विविध
RAPID FIRE करेंट अफेयर्स (22 नवंबर)
- 22 Nov 2019
- 6 min read
विश्व मात्स्यिकी दिवस
- प्रतिवर्ष 21 नवंबर को विश्व मात्सियिकी दिवस का आयोजन किया जाता है।
- इस दिन 1997 में 18 देशों के मत्स्य कृषकों और मत्स्य कर्मकारों के विश्व मंच का प्रतिनिधित्व करने वाले मछुआरों की बैठक नई दिल्ली में हुई थी।
- इस बैठक में सतत् मत्स्य-आखेट के प्रयोगों और नीतियों के एक वैश्विक जनादेश का समर्थन करते हुए विश्व मात्स्यिकी मंच (World Fisheries Forum-WFF) की स्थापना की गई थी।
- इसके बाद से हर वर्ष 21 नवंबर को पूरे विश्व में विश्व मात्स्यिकी दिवस के रूप में इसका आयोजन किया जाता है।
भारतीय मत्स्य पालन एवं जल-कृषि खाद्य उत्पादन का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है जो 14 मिलियन से अधिक लोगों को आजीविका और लाभकारी रोज़गार के अलावा पोषण संबंधी सुरक्षा प्रदान करता है तथा कृषि निर्यात में योगदान देता है। गहरे समुद्रों से लेकर पर्वतों में झीलों तक तथा मत्स्य और सीपदार मछलियों की प्रजातियों के निबंधनों के अनुसार वैश्विक जैव-विविधता के 10% से अधिक के विविध संसाधनों के साथ, देश ने मत्स्य उत्पादन में स्वाधीनता से एक निरंतर तथा समर्थित वृद्धि दर्शाई है। वैश्विक मत्स्य उत्पादन में लगभग 6.3% का योगदान करते हुए, 11.60 मिलियन मीट्रिक टन का कुल मत्स्य उत्पादन वर्तमान समय में अंतर्देशीय क्षेत्र से लगभग 65% और लगभग वही मात्स्यिकी कृषि से 50% का योगदान कर रहा है।
ग्लोबल बायो-इंडिया कार्यक्रम
- भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग अपने सार्वजनिक उपक्रम, जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद के सहयोग से ग्लोबल बायो-इंडिया सम्मेलन कार्यक्रम का आयोजन किया। इस आयोजन में भारतीय उद्योग परिसंघ, एसोसिएशन ऑफ बायोटेक्नोलॉजी लेड एंटरप्राइजेज और इनवेस्टर इंडिया भागीदार रहे।
- भारत में पहली बार ग्लोबल बायो-इंडिया का आयोजन किया गया और इससे अकादमियों, नवोन्मेषकों, शोधकर्त्ताओं, मध्यम और बड़ी कंपनियों को एक मंच उपलब्ध होगा।
- जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र को वर्ष 2025 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में योगदान करने के लिये एक प्रमुख इंजन माना जाता है।
- इस सम्मेलन ने जैव-फार्मा, जैव-कृषि, जैव-औद्योगिक, जैव-ऊर्जा और जैव-सेवाओं तथा संबंधित क्षेत्रों की प्रमुख चुनौतियों पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिये भारत के जैव-प्रौद्योगिकी क्षेत्र की क्षमता को प्रदर्शित करने, पहचान करने, अवसरों का सृजन करने और विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान किया।
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय निकायों, केंद्रीय और राज्य मंत्रालयों, नियामक निकायों, MSMEs, बड़े-बड़े उद्यमियों, जैव समूहों, अनुसंधान संस्थानों, निवेशकों, इनक्यूबेटर, स्टार्ट-अप और अन्य सहित वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी हितधारकों को साथ लाने के लिये यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
उत्तराखंड में पशुओं की UID टैगिंग
- प्रदेश के 12 ज़िलों में दुधारू पशुओं की नस्ल सुधारने के साथ ही उनकी UID टैगिंग की जाएगी।
- इसके लिये पशुपालन विभाग ने प्रत्येक जनपद में 100 गाँवों को चिन्हित किया है।
- मार्च 2020 तक एक गाँव से दो पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान कर टैगिंग करने का लक्ष्य रखा गया है।
- टैगिंग के बाद नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड के एप पर पंजीकरण किया जाएगा। इससे पशुओं को लावारिस छोड़ने पर मालिक का पता चल सकेगा, साथ ही पशुओं के टीकाकरण का रिकॉर्ड भी ऑनलाइन किया जाएगा। केंद्र ने विदित हो कि पशुपालन व्यवस्था को बढ़ावा देने को पशु प्रजनन के लिये राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान योजना शुरू की है।
- राज्य में पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इस योजना को ऊधमसिंह नगर व हरिद्वार जनपद में चलाया गया था। अब ऊधमसिंह नगर को छोड़ कर सभी 12 ज़िलों में छह माह के इस योजना को चलाया गया है।
- इसमें दुधारू पशु का कृत्रिम गर्भाधान करने के बाद UID टैगिंग की जाएगी, जिसमें 12 अंकों का टैग पशु को लगाया जाएगा। टैगिंग से पशु का पंजीकरण ऑनलाइन होगा।
- इससे विभाग के पास पशु के उपचार का रिकॉर्ड उपलब्ध रहेगा। यदि कोई किसान पशु को लावारिस छोड़ देता है तो टैगिंग से मालिक की पहचान हो जाएगी।
- हर गाँव से 200 पशुओं को कृत्रिम गर्भाधान करने का लक्ष्य रखा है। इससे प्रदेश में दुग्ध उत्पाद बढ़ेगा, पशु नस्ल में सुधार होगा तथा साथ ही UID टैगिंग से लावारिस पशुओं की समस्या भी दूर होगी।