नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (27 May)

  • 27 May 2019
  • 9 min read
  • शांति रक्षा अभियानों के एवज़ में संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत को लगभग 3.8 करोड़ डॉलर (266 करोड़ रुपए) चुकाने हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा किसी भी देश को भुगतान की जाने वाली यह सबसे अधिक राशि है। इसके बाद रवांडा (3.1 करोड़ डॉलर), पाकिस्तान (2.8 करोड़ डॉलर), बांग्लादेश (2.5 करोड़ डॉलर) और नेपाल (2.3 करोड डॉलर) का बकाया चुकाया जाना है। 31 मार्च, 2019 तक सैनिक और पुलिस के रूप में योगदान दे रहे देशों को भुगतान की जाने वाली कुल राशि 26.5 करोड़ डॉलर है। संयुक्त राष्ट्र की वित्तीय स्थिति में सुधार विषय पर आयोजित एक सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षा अभियान की वित्तीय स्थिति, खासतौर से भुगतान न करना या उसमें हो रही देरी को चिंता का विषय बताया गया। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देश हैं जो अपनी सहयोग राशि इसे देते हैं, लेकिन वर्ष 2018-19 में केवल 74 देशों ने ही सहयोग राशि जमा की है।
  • वाराणसी में प्लास्टिक से बायो डीज़ल बनाने का प्लांट लगाने की योजना बनाई जा रही है । देश में अपने तरीके का यह पहला प्लांट होगा और इसकी पहल अमेरिकी संस्था 'रीन्यू ओशन' ने की है, जिसने IIT BHU के साथ करार किया है। प्लांट के लिये शहरी इलाके और नालों से प्लास्टिक इकट्ठा करने का ज़िम्मा नगर निगम संभालेगा। नॉन-रिसाइक्लेबल प्लास्टिक से बायो-डीज़ल बनाने के प्लांट में 100 किलोग्राम प्लास्टिक से 70 लीटर तक बायो-डीज़ल तैयार किया जा सकेगा। फिलहाल इस डीज़ल का उपयोग IIT में होने वाले शोध कार्यों में किया जाएगा। इतना ही नहीं इससे निकलने वाले नेफ्था से सड़क बनाई जा सकेगी। नालों के ज़रिये गंगा में गिरने या फिर कूड़े में मिले प्लास्टिक को ज़मीन में दबाने की जगह उसे प्लांट तक लाकर डीजल बनाया जाएगा। ज्ञातव्य है कि पॉलिथीन और प्लास्टिक उत्पादों में कार्बन और हाइड्रोजन का मिश्रण होता है और ये तत्त्व पेट्रोलियम पदार्थों में भी होते हैं। पॉलिथीन और प्लास्टिक उत्पादों को प्लांट में एक निश्चित तापमान और दबाव में गर्म करने पर इससे डीज़ल का उत्पादन होगा। इस तकनीक को पायरोलिसिस कहते हैं और इस तरह का बड़ा प्लांट अमेरिका में भी कार्यरत है।
  • वायुसेना में फ्लाइंग लेफ्टिनेंट भावना कंठ प्रशिक्षित फाइटर पायलट बन गई हैं और इसके साथ ही देश को पहली महिला फाइटर पायलट मिल गई है। उन्होंने कुछ समय पहले अकेले मिग-21 युद्धक विमान उड़ाया था। भावना के बाद मोहना सिंह और अवनी चतुर्वेदी भी फाइटर पायलट बनेंगी। ज्ञातव्य है कि वायुसेना में लगभग 1500 महिलाएँ हैं, जो अलग-अलग विभागों में काम कर रही हैं। 1991 से ही महिलाएँ हेलीकॉप्टर और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट उड़ा रही हैं। भारतीय वायुसेना में फिलहाल 94 महिला पायलट हैं, लेकिन इन्हें सुखोई, मिराज, जगुआर और मिग जैसे फाइटर जेट्स उड़ाने की अनुमति नहीं है।
  • स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ताओं ने एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला है कि मीथेन को कार्बन डाइऑक्साइड में बदल कर ग्लोबल वार्मिंग में कमी लाई जा सकती है। उनके अनुसार एक ग्रीनहाउस गैस को अन्य गैस में परिवर्तित कर ग्लोबल वार्मिंग के कुप्रभावों पर अंकुश लगाया जा सकता है। शोधकर्त्ताओं के अनुसार, धान की खेती और पशुपालन जैसे कई कारक हैं जिनसे मीथेन गैस बनती है और इसे वायुमंडल से समाप्त करना संभव नहीं है। ऐसे में मीथेन को वायुमंडल से कम करने का उक्त प्रयास कारगर सिद्ध हो सकता है और इसका वायुमंडल के ताप पर कोई विशेष प्रभाव भी नहीं पड़ता। शोधकर्त्ताओं का यह भी कहना है कि वातावरण में औद्योगिक क्रांति के पहले का स्तर लाने के लिये कार्बन डाइऑक्साइड को हटाना ज़रूरी है, जो कि संभव नहीं है। इसके विपरीत मीथेन की सांद्रता को रि-स्टोर किया जा सकता है।
  • ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के शोधकर्त्ताओं द्वारा किये गए एक अध्ययन से पता चला है कि निएंडरथल और आधुनिक मानव लगभग आठ लाख साल पहले अलग हुए थे। DNA आधारित अनुमानों के आधार पर शोधकर्त्ता इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं। इस अध्ययन में शोधकर्त्ताओं ने होमिनिन प्रजातियों के दंत विकास संबंधी क्रम का विश्लेषण किया। इससे पता चला कि स्पेन के सिरमा डे लॉस हूसोस में पाए गए निएंडरथल के पूर्वजों के दाँत आधुनिक मानव से अलग हैं। आपको बता दें कि सिरमा डे लॉस हूसोस स्पेन की अटपुर्का पहाड़ी में एक गुफा को कहते हैं, जहाँ पुरातत्त्वविदों ने मनुष्यों के 30 जीवाश्मों का पता लगाया था। पूर्व में किये गए अध्ययनों में इस गुफा को लगभग 43 लाख वर्ष पुराना बताया गया था।
  • घायल और बीमार हाथियों के इलाज के लिये उत्तराखंड का पहला हाथी अस्पताल हरिद्वार की चीला रेंज में खुलने जा रहा है। इस अस्पताल में हाथियों को न केवल समय पर एवं सही तरीके से उपचार मिल सकेगा, बल्कि हाथियों के संरक्षण एवं संवर्द्धन में भी मदद मिलेगी। ज्ञातव्य है कि एशियाई हाथियों के लिये प्रसिद्ध राजाजी टाइगर रिज़र्व में हाथियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा कॉर्बेट नेशनल पार्क और लैंसडाउन वन प्रभाग के जंगलों में भी हाथी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। लेकिन उत्तराखंड में अभी तक हाथियों के बेहतर इलाज के लिये कहीं भी कोई अस्पताल नहीं है। उनके लिये सिर्फ मोबाइल वैन के माध्यम से उपचार देने की सुविधा उपलब्ध है। चूँकि चीला रेंज में पहले से ही हाथियों और उनके बच्चों की देखरेख की जाती है, इसलिये यहाँ हाथी अस्पताल बनाया गया।
  • स्लम बस्तियों में रहने वाले बच्चों के लिये स्ट्रीट चाइल्ड क्रिकेट वर्ल्ड कप 30 अप्रैल से 8 मई तक इंग्लैंड में खेला गया। इसमें 7 देशों की 8 टीमों ने हिस्सा लिया। इस मिक्स्ड जेंडर टूर्नामेंट में भारत की दो टीमों ने हिस्सा लिया, जिनके नाम इंडिया नॉर्थ और इंडिया साउथ थे। लड़के-लड़कियों की एक टीम में 8 खिलाड़ी थे, जिनमें 4 लड़के और 4 लड़कियाँ थीं। इंडिया साउथ की टीम में मुंबई और चेन्नई के स्लम में रहने वाले खिलाड़ी थे। इस टीम ने लॉर्ड्स में खेले गए फाइनल में इंग्लैंड की टीम को पाँच रन से हराकर खिताब जीत लिया। पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान सौरव गांगुली दोनों टीमों के ब्रांड एंबेसडर थे। स्लम और सड़क पर रहने वाले बच्चों के लिये काम करने वाली संस्था स्ट्रीट चाइल्ड यूनाइटेड ने इस वर्ल्ड कप का आयोजन किया था और यह अपनी तरह का पहला ऐसा आयोजन था।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow