भारतीय रिज़र्व बैंक ने अगले तीन साल के लिये 12 लक्ष्यों की एक सूची तैयार की है, जिसमें डिजिटल पेमेंट को चार गुना बढ़ाना, पेपर बेस्ड ट्रांजैक्शन में कमी लाना, पेमेंट प्राइसिंग को बेहतर बनाना, ग्राहकों की शिकायतों के निपटारे के लिये बेहतर व्यवस्था करना और नए पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स (PSO) की सेवाएँ शुरू कराना शामिल है। रिज़र्व बैंक ने तय समय तक लक्ष्य हासिल करने के लिये हाल ही में जारी पेमेंट्स सिस्टम्स विज़न 2022 डॉक्युमेंट में सभी हितधारकों और गवर्निंग बॉडीज़ की तरफ से उठाए जाने वाले कदमों की व्यापक कार्ययोजना का ज़िक्र किया था। रिज़र्व बैंक ने मौजूदा पेमेंट सिस्टम में सुधार लाने के लिये प्रतिस्पर्द्धा, लागत, सहूलियत और विश्वास सहित ऐसे चार क्षेत्रों का चुनाव किया है जहाँ उसकी तरफ से नीतिगत दखल दिया जा सकता है। केंद्रीय बैंक ने यह भी तय किया है कि कार्ड के ज़रिये होने वाले ट्रांजैक्शंस में अगले तीन साल में छह गुना बढ़ोतरी हो सकती है और इससे भारत 'कैश लाइट' देशों की सूची में शामिल हो जाएगा। रिज़र्व बैंक ने NEFT और RTGS की ट्रांजेक्शन लिमिट और समयावधि बढ़ाने पर भी विचार किया है और आने वाले समय में यूज़र्स को बिना इंटरनेट और स्मार्टफोन वाला यूनिवर्सल पेमेंट सॉल्यूशन मुहैया कराने पर भी विचार करेगा।
यूनेस्को ने कैलास भू-क्षेत्र को विश्व धरोहर की अंतरिम सूची में भी शामिल कर लिया है। पवित्र कैलास भू-क्षेत्र भारत सहित चीन व नेपाल की संयुक्त धरोहर है। अब इसे विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने के प्रयास किये जा रहे हैं। इस पहल का असर यह होगा कि राष्ट्रीय महत्त्व वाले इस क्षेत्र को प्राकृतिक के साथ ही सांस्कृतिक (मिश्रित) श्रेणी की संरक्षित धरोहर का दर्जा मिलेगा। एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों की प्राकृतिक धरोहरों को वैश्विक पहचान दिलाने का कार्य यूनेस्को के दो केंद्रों के माध्यम से कार्य करने वाले प्राधिकरण के सहयोग से किया जाएगा। गौरतलब है कि कैलास क्षेत्र को संरक्षित विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने के लिये चीन व नेपाल पहले ही अपना प्रस्ताव यूनेस्को को भेज चुके थे। भारत ने भी अपने भूभाग के 7120 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल को यूनेस्को से प्रारंभिक मंज़ूरी प्रदान करा दी है। अब विभिन्न देशों का 31 हज़ार 175 वर्ग किलोमीटर भाग यूनेस्को की अंतरिम सूची में शामिल हो गया है।
अमेरिकी नौसेना प्रमुख एडमिरल जॉन रिचर्डसन हाल ही में तीन दिन की भारत यात्रा पर आए। उनकी भारत यात्रा का प्रमुख उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा दृष्टिकोण वाली दोनों नौसेनाओं के बीच संबंध को मज़बूत बनाना था। दोनों देशों ने आज़ाद और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिये आपसी प्रतिबद्धता और साझा दृष्टिकोण से भविष्य में और ज्यादा अवसर तलाशने पर सहमति जताई। इस दौरान दोनों नौसेनाओं के बीच सहयोग बढ़ाने की रूपरेखा तय करने वाले विशिष्ट कदमों पर भी चर्चा की गई। इसके अलावा दोनों देशों ने समुद्री सुरक्षा के दृष्टिकोण से सूचनाओं के आदान-प्रदान, तालमेल बढ़ाने, संयुक्त अभ्यास करने और अन्य साझेदारियों का फैसला किया। उल्लेखनीय है कि चीन संसाधन संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयास कर रहा है और उसके इस प्रयास को कमज़ोर करने के लिये अमेरिका रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण इस क्षेत्र में भारत द्वारा व्यापक भूमिका निभाने पर ज़ोर देता रहा है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आतंकी संगठन आईएसआईएस की दक्षिण एशिया शाखा पर प्रतिबंध लगा दिया है। संयुक्त राष्ट्र ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान में कई घातक हमलों में शामिल होने और आतंकी संगठन अल-कायदा से जुड़े होने को लेकर यह प्रतिबंध लगाया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अल कायदा प्रतिबंध समिति ने इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड दि लेवांत-खुरासान (आईएसआईएल-के) पर यह प्रतिबंध लगाया। इस संगठन को आईएसआईएस की दक्षिण एशिया शाखा के तौर पर भी जाना जाता है। आईएसआईएल-के का गठन 10 जनवरी 2015 को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के एक पूर्व कमांडर ने किया था।
बोइंग ने 737 मैक्स विमान में मैनोवरिंग कैरेक्टरिस्टिक ऑगमेन्टेशन सिस्टम (MCAS) से जुड़ी खामी को दूर करने के बाद परीक्षण हेतु 360 घंटों से ज्यादा उड़ान भरकर इसके सफल रहने का दावा किया है। इसके लिये 207 उड़ानें संचालित की गईं। लेकिन विमानों का परिचालन फिर शुरू करने से पहले बोइंग को प्रस्तावित सुधार पर अमेरिकी और अंतर्राष्ट्रीय नियामकों की अनुमति लेनी होगी। गौरतलब है कि अमेरिका की प्रमुख विमान निर्माता कंपनी बोइंग ने लायन एयर और इथियोपियन एयरलाइंस हादसों के बाद 737 मैक्स विमानों में सॉफ्टवेयर अपडेट करने की घोषणा की थी। इन विमान हादसों के बाद दुनियाभर के देशों ने इन विमानों को परिचालन से बाहर कर दिया था। बोइंग का कहना है कि सॉफ्टवेयर अपडेट को लेकर सारी इंजीनियरिंग परीक्षण उड़ानें पूरी कर ली गई हैं और अब इसकी प्रामाणिकता के लिये अंतिम उड़ान की तैयारी की जा रही है।
चीन के अंतरिक्ष यान चांग ई-4 ने चंद्रमा के अनदेखे हिस्से की पड़ताल शुरू कर दी है। चांग ई-4 की मदद से चंद्रमा के इस हिस्से की सतह के रासायनिक और खनिज घटकों के बारे में काफी जानकारी मिली है। इससे आने वाले समय में पृथ्वी और चंद्रमा के विकास क्रम से जुड़ी कई गुत्थियों के सुलझने की भी उम्मीद है। ज्ञातव्य है कि चांग ई-4 दुनिया का पहला यान है और यह चंद्रमा के उस हिस्से पर उतरा है, जो पृथ्वी से दिखाई नहीं देता। चांग ई-4 यान को पिछले वर्ष 8 दिसंबर को सिचुआन प्रांत के शिचांग सेटेलाइट लॉन्च सेंटर से लॉन्ग मार्च-3बी रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया था और यह इस वर्ष 3 जनवरी को सफलतापूर्वक चंद्रमा पर उतर गया था।
मेजर जनरल ए.के. ढींगरा को आर्म्ड फोर्सेज़ स्पेशल ऑपरेशंस डिवीज़न का पहला मुखिया नियुक्त किया गया है। इस त्रि-सेना के गठन में सेना की पैराशूट रेजिमेंट, नौसेना की मार्कोस और वायुसेना के गरुड़ कमांडो बल के विशेष कमांडो शामिल होंगे। तीनों सेनाओं के सर्वश्रेष्ठ कमांडोज़ की यूनिट ने अपना काम शुरू कर दिया है। तीनों सेनाओं ने इससे पहले साथ में कई ऑपरेशंस को अंजाम दिया है, लेकिन यह पहली बार होगा जब तीनों सेनाएँ एक कमांड और नियंत्रण ढाँचे के तहत कार्य करेंगी। इससे प्रशिक्षण पर होने वाले खर्च में भी कमी आएगी। आर्म्ड फोर्सेज़ स्पेशल ऑपरेशंस डिवीज़न में 3000 प्रशिक्षित कमांडोज़ हैं जो जंगलों और समुद्र में युद्ध करने में सक्षम होंगे तथा हेलीकॉप्टर रेस्क्यू ऑपरेशंस का काम भी करेंगे। टीम ऐसे मिशनों के संचालन के लिये ज़िम्मेदार होगी जिसमें रणनीतिक प्रतिष्ठानों, आतंकियों को लक्षित करना और दुश्मन की युद्ध लड़ने की शक्ति को कम करना शामिल होगा।