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Rapid Fire करेंट अफेयर्स (22 May)

  • 22 May 2019
  • 7 min read
  • केंद्र सरकार ने बिल्डरों के प्रोजेक्ट्स, खान और नई औद्योगिक इकाई शुरू करने के लिये पर्यावरण छूट की सीमा बढ़ा दी है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक नई अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत अब 20 हज़ार से 50 हज़ार वर्गमीटर क्षेत्रफल में होने वाले निर्माण के लिये पर्यावरण प्रभाव आकलन मंज़ूरी की ज़रूरत नहीं होगी। अभी तक यह छूट 20 हज़ार वर्गमीटर तक के प्रोजेक्ट्स के लिये थी। 50 हज़ार वर्ग मीटर से ज़्यादा के प्रोजेक्ट्स के लिये अभी भी पर्यावरण प्रभाव का आकलन कराना ज़रूरी होगा। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत बनाए गए नियमों में ज़िला स्तर, राज्य स्तर और केंद्र सरकार के स्तर पर पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण का गठन वर्ष 2006-07 में किया गया। इसके तहत हर बड़ी परियोजनाओं की मंज़ूरी से पहले पर्यावरण पर पड़ने वाले असर का अध्ययन कराना होता है। साथ ही सामाजिक, आर्थिक प्रभाव को भी इसमें शामिल करना होता था। बहुत बड़े प्रोजेक्ट्स के मामले में लोगों की राय भी ली जाती थी। ऐसे ही कई स्तरों की जाँच से गुज़रने के बाद पर्यावरण अनुमति मिल पाती थी और इसमें होने वाले विलंब की वज़ह से उद्योग जगत में असंतोष व्याप्त था।
  • डिजिटल भुगतान के संवर्द्धन पर परामर्श देने के लिये नंदन नीलेकणि की अध्यक्षता में बनाई गई एक समिति ने 17 मई को अपनी रिपोर्ट रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास को सौंपी। इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिये पाँच सदस्यीय समिति ने विभिन्न हितधारकों से विचार-विमर्श किया। केंद्रीय बैंक ने कहा कि वह समिति की सिफारिशों पर गौर करेगा और आवश्यकतानुसार क्रियान्वयन के लिये अपने भुगतान प्रणाली दृष्टिकोण 2021 में शामिल करेगा।। ज्ञातव्य है कि देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक ने इसी वर्ष जनवरी में नंदन निलेकणी की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की थी। इस समिति को गठित करने का उद्देश्य डिजिटल भुगतान की मज़बूती और सुरक्षा को लेकर सुझाव देना तथा डिजिटलीकरण के माध्यम से वित्तीय समावेशन और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना था।
  • बांधों में पानी के चिंताजनक स्तर तक गिर जाने के बीच केंद्र ने 18 मई को महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना को परामर्श-पत्र जारी करते हुए पानी का समझदारी से इस्तेमाल करने को कहा है। एक दिन बाद यह परामर्श-पत्र तमिलनाडु को भी जारी किया गया। परामर्श-पत्र में कहा गया है कि ये राज्य पानी का प्रयोग तब तक केवल पीने के लिये ही करें, जब तक कि बांधों में पुनर्भरण नहीं होता। केंद्रीय जल आयोग द्वारा राज्यों को 'सूखा सलाह' तब जारी की जाती है जब जलाशयों में पानी का स्तर पिछले दस साल के जल भंडारण के औसत से 20 प्रतिशत कम हो जाता है। आयोग देश के 91 मुख्य जलाशयों में पानी के भंडारण की निगरानी करता है। इसके द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, अभी पानी का उपलब्ध कुल भंडार 35.99 अरब घनमीटर है जो इन जलाशयों की क्षमता का 22 फीसदी है। सभी 91 जलाशयों की कुल क्षमता 161.993 अरब घनमीटर है।
  • दक्षिण-पूर्व एशियाई देश ईस्ट तिमोर जल्दी ही विश्व का पहला प्लास्टिक कचरा मुक्त देश बनने की राह पर अग्रसर है। ईस्ट तिमोर में ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्त्ताओं की मदद से प्लास्टिक कचरे को रिसाइकल करने की योजना पर काम चल रहा है, जिससे प्लास्टिक के नए उत्पाद बनाए जाएंगे। यह तकनीक देश के लिये इसलिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ समुद्री तट काफी अधिक हैं और इन तटों पर प्लास्टिक का कचरा बिखरा रहता है। इस योजना पर काम वर्ष 2020 तक शुरू होने की संभावना है। फिलहाल ईस्ट तिमोर में प्लास्टिक वेस्ट को खुले में जला दिया जाता है। इस छोटे से देश की जनसंख्या केवल 13 लाख है और यहाँ प्रतिदिन लगभग 70 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। गौरतलब है कि विश्व में विभिन्न देश 80 लाख टन प्लास्टिक प्रतिवर्ष समुद्र में फेंकते हैं, जो रिसाइकल नहीं होता है।
  • ऑस्ट्रेलिया में प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन की कंज़र्वेटिव लिबरल्स पार्टी ने एक बार फिर आम चुनाव में जीत हासिल की है। उनकी पार्टी ने 151 में से 74 सीटें हासिल की हैं, जो कि बहुमत से केवल दो सीटें कम हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन की जीत के बाद विपक्षी लेबर पार्टी के नेता बिल शॉर्टन को इस्तीफा देना पड़ा। यह चुनाव मुख्य रूप से जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर लड़ा गया था, जिसके साथ रहन-सहन का स्तर और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे मुद्दे भी शामिल थे। लगभग 1.6 करोड़ ऑस्ट्रेलियाई मतदाताओं ने देश का 31वाँ प्रधानमंत्री चुनने के लिये मतदान किया। गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया में हर तीन साल में होने वाले आम चुनावों में वर्ष 2007 के बाद से कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। ऑस्ट्रेलिया में 1924 से ही मतदान अनिवार्य है और अगर कोई पंजीकृत योग्य मतदाता बिना किसी वैध कारण के अपना वोट नहीं डालता तो उस पर राष्ट्रमंडल निर्वाचन अधिनियम, 1918 (Commonwealth Electoral Act 1918) की धारा 245 के तहत आर्थिक दंड लगाया जाता है।
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