21 और 22 मई को किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक हुई। इस बैठक में आतंकवाद सहित विभिन्न सामयिक मुद्दों पर चर्चा करने के अलावा विदेश मंत्रियों की परिषद ने अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय महत्त्व के शीर्ष मुद्दों पर भी विचार किया। इसके अलावा बिश्केक में 13-14 जून को होने जा रहे SCO शिखर सम्मेलन की तैयारियों की समीक्षा भी की गई। ज्ञातव्य है कि भारत 2017 में इस समूह का पूर्णकालिक सदस्य बना था और उसके साथ पाकिस्तान को भी SCO की सदस्यता प्रदान की गई थी। भारत SCO तथा इसके क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी ढाँचे (RATS) के साथ सुरक्षा संबंधी सहयोग को और मजबूत करना चाहता है, क्योंकि इसके दायित्वों में सुरक्षा एवं रक्षा संबंधी मुद्दों का समाधान करना शामिल है। गौरतलब है कि पिछले महीने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिश्केक में SCO के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया था। SCO की स्थापना वर्ष 2001 में शंघाई में संपन्न एक शिखर सम्मेलन में रूस, चीन, किर्गिस्तान, कज़ाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने की थी।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल ने विशेषीकृत पर्यवेक्षी और नियामकीय कैडर (Specialised Supervisory & Regulatory Cadre) सृजित करने का फैसला किया है। इसका उद्देश्य वाणिज्यिक बैंकों, शहरी सहकारी बैंकों तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की निगरानी तथा नियमन व्यवस्था को मज़बूत करना है। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में केंद्रीय निदेशक मंडल की बैठक में इस आशय का निर्णय किया गया। रिज़र्व बैंक के निदेशक मंडल ने मौजूदा आर्थिक स्थिति, वैश्विक तथा घरेलू चुनौतियों तथा विभिन्न क्षेत्रों में केंद्रीय बैंक के कामकाज की समीक्षा करने के दौरान यह निर्णय लिया।
केंद्र सरकार ने नए मत्स्य मंत्रालय का गठन कर दिया गया है। वर्तमान वर्ष के आम बजट में इसके गठन का ऐलान किया गया था। हरियाणा कैडर की IAS अधिकारी रजनी सेखरी सिब्बल को इसका सचिव नियुक्त किया गया है। ज्ञातव्य है कि अब तक मत्स्य पालन विभाग कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के तहत आता था। इस मंत्रालय के पशुपालन और डेयरी विभाग के सचिव के तहत मत्स्य विभाग काम करता था। केंद्र सरकार ने मत्स्य पालन में अपार संभावनाओं के मद्देनज़र इसके लिये एक अलग मंत्रालय गठित करने का फैसला किया था। वैसे भी भारत वैश्विक स्तर पर समुद्री उत्पादों के निर्यात में अग्रणी देशों में शामिल है। भारत की लगभग 7500 किमी. लंबी समुद्री सीमा है, जिसमें मत्स्य पालन की वृहद् संभावनाएँ हैं।
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो को विश्व के इस तीसरे बड़े लोकतंत्र का फिर से राष्ट्रपति चुना गया है। इंडोनेशिया के निर्वाचन आयोग के अनुसार इंडोनेशियन डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ स्ट्रगल के सदस्य जोको विडोडो ने अपने प्रतिद्वंद्वी एवं सेवानिवृत्त जनरल प्राबोवो सुबियांतो को हराया। गौरतलब है कि इंडोनेशिया में 17 अप्रैल को राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव एक साथ कराए गए थे। एक दिन में 19.2 करोड़ से भी अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इसे एक दिन में संपन्न होने वाला दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव माना गया था। इससे पहले जोको विडोडो जुलाई 2014 में हुए चुनाव में राष्ट्रपति चुने गए थे। वह जकार्ता के गवर्नर रह चुके हैं और इंडोनेशिया के ऐसे पहले राष्ट्रपति हैं जिनकी पृष्ठभूमि राजनीति और सेना से नहीं है।
22 मई को दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया गया। सभी जीवों एवं पारिस्थितिकी तंत्रों की विभिन्नता एवं असमानता को जैव विविधता कहा जाता है। 1992 में ब्राज़ील के रियो डि जेनेरियो में हुए जैव विविधता सम्मेलन के अनुसार जैव विविधता की परिभाषा इस प्रकार है: "धरातलीय, महासागरीय एवं अन्य जलीय पारिस्थितिकीय तंत्रों में मौजूद अथवा उससे संबंधित तंत्रों में पाए जाने वाले जीवों के बीच विभिन्नता ही जैव विविधता है।" विश्व के समृद्धतम जैव विविधता वाले 17 देशों में भारत भी शामिल है, जिनमें विश्व की लगभग 70 प्रतिशत जैव विविधता पाई जाती है। आपको बता दें कि वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस के रूप में घोषित किया था। वर्ष 2019 के लिये इस दिवस की थीम Our Biodiversity, Our Food, Our Health रखी गई है।
ब्रिटेन के सेंटर फॉर पोलर ऑब्जर्वेशन एंड मॉडलिंग ने यूरोपीय स्पेस एजेंसी के सैटेलाइट आकलनों और क्षेत्रीय जलवायु के एक मॉडल के ज़रिये पूरे बर्फ आच्छादित क्षेत्र में हुए बदलावों पर अध्ययन करने से पता चला है कि जलवायु परिवर्तन की वज़ह से अंटार्कटिक क्षेत्र बर्फ तेज़ी से पिघल रही है। वैज्ञानिकों के अनुसार, कई स्थानों पर बर्फ की परत 122 मीटर तक पतली हो गई है, जबकि पश्चिमी अंटार्कटिक में तेज़ी से बदलाव हो रहा है। इस बदलाव के कारण बर्फ पिघलने से अधिकांश ग्लेशियरों का संतुलन बिगड़ रहा है और वे अस्थिर हो गए हैं। गौरतलब है कि 1992 के बाद से पश्चिमी अंटार्कटिक में बर्फ पिघलने वाले क्षेत्र का दायरा बढ़कर 24 प्रतिशत हो गया।