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RAPID FIRE करेंट अफेयर्स (19 नवंबर)

  • 19 Nov 2019
  • 10 min read

अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस

  • 19 नवंबर को प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस (International Men's Day) का आयोजन किया जाता है।
  • इसका उद्देश्य मुख्य रूप से पुरुषों और लड़कों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना, लैंगिक समानता को बढ़ावा देना तथा पुरुष रोल मॉडल्स के महत्त्व को उजागर करना है।
  • इसके अलावा यह दिन मुख्य रूप से पुरुषों को भेदभाव, शोषण, उत्पीड़न, हिंसा और असमानता से बचाने और उन्हें उनके अधिकार दिलाने के लिये भी मनाया जाता है।
  • विदित हो कि 80 देशों में 19 नवंबर को इसे मनाया जाता है और इसे यूनेस्को का भी सहयोग प्राप्त है।
  • इस बार अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस की थीम- मेकिंग अ डिफरेंस फॉर मेन एंड बॉयज (Making a Difference for Men & Boys) रखी गई है।
  • इस दिवस को मनाने की शुरुआत 7 फरवरी, 1992 को थॉमस ओस्टर ने की थी।
  • भारत में इस दिवस को मनाने की शुरुआत वर्ष 2007 से हुई।

‘वन नेशन-वन पे डे’ सिस्टम

  • औपचारिक क्षेत्र में काम कर रहे लोगों, खासतौर पर कामकाजी वर्ग (Working Class) के कर्मचारियों के हित में केंद्र सरकार वन नेशन-वन पे डे सिस्टम पर विचार कर रही है।
  • यदि यह सिस्टम लागू हो जाता है तो पूरे देश में औपचारिक क्षेत्र के सभी कर्मचारियों को एक ही दिन वेतन मिलेगा।
  • सेंट्रल एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट सिक्युरिटी इंडस्ट्री की ओर से सिक्युरिटी लीडरशिप समिट 2019 में इस बात पर बल दिया गया कि विभिन्न क्षेत्रों के कर्मचारियों को समय पर वेतन भुगतान के लिये पूरे देश में हर महीने एक दिन वेज-डे के लिये निश्चित होना चाहिये। सरकार इस कानून को जल्द पारित चाहती है।
  • इसके साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के लिये न्यूनतम वेतन (Minimum Wages) तय करने की दिशा में काम चल रहा है।
  • श्रम कानूनों में सुधार की प्रक्रिया लगातार जारी है। इसके तहत 44 जटिल श्रम कानूनों में सुधार का कार्य किया गया है।
  • केंद्र सरकार ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड और कोड ऑन वेजेस को लागू करने पर काम कर रही है। संसद पहले ही इन कानूनों को पास कर चुकी है। कोड ऑन वेजेस को लागू करने के लिये सरकार ने फ्रेमवर्क जारी कर दिया है।
  • प्राइवेट सिक्युरिटी आज एक बड़ी रोज़गार प्रदाता इंडस्ट्री है। मौजूदा समय में करीब 90 लाख लोग इस इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं।

मानव अंतरिक्ष मिशन के लिये 12 पायलटों का चयन

  • भारत के अंतरिक्ष में मनुष्य को भेजने के पहले मिशन 'गगनयान' के लिये फाइनल ट्रेनिंग हेतु रूसी विशेषज्ञों की मदद से भारतीय वायु सेना (IAF) के 12 पायलटों को चुना गया है। इन सभी को 60 पायलटों में से चुना गया है।
  • ये सभी रूस में यूरी गगारिन/गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में 45 दिनों के शुरुआती अभ्यास के लिये गए थे। इनमें से 7 अपनी ट्रेनिंग पूरी कर चुके हैं और अगले चरण के कठिन अभ्यास के लिये भारत लौटेंगे।
  • इस प्रक्रिया के पूरी होने के बाद तीन अंतरिक्ष यात्रियों का चयन किया जाएगा जो भारत के वर्ष 2022 के मिशन का हिस्सा होंगे। इन 'गगनयात्रियों' की ट्रेनिंग अगले साल रूस के गगारिन सेंटर में शुरू होगी। हालाँकि यह स्वास्थ्य मानकों पर की जाने वाली चयन प्रक्रिया के परिणाम पर निर्भर करेगा।
  • गौरतलब है कि वर्ष 2018 में रूस के साथ हुए समझौते के तहत भारत के पहली बार मानव को अंतरिक्ष में भेजने के मिशन में रूस मदद कर रहा है। इसमें चयन से लेकर ट्रेनिंग और तकनीकी जानकारी तथा सुविधाएँ उपलब्ध कराना भी शामिल है।

फेक न्यूज़ की रोकथाम के लिये FACT चेक मॉड्यूल

  • सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर ‘फेक न्यूज़’ (Fake News) के बढ़ते मामलों मद्देनज़र भारत सरकार इनसे निपटने के लिये सूचना-प्रसारण मंत्रालय के तहत फैक्ट चेकिंग मॉड्यूल का गठन करने जा रही है।
  • इस मॉड्यूल का काम ऐसे मामलों की पहचान कर आवश्यक कदम उठाना होगा। प्रधानमंत्री कार्यालय और सूचना प्रसारण मंत्रालय ने इन फर्ज़ी खबरों से निपटने के लिये तत्काल कोई मैकेनिज्म बनाए जाने की ज़रूरत पर बल दिया है।
  • सरकार द्वारा गठित किये जा रहे फैक्ट चेक मॉड्यूल को शुरुआत में भारतीय सूचना सेवा के अधिकारियों द्वारा संचालित किये जाएगा। इस मॉड्यूल में चार मुख्य सिद्धांतों- खोज (Find), आकलन (Assess), क्रिएट (Create) और टारगेट (Target) यानी FACT पर काम किया जाएगा।
  • यह मॉड्यूल 24x7 काम करेगा और ऑनलाइन न्यूज सोर्स के साथ ही सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सभी सोशल मीडिया पोस्ट की निगरानी करेगा।
  • विदित हो कि पारंपरिक मीडिया संस्थानों पर लागू होने वाले कायदे-कानून ऑनलाइन मीडिया पर लागू नहीं होते। ऐसे में ऑनलाइन माध्यमों में भ्रामक सूचनाएँ अधिक फैलने की आशंका रहती है।
  • इसके लिये FACT की टीम उन स्टोरीज़ की पहचान कर आवश्यक कदम उठाएगी, जिनमें सरकार अथवा उसकी एजेंसियों से संबंधित फर्जी सूचनाओं को बढ़ावा दिया गया हो।
  • फिलहाल इस फैक्ट चेक मैकेनिज्म का फोकस ऑनलाइन और डिजिटल कंटेंट पर होगा, बाद में इसका विस्तार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी किया जाएगा।

फेक न्यूज़ क्या है?: फेक न्यूज़ के तहत किसी के पक्ष में गलत प्रचार करना व झूठी खबर फैलाने जैसे कृत्य आते हैं। किसी व्यक्ति या संस्था की छवि को नुकसान पहुँचाने या लोगों को उसके खिलाफ झूठी खबर के ज़रिये भड़काने की कोशिश करना फेक न्यूज़ कहलाता है। सनसनीखेज और झूठी खबरों, बनावटी हेडलाइन के ज़रिये अपनी रीडरशिप और ऑनलाइन शेयरिंग बढ़ाकर क्लिक रेवेन्यू बढ़ाना भी फेक न्यूज़ की श्रेणी में आते हैं। आज दुनियाभर में फेक न्यूज़ एक बड़ी समस्या बन चुकी है। इसके ज़रिये कोई भी अफवाह फैलाई जा सकती है, किसी की भी छवि को नुकसान पहुँचाया जा सकता है।


वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप

  • भारत ने वर्ल्ड पैरा एथेलटिक्स चैंपियनशिप-2019 में अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। भारत इस चैंपियनशिप में 24वें स्थान पर रहा।
  • दुबई में हुई वर्ल्ड पैरा एथेलटिक्स चैंपियनशिप में भारत ने दो स्वर्ण, दो रजत और पाँच कांस्य पदक हासिल किये। इसके बाद भारत के कई खिलाड़ी चौथे स्थान पर आकर पदक से भी चूके।
  • भारत ने इस विश्व चैंपियनशिप से कुल 13 टोक्यो पैरालम्पिक-2020 कोटा हासिल किये।
  • भारत के जेवेलिन थ्रोअर संदीप चौधरी ने एफ-44 कैटेगरी में विश्व रिकॉर्ड बना स्वर्ण पदक हासिल किया। उन्होंने 64 कैटेगरी में भी अपना सर्वश्रेष्ठ 65.08 मीटर का थ्रो फेंक सोने का तमगा हासिल किया। इसी इवेंट में भारत के सुमित अंटिल ने 62.88 मीटर की थ्रो के साथ रजत पदक जीता।
  • एफ-46 में सुंदर सिंह गुर्जर ने 61.22 मीटर की थ्रो फेंक अपना विश्व खिताब बचाए रखा। ऊँची कूद (टी63) में शरद कुमार और टी मरियप्पन ने रजत और कांस्य पदक जीतकर अगले साल होने वाले टोक्यो पैरालंपिक के लिये क्वॉलिफाई किया।
  • चीन 25 स्वर्ण सहित कुल 59 पदक लेकर शीर्ष पर रहा। उसके बाद ब्राज़ील (39) और ग्रेट ब्रिटेन (28) क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।
  • इससे पहले भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन लंदन 2017 में था जहाँ देश के पैरा खिलाड़ियों ने एक स्वर्ण सहित पाँच पदक हासिल किये थे और टीम तालिका में 34वें स्थान पर रही थी।

आपको बता दें कि पैरालंपिक खेल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली मल्टी-स्पोर्ट्स प्रतियोगिता है, जिसमें शारीरिक तथा मानसिक रूप से कमज़ोर खिलाड़ी भाग लेते हैं। इसमें शीतकालीन और समर पैरालाम्पिक खेल होते हैं, जो इन ओलंपिक खेलों के तुरंत बाद आयोजित किये जाते हैं। सभी पैरालम्पिक गेम्स अंतर्राष्ट्रीय पैरालम्पिक कमेटी द्वारा संचालित होते हैं।

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