केंद्र सरकार ने 13 पॉइंट रोस्टर प्रणाली के ज़रिये विश्वविद्यालयों में होने वाली नियुक्तियों को रोकने के लिये एक अध्यादेश जारी किया है। इस अध्यादेश में 200 पॉइंट रोस्टर की व्यवस्था की गई है,, ताकि रिज़र्व कैटेगरी के SC, ST और OBC को विश्वविद्यालय फैकल्टी में नौकरी के लिये समुचित प्रतिनिधित्व मिल सके। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 पॉइंट रोस्टर के फैसले को बदलने से इनकार करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विश्वविद्यालयों में यूनिवर्सिटी के बदले विभागवार नियुक्ति को मानने का फैसला किया था। 13 पॉइंट रोस्टर प्रणाली के अनुसार विश्वविद्यालयों के एसोसिएट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिये विभागवार आरक्षण लिस्ट तैयार होनी थी। इसके तहत नियुक्तियाँ विभागवार होनी थीं और इस वज़ह से आरक्षित वर्ग के लिये सीटों की संख्या पर असर पड़ता। यूनिवर्सिटी में नौकरी के लिये बहुत कम सीटें निकलती हैं और ऐसे में विभागवार रोस्टर होने पर आरक्षित वर्ग के लिये सीटें कम हो जातीं।
रक्षा मंत्रालय द्वारा महिला सैन्य अधिकारियों को सेना की 10 शाखाओं में स्थायी कमीशन दिया जाएगा। इनमें अब तक महिलाओं को शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) में शामिल किया जाता था। अभी भी सेनाओं में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया जाता है लेकिन वह कुछ गैर-युद्धक ब्रांचों तक ही सीमित है। 14 साल की सेवा के बाद शिक्षा, कानून, सिग्नल, इंजीनियरिंग आदि सेवाओं में महिला अफसरों को स्थायी कमीशन दिया जाता है। ग़ौरतलब है कि सेना में SSC के ज़रिये जो अधिकारी भरती होते हैं, वे 14 साल तक सेवाएँ दे पाते हैं। पहले यह अवधि 10 साल थी, जिसे छठे वेतन आयोग की अनुशंसा के बाद 14 साल कर दिया गया। फिलहाल सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्ति का केवल SSC ही एकमात्र माध्यम है।
पुलवामा आतंकी हमले के बाद से स्थगित हुआ श्रीनगर-मुजफ्फराबाद सड़क मार्ग से सीमा के आर-पार होने वाला व्यापार 5 मार्च को फिर बहाल हो गया है। यह वस्तु विनिमय व्यापार (Barter Trade) सप्ताह में चार दिन मंगलवार से शुक्रवार तक होता है। खास बात यह है कि नियंत्रण रेखा (LoC) के पास उड़ी में होने वाले इस व्यापार में पैसों का लेन-देन नहीं होता तथा सामान के बदले सामान ही लिया-दिया जाता है। इस व्यापार में भारत की ओर से जीरा, काली मिर्च, कपड़े, दालचीनी, केले, अनार, अंगूर, बादाम आदि भेजे जाते हैं। पाकिस्तान की ओर से दरियाँ, पूजा में बैठने के लिये इस्तेमाल में आने वाले आसन, कपड़े, संतरे, आम और जड़ी-बूटियाँ आती हैं। आपको बता दें कि पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीन लिया था और वहाँ से आने वाले सामान पर आयात शुल्क को भी बढ़ा दिया था।
IIT कानपुर के एयरोस्पेस विभाग ने स्वदेशी अंतरिक्ष यान ‘गगनयान’ के लिये ग्रीन जेल नामक इको-फ्रेंडली विशेष ईंधन तैयार किया है। इस ग्रीन जेल से अंतरिक्ष यान की रफ्तार में इज़ाफा होगा और ईंधन की खपत भी कम होगी तथा प्रदूषण में भी 40% तक की कमी आएगी। गौरतलब है कि IIT कानपुर के एयरोस्पेस विभाग ने इसरो के इस प्रोजेक्ट को दो साल की अवधि में पूरा कर लिया है। इससे इंजन का तापमान कम रखने में भी मदद मिलेगी। अभी अंतरिक्ष यान को प्रक्षेपित करने के लिये तरल हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, पैरा ऑक्साइड, नाइट्रोजन टेट्रा ऑक्साइड प्रोपेलेंट का इस्तेमाल किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण और मानवाधिकार विशेषज्ञों के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण दुनियाभर में प्रतिवर्ष लगभग 70 लाख लोगों की मौत समय से पहले हो जाती है, जिनमें 6 लाख बच्चे भी शामिल हैं। लगभग 6 अरब लोग नियमित रूप से इतनी प्रदूषित हवा में साँस ले रहे हैं कि इससे उनके जीवन और स्वास्थ्य पर जोखिम बना रहता है। हर घंटे 800 लोगों की मौत हो जाती है, जिनमें से बहुत से लोग कई साल बाद कैंसर, साँस संबंधी बीमारी या दिल की बीमारी की वज़ह से मर जाते हैं, जो प्रत्यक्ष तौर पर प्रदूषित हवा में साँस लेने के कारण होती हैं।
IQAir द्वारा जारी AirVisual 2018 वर्ल्ड एअर क्वालिटी के अनुसार, दुनिया के 20 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 15 भारत के हैं। गुरुग्राम, गाज़ियाबाद, फरीदाबाद, नोएडा और भिवाड़ी शीर्ष छह प्रदूषित शहरों में शामिल है। इनके अलावा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) विश्व की सर्वाधिक प्रदूषित राजधानी रहा और दिल्ली अलग से 11वें स्थान पर रही। कभी दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल रही चीन की राजधानी बीजिंग सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की सूची में 122वें नंबर पर है, लेकिन यह अब भी विश्व स्वास्थ्य संगठन की वार्षिक सुरक्षित सीमा से कम से कम पाँच गुना अधिक प्रदूषित शहर है। रिपोर्ट में परिवेशी वायु प्रदूषण के कुछ बड़े स्रोतों और कारणों की पहचान की गई है। उद्योगों, घरों, कारों और ट्रकों से वायु प्रदूषकों के जटिल मिश्रण निकलते हैं, जो स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हैं। इन सभी प्रदूषकों में से सूक्ष्म प्रदूषक कण (Particulate Matter) मानव स्वास्थ्य पर सर्वाधिक प्रभाव डालते हैं। यह रिपोर्ट ग्रीनपीस साउथ-ईस्ट एशिया के सहयोग से तैयार की गई है।
हाल ही में जारी राष्ट्रीय वार्षिक ग्रामीण स्वच्छता सर्वेक्षण की रिपोर्ट से पता चलता है कि शौचालयों के इस्तेमाल में गाँव अब पीछे नहीं है और 90% अधिक गाँव खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। गाँवों में 96% लोग शौचालयों का नियमित उपयोग करते हैं। नवंबर 2018 से फरवरी 2019 के बीच कराए गए इस सर्वेक्षण में देश के 6136 गाँवों के 92 हज़ार से अधिक परिवारों को शामिल किया गया था। गाँवों में स्वच्छता के प्रति बढ़ते रुझान का पता इस बात से भी चलता है कि लगभग साढ़े 95 फीसदी गाँवों में न्यूनतम कचरा और न्यूनतम जल ठहराव पाया गया तथा कचरा प्रबंधन की स्थिति भी बेहतर हुई है।
पर्यावरण प्रबंधन और नीति अनुसंधान संस्थान तथा ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान द्वारा बनाई गई कर्नाटक की जलवायु परिवर्तन राज्य कार्ययोजना ने कर्नाटक में फूलों की लुप्तप्राय प्रजातियों में 'फ्लेम लिली' को शामिल किया है। फ्लेम लिली तमिलनाडु का राजकीय पुष्प है। विशेषज्ञों के अनुसार तापमान में उतार-चढ़ाव से इस पौधे के पुष्पित होने का चक्र प्रभावित हुआ है। आपको बता दें कि फ्लेम लिली ज़िम्बाब्वे का राष्ट्रीय पुष्प है, जो एशिया और अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
प्रसिद्ध वैज्ञानिक अजित कुमार मोहंती को तीन साल के लिये देश के प्रतिष्ठित भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र-बार्क (BARC) का निदेशक नियुक्त किया गया है। अब तक वह बार्क में भौतिकी समूह के निदेशक और साहा नाभिकीय भौतिक संस्थान के निदेशक के रूप में जिम्मेदारियाँ संभाल रहे थे। मुंबई में स्थित बार्क भारत का अग्रणी परमाणु अनुसंधान केंद्र है, जो विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान करता है। आपको बता दें कि परमाणु ऊर्जा संस्थान, ट्रॉम्बे को औपचारिक रूप से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 20 जनवरी, 1957 को राष्ट्र को समर्पित किया था। उसके बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 12 जनवरी, 1967 को इसका नाम भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र रखा, जो जनवरी 1966 में डॉ. होमी जहांगीर भाभा की हवाई दुर्घटना में हुई मृत्यु के पश्चात रखा गया था।