संयुक्त राष्ट्र द्वारा जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अज़हर को में वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के बाद भारत ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के मुद्दे पर लंबित वैश्विक सम्मेलन (CCIT) आयोजित कराने का आह्वान किया है। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन आयोजित करने के लिये 1986 में एक मसौदा संयुक्त राष्ट्र में पेश किया था, लेकिन यह लागू नहीं हो सका था, क्योंकि सदस्य राष्ट्रों के बीच आतंकवाद की परिभाषा को लेकर आम राय नहीं बन पाई थी। भारत की यह मांग संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 1267 अल-कायदा प्रतिबंध समिति द्वारा मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किये जाने के बाद सामने आई है। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र में श्रीलंका ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से निपटने के लिये कानूनी खाका अंगीकार किये जाने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा कि इसके लिये सभी को ‘राजनीतिक इच्छाशक्ति’ दिखाने की ज़रूरत है।
एशियाई विकास बैंक (ADB) ने हाल ही में फिजी में हुई बैंक के गवर्नर्स बोर्ड की 52वीं वार्षिक बैठक में एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिये स्वस्थ महासागरों और सतत नीली अर्थव्यवस्थाओं के लिये कार्ययोजना- Healthy Oceans and Sustainable Blue Economies लॉन्च की। इसके तहत 2019 से 2024 तक की अवधि में 5 बिलियन डॉलर की राशि से समुद्री स्वास्थ्य और समुद्री अर्थव्यवस्था परियोजनाओं के लिये वित्तपोषण और तकनीकी सहायता का विस्तार किया जाएगा। ADB की यह कार्ययोजना सतत विकास लक्ष्य संख्या 14- जल के नीचे जीवन (Life Below Water) को प्राप्त करने में ADB के विकासशील सदस्य देशों के प्रयासों में सहायक होगी। यह कार्ययोजना चार क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी- 1. स्थायी पर्यटन और मत्स्य पालन में समावेशी आजीविका और व्यापार के अवसर पैदा करना, 2. तटीय और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्रों तथा प्रमुख नदियों की रक्षा और पुनर्स्थापन, 3. प्लास्टिक, अपशिष्ट जल और कृषि अपवाह सहित समुद्री प्रदूषण के भूमि-आधारित स्रोतों को कम करना तथा 4. बंदरगाह और तटीय बुनियादी ढाँचे के विकास में सुधार।
भारत सरकार ने बादाम, अखरोट और दलहन जैसे 29 अमेरिकी उत्पादों पर बदले की कार्रवाई के तहत उच्च दर से आयात शुल्क लगाने की समय-सीमा एक बार फिर 16 मई तक के लिये बढ़ा दी है। इससे पहले 2 मई तक के लिये इस निर्णय को टाला गया था। सरकार ने जून 2018 में अमेरिका के कुछ इस्पात और एल्युमीनियम उत्पादों पर उच्च दर से सीमा शुल्क लगाने के निर्णय के बाद अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर उच्च दर से शुल्क लगाने का निर्णय किया था। लेकिन तब से लेकर अब तक इसके क्रियान्वयन की समय-सीमा करीब छह बार बढ़ाई जा चुकी है। चूँकि दोनों पक्ष द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने को लेकर व्यापार पैकेज पर बातचीत कर रहे हैं, अत: भारत ने समय-सीमा एक बार फिर बढ़ा है। लेकिन इसी महीने अमेरिका ने सामान्य तरजीही प्रणाली (GSP) के जरिये कुछ वस्तुओं पर दिये जा रहे निर्यात प्रोत्साहन को वापस लेने का फैसला किया है। दोनों देशों के बीच समय-समय पर होने वाली बातचीत में इन लाभों का विस्तार समेत अन्य मुद्दे शामिल रहते हैं।
हाल ही में कतर की राजधानी दोहा में अमेरिका और तालिबान के बीच वार्ता का नया दौर शुरू हुआ। अफगानिस्तान में शांति कायम करने के उद्देश्य से इन दोनों पक्षों के बीच हुआ वार्ता का यह छठा दौर था। अफगानिस्तान सरकार इस वार्ता में भी शामिल नहीं हुई है, क्योंकि तालिबान इसका विरोध करता रहा है। इस वार्ता में मेज़बान के तौर पर कतर के कुछ अधिकारी मौजूद रहे। गौरतलब है कि अमेरिका और तालिबान के बीच गत अक्तूबर से कई दौर की बातचीत हो चुकी है। इन वार्ताओं का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अमेरिकी सैन्य बलों की वापसी के बाद अफगानिस्तान फिर से आतंकियों का गढ़ न बनने पाए। गौरतलब है कि इसी के समानांतर अफगान सरकार की मेज़बानी में राजधानी काबुल में चार दिनी कबायली परिषद लोया जिरगा की बैठक भी हुई। इसमें तालिबान के साथ अमेरिका की वार्ता और शांति की राह तलाशने जैसे मसलों पर चर्चा हुई।
मध्य अफ्रीकी देश कांगो में एक बार फिर इबोला का कहर टूटा है और एक हज़ार से अधिक लोग मारे गए हैं। इस अशांत क्षेत्र में से इस बेहद संक्रामक विषाणु ने गहरी चिंता की स्थिति एक बार फिर उत्पन्न कर दी है। WHO के अनुसार असुरक्षा, वित्तीय संसाधनों का अभाव और स्थानीय राजनीतिकों की तरफ से लोगों को स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ करने से इसे रोकने के प्रयास गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। WHO के रिकॉर्ड के मुताबिक यह महामारी दूसरे सबसे भयावह प्रकोप का रूप ले चुकी है। इससे पहले इस महामारी के चलते 2014 से 2016 के दौरान पश्चिम अफ्रीका में 11,300 से अधिक मौतें हुईं थीं। महामारी के प्रकोप को रोकने के प्रयास यहाँ जारी संघर्षों की वजह से तो प्रभावित हो ही रहे हैं, साथ ही समुदायों के भीतर एहतियाती उपायों, स्वास्थ्य सुविधाओं एवं मृतकों को दफनाने के सुरक्षित तरीकों के प्रति प्रतिरोध भी इसमें बाधा बन रहे हैं।
कर्नाटक के मंगलुरु शहर में पुलिस ने एक विशिष्ट महिला पुलिस पेट्रोलिंग फोर्स लॉन्च की है। महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के मद्देनज़र बनाई गई इस फोर्स का नाम रानी अब्बक्का फोर्स रखा गया है। फिलहाल शहर में रानी अब्बक्का फोर्स में 50 महिला पुलिसकर्मी तैनात की गई हैं, जिनमें से प्रत्येक पेट्रोलिंग टीम में पांच पुलिसकर्मी हैं। इससे पहले ऐसी ही एक महिला पेट्रोल टीम रानी अब्बक्का फोर्स के नाम से ही राज्य के उडुपी ज़िले की पुलिस ने भी लॉन्च की थी। गौरतलब है कि रानी अब्बक्का तटीय कर्नाटक की रानी थीं, जिन्होंने 16वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में पुर्तगालियों के साथ युद्ध किया था। वह चौटा राजवंश की थीं जो मंदिरों के नगर मूडबिद्री से शासन करते थे तथा बंदरगाह शहर उल्लाल उनकी सहायक राजधानी थी।