बहुपक्षीय अनुसंधान और विकास परियोजनाओं के लिये संयुक्‍त प्रतिस्पर्द्धाआयोजित करने की भी मंज़ूरी दी।
  • संयुक्‍त प्रतिस्पर्द्धा तथा निधि और वित्‍तीय समर्थन व्‍यवस्‍था बाद में तैयार की जाएगी।
  • गौरतलब है कि भारत वर्ष 2020 में SCO सदस्‍य देशों के शासनाध्‍यक्षों की परिषद की बैठक की मेज़बानी करेगा।
  • इस शिखर बैठक में वर्ष 2021-2023 के लिये SCO सदस्‍य देशों के अनुसंधान संस्‍थानों के बीच सहयोग के प्रारूप रोडमैप को मंजूरी दी जाएगी।

SCO एक यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा संगठन है, जिसकी स्थापना चीन, कज़ाकिस्तान, किर्गिज़स्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान द्वारा 15 जून, 2001 को शंघाई (चीन) में की गई थी। उज़्बेकिस्तान को छोड़कर बाकी देश 26 अप्रैल, 1996 में गठित ‘शंघाई पाँच’ समूह के सदस्य हैं। वर्ष 2005 में भारत और पाकिस्तान इस संगठन में पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हुए थे। भारत और पाकिस्तान को वर्ष 2017 में इस संगठन के पूर्ण सदस्य का दर्जा प्रदान किया गया। सदस्य देशों के मध्य क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने पर भी ध्यान देना SCO का प्रमुख उद्देश्य है।


जम्मू-कश्मीर में ‘मिशन हिमायत’

  • जम्मू-कश्मीर प्रशासन में वहाँ के 68 हजार से अधिक युवाओं को प्रशिक्षण और रोज़गार देने के लिये हिमायत मिशन के अन्‍तर्गत 42 परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान करने पर काम चल रहा है।
  • इन युवाओं को 3 से 12 महीने की अवधि वाला कौशल विकास का निशुल्क प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाता है।
  • प्रशिक्षण के बाद सभी को रोज़गार देने की व्यवस्था भी की जा रही है।
  • जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश में तथा इसके बाहर इस तरह के 63 प्रशिक्षण केंद्र बनाए जाएंगे।
  • अब तक इन केंद्रों में लगभग 6 हज़ार लोगों ने पंजीकरण कराया है।
  • लगभग 4 हज़ार लोगों को अब तक निजी क्षेत्र में रोज़गार उपलब्ध कराया जा चुका है।

गाँव वापसी कार्यक्रम का दूसरा चरण: इसके साथ ही जम्‍मू-कश्‍मीर प्रशासन गाँव वापसी कार्यक्रम का दूसरा चरण शुरू करने जा रहा है। 25 से 30 नवंबर तक आयोजित किये जाने वाले इस महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम का उद्देश्‍य पंचायतों का सशक्तीकरण और विकास करना है। इसके तहत श्रम शक्ति कल्‍याण, शत- प्रतिशत लाभा‍र्थियों को लाभान्‍वित करना और ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था को प्रोत्‍साहन देते हुए ग्रामीणों की आय दुगुनी करने में पंचायतों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

प्रशासनिक परिषद का गठन: केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में सरकारी कामकाज निपटाने के लिये प्रशासनिक परिषद गठित की गई है। उपराज्यपाल गिरीश चन्द्र मुर्मू इस परिषद के अध्यक्ष हैं। मुख्य सचिव प्रशासनिक परिषद के सचिव होंगे। इसके अलावा जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल के दो सलाहकारों को विभिन्न सरकारी विभागों का प्रभार सौंपा गया है। विदित हो कि के.के. शर्मा और फारूख खान को 14 नवंबर को उपराज्यपाल का सलाहकार नियुक्त किया गया था।


गोंडावन के आवास स्थलों का संरक्षण

राजस्थान के राज्य पक्षी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) को संरक्षित करने के लिये भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग के साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड ने जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के प्राणिशास्त्र विभाग के नेतृत्व में तीन वर्षीय परियोजना को मंजूरी प्रदान की है। इस परियोजना पर 26 लाख रुपए खर्च किये जाएंगे।

  • गोडावण की प्रमुख आश्रय स्थली माने जाने वाले बाड़मेर जैसलमेर के राष्ट्रीय मरु उद्यान के कुल 3162 वर्ग किमी. क्षेत्र में गोडावण पर खतरा लगातार बढ़ रहा है।
  • भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों की टीम ने गोडावण संरक्षण व स्टेटस के लिये डीएनपी क्षेत्र के 34 आवास क्षेत्रों में सेम्पल आधारित सर्वे किया।
  • सर्वे के अनुसार गोडावण की संख्या का घनत्व क्षेत्र में 0.86 प्रति 100 वर्ग किमी में एक से भी कम है। इसमें गोडावण की संख्या 70 से 169 तक संभावित मानी गई है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की संकटग्रस्त जातियों की रेड डाटा लिस्ट में गोडावण को गंभीर रूप से विलुप्तप्राय की श्रेणी में रखा गया है।
  • इस प्रकार के विलुप्त हो रहे वन्यजीव पर शोध और संरक्षण की जिम्मेदारी पहली बार किसी स्थानीय विश्वविद्यालय को सौपी गई है।
  • गोडावण मुख्य रूप जैसलमेर जिले के डीएनपी सेंचुरी के सुदासरी, गजेई माता व आसपास के इलाकों में से चांधन, खेतोलाई, पोकरण व रामदेवरा में विचरण करते हैं। यहाँ भी उनकी संख्या दिनोंदिन घटते जाना चिंता का विषय है।

इस नए प्रोजेक्ट के तहत जैसलमेर में वर्तमान में गोडावण की संख्या का विवरण और स्टेटस, रिमोट सेंसिंग और GIS का प्रयोग करते हुए सैटेलाइट इमेज़ की सहायता से गोडावण के लिये उपयुक्त आवास स्थल का मैप तैयार किया जाएगा। संभावित खतरों की पहचान और उनके समाधान पर शोध किया जाएगा। ये शोध गोडावण के संरक्षण में सहायक होंगे।

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