नई दिल्ली में हुई WTO के 23 विकासशील एवं अल्प-विकसित देशों के मंत्रियों की बैठक में भारत ने WTO के प्रावधानों के तहत विकासशील देशों को दी जाने वाली छूट पर कुछ विकसित देशों द्वारा उठाए जा रहे प्रश्नों को विवादित तथा विभेद उत्पन्न करने वाला बताया। भारत का कहना है कि WTO के विवाद समाधान निकाय के सदस्यों की नियुक्ति का संकट WTO पर असर डालेगा। बैठक के बाद 14 मई को जारी हुई घोषणा में नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के महत्त्व को पुनर्स्थापित करने पर जोर दिया गया तथा WTO में सुधारों के लिये सुझाव दिये गए। भारत का मानना है कि WTO के लिये यह मुश्किल दौर है, विशेषकर विकासशील सदस्य देशों के लिये। अपीलीय निकाय में व्याप्त संकट के कारण बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली में शक्ति का दौर लौट आने का खतरा है। उल्लेखनीय है कि अपीलीय निकाय के कार्य करने के लिये इसमें न्यूनतम तीन सदस्यों का रहना अनिवार्य है। निकाय के सदस्यों की नियुक्ति में रुकावट के कारण इस साल 10 दिसंबर के बाद सदस्यों की संख्या तीन से भी कम हो जाएगी, जिससे यह निकाय बेकार हो जाएगा। इस बैठक में चीन, ब्राज़ील, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, बांग्लादेश और मलेशिया सहित कुल 16 विकासशील और 6 विकसित देशों ने हिस्सा लिया। बैठक में WTO के महानिदेशक रोबर्तो एजेवेदो ने भी भाग लिया।
केंद्र सरकार ने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) पर लगे प्रतिबंध को गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा-3 की उप-धाराएं (1) और (3) के तहत तुरंत प्रभाव से पाँच साल और बढ़ा दिया है। इसके लिये जारी अधिसूचना में कहा गया है कि लिट्टे की लगातार हिंसक और विघटनकारी गतिविधियाँ भारत की अखंडता और संप्रभुता के लिये नुकसानदेह हैं। इसका भारत के विरुद्ध लगातार कठोर रुख जारी है और यह भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिये गंभीर खतरा बना हुआ है। गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के लिये ज़िम्मेदार लिट्टे का आज से 10 साल पहले श्रीलंका की सेना ने सफाया कर देश से आतंकवाद के समूल उन्मूलन का ऐलान किया था। श्रीलंका के इस विद्रोही संगठन पर सबसे पहले भारत ने 27 साल पूर्व 1992 में 14 मई को प्रतिबंध लगाया था। उसके बाद से इस प्रतिबंध को लगातार बढ़ाया जाता रहा है।
सेना की संचार प्रणाली को अचूक बनाने के लिये एनालॉग आधारित रेडियो प्रणाली की जगह डिजिटल रेडियो फ्रीक्वेंसी तकनीक अपनाने की तैयारी चल रही है। इसका सफल प्रयोग DRDO के देहरादून स्थित डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स एप्लीकेशंस लैबोरेटरी ने पूरा कर लिया है। इस तकनीक से सेना बिना किसी व्यवधान के आपस में बात कर पाएगी और इससे ध्वनि भी पहले की अपेक्षा काफी स्पष्ट मिलेगी। खराब मौसम में भी इस माध्यम से बेहतर वार्तालाप किया जा सकेगा और दुश्मन भी इस वार्तालाप को नहीं पकड़ पाएगा। संचार व्यवस्था को उत्कृष्ट बनाने के लिये सैटेलाइट आधारित अत्याधुनिक सेटकॉम टर्मिनल भी विकसित किये गए हैं। इस योजना के पहले चरण में नौसेना के युद्धक विमान में डिजिटल रेडियो आधारित संचार प्रणाली का प्रयोग किया जा रहा है। इसके अलावा डिजिटल रेडियो फ्रीक्वेंसी आधारित हैंड-हेल्ड डिवाइस और मैन पैक डिवाइस भी तैयार किये गए हैं।
इसरो के चेयरमैन डॉ. के. सिवन ने 13 मई को युवा विज्ञानी कार्यक्रम (युविका) की शुरुआत की। इसरो के कैच देम यंग अभियान का उद्देश्य विज्ञान और वैज्ञानिक गतिविधियों में रुचि रखने वाले भविष्य के वैज्ञानिकों को तलाशना और उन्हें अंतरिक्ष संबंधी गतिविधियों से जोड़ना है। इसरो के युविका प्रोग्राम के अंतर्गत बाल वैज्ञानिकों को दो सप्ताह तक इसरो में अंतरिक्ष विज्ञान की गतिविधियों को जानने, समझने और जुड़ने का अवसर मिलेगा। यह कार्यक्रम इसरो के चार केंद्रों पर चलाया जा रहा है। इस दौरान बच्चों को देश के जाने-माने वैज्ञानिकों को सुनने और उनसे मिलने का अवसर मिलेगा। इसके साथ ही इसरो की तकनीकी व्यवस्था और उन्नत केंद्रों का भ्रमण, विशेषज्ञों के साथ वार्तालाप और प्रैक्टिकल देखने का मौका भी मिलेगा। युविका कार्यक्रम के तहत चयनित बच्चों के आने-जाने, ठहरने आदि का पूरा खर्च इसरो ही वहन कर रहा है।
15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस का आयोजन किया गया। हर साल मई महीने में अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस का आयोजन संयुक्त परिवार के महत्त्व और जीवन में परिवार की ज़रूरत के प्रति युवाओं में जागरूकता उत्पन्न करने के लिये किया जाता है। इसकी शुरुआत 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वैश्विक समुदाय परिवारों को जोड़ने वाली पहल के रूप में और परिवारों से संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाने, परिवारों को प्रभावित करने वाले आर्थिक, जनसांख्यिकीय और सामाजिक प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी देने के लिये की गई थी। 1996 में पहली बार इस दिवस का आयोजन किया गया था। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस की थीम Families and Climate Action: Focus on SDG13 रखी गई है।
विश्व स्वर्ण परिषद (WGC) ने डिजिटल गोल्ड के लिये दिशा-निर्देश तैयार किये हैं। इन दिशा-निर्देशों तहत निवेशकों के साथ ही डिजिटल गोल्ड खरीदने से संबंधित सेवाएँ देने वाली इकाइयों के लिये भी कायदे-कानून तय किये गए हैं। निवेशकों की सुरक्षा और बेहतर व्यवस्था तैयार करने के लिये ये दिशानिर्देश बनाए गए हैं। इस मुद्दे पर WGC ने यह भी कहा है कि भारत जैसे प्रमुख बाज़ारों में इंटरनेट के ज़रिये सोना खरीदने के साथ कुछ जोखिम भी जुड़े हैं। इन दिशा-निर्देशों के साथ ही परिषद ने भारत सरकार को देश में डिजिटल गोल्ड के लिये नियामकीय दिशानिर्देश जारी करने के लिये कहा है। भारत में पिछले दो वर्षों के दौरान तीन इकाइयाँ इस कारोबार में उतरी हैं और अनुमान है कि इन्होंने करीब 8 करोड़ डिजिटल गोल्ड खाते खोले हैं। डिजिटल गोल्ड में निवेश संबंधी दिशा-निर्देशों में संभावित निवेशकों को सही निर्णय लेने में मदद के लिये आवश्यक सूचनाएँ दी गई हैं।
जापान ने दुनिया में सबसे तेज़ चलने वाली बुलेट ट्रेन का परीक्षण शुरू कर दिया है। इस ट्रेन की अधिकतम स्पीड 400 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। शिनकानसेन ट्रेन के इस ALFA-Xसंस्करण का तीन साल तक परीक्षण किया जाएगा और वर्ष 2030 तक इस ट्रेन का परिचालन शुरू हो जाएगा। इस ट्रेन का परीक्षण सप्ताह में दो बार सेंडई और ओमोरी शहरों के बीच किया जाएगा, जो कि एक-दूसरे से लगभग 280 किलोमीटर की दूरी पर हैं। तब यह 360 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी, जो कि दुनिया की सबसे तेज़ रफ्तार वाली ट्रेन होगी। यह ट्रेन चीन की फॉक्सिंग ट्रेन को पीछे छोड़ देगी, जो ALFA-X (Advanced Labs for Frontline Activity in rail eXperimentation) जैसी तेज़ स्पीड को ध्यान में रखकर डिज़ाइन की गई है। लंबी नुकीली नाक वाली जापान की इस बुलेट ट्रेन का मॉडल फ्यूचरिस्टिक डिज़ाइन पर आधारित है।