तीन देशों की यात्रा के दूसरे चरण में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के बोलीविया पहुँचने पर संवैधानिक राजधानी सूक्रे के सांताक्रूज़ वीरू वीरू इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर बोलिविया के राष्ट्रपति इवो मोराल्स ने उनकी अगवानी की। आपको बता दें कि बोलीविया में सरकार ला पाज़ से काम करती है और उसे प्रशासनिक राजधानी का दर्जा प्राप्त है। इसके बाद भारत और बोलीविया के राष्ट्रपतियों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई। रामनाथ कोविंद ने भारत-बोलिविया व्यापार फोरम की बैठक में भी हिस्सा लिया। इस दौरान दोनों देशों ने आठ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये, जिनमें राजनयिकों के लिये वीज़ा रहित आवागमन, राजनयिक अकादमियों के बीच आदान-प्रदान, खनन, अंतरिक्ष, पारंपरिक चिकित्सा, IT के क्षेत्र में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना और द्वि-महासागरीय रेलवे परियोजना शामिल हैं। गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध स्थापित होने के बाद भारत की ओर से इस लैटिन अमेरिकी देश की यह पहली उच्चस्तरीय यात्रा है।
ब्रेक्ज़िट पर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे द्वारा संसद में लाया गया मसौदा प्रस्ताव वहाँ के हाउस ऑफ कॉमंस ने लगातार तीसरी बार खारिज कर दिया है। 29 मार्च को हुए मतदान में उनके प्रस्ताव के विरोध में 344 और समर्थन में 286 वोट पड़े। इसके बाद यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर होने को लेकर स्थिति और उलझ गई है। यह मतदान ब्रेक्ज़िट के भविष्य पर नहीं, बल्कि इससे जुड़े कुछ मुद्दों पर किया गया था, जिनमें आयरलैंड सीमा पर हुआ समझौता, यूरोपीय संघ-ब्रिटेन के अलग होने पर पैसों के लेनदेन और नागरिकों के अधिकार शामिल थे। आपको बता दें कि 29 मार्च, 2017 को ब्रिटेन सरकार ने अनुच्छेद-50 लागू किया था जिसके तहत ठीक दो साल बाद ब्रेक्ज़िट लागू होना था। लेकिन यह तभी हो पाता जब हाउस ऑफ कॉमंस में ब्रिटेन की प्रधानमंत्री का प्रस्ताव पारित हो जाता। अब 12 अप्रैल तक ब्रिटेन को इसका कोई-न-कोई हल निकालना है क्योंकि ऐसा करना कानूनी रूप से बाध्यकरी है।
महज 16 साल की उम्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को रोकने के लिये आवाज़ उठाने वाली स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्त्ता ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) को हाल ही में 2019 के नोबल शांति पुरस्कार के लिये नामित किया गया है। उसका यह नामांकन पर्यावरण पर बच्चों के अभियान की वज़ह से हुआ है। आपको बता दें पिछले वर्ष 20 अगस्त को ग्रेटा स्कूल न जाकर अपने देश की संसद के बाहर धरने पर बैठ गई थी। उसके हाथ में बैनर था, जिस पर लिखा था ‘स्कोल्स्ट्रेजक फॉर क्लाइमेटेट’ (स्कूल स्ट्राइक फॉर क्लाइमेट यानी पर्यावरण को लेकर स्कूली बच्चों का धरना)। वह शुक्रवार का दिन था, उसके बाद से ग्रेटा लगभग हर शुक्रवार को संसद के बाहर बैठकर स्वीडन की सरकार को ऐसी नीतियाँ बनाने को प्रेरित करती आई है जो पेरिस पर्यावरण संधि के अनुरूप हों। यदि ग्रेटा को नोबेल पुरस्कार मिल जाता है तो वह यह पुरस्कार पाने वाली सबसे कम उम्र की शख्सियत बन जाएगी। इसके पहले मलाला युसुफज़ई ने केवल 17 वर्ष की उम्र में नोबेल पुरस्कार जीता था। आपको बता दें कि तीन नॉर्वेजियन सांसदों ने ग्रेटा को नोबेल पुरस्कार के लिये नामित किया है। 2019 में नोबेल पुरस्कार पाने की दौड़ में 301 उम्मीदवार शामिल हैं जिसमें 223 व्यक्ति और 78 संगठन हैं।
दिल्ली सरकार के स्कूल शिक्षक मनु गुलाटी को लैंगिक समानता और महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिये डेढ़ लाख की पुरस्कार राशि के साथ मोस्ट प्रॉमिसिंग इंडिविज़ुअल श्रेणी में उत्कृष्टता के लिये 2019 के मार्था फैरेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। गौरतलब है कि डॉ. मार्था फैरेल ने लैंगिक समानता, महिला सशक्तीकरण और कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया। आपको बता दें कि मार्था फैरेल अवार्ड उनकी याद में 2017 में शुरू हुआ था। यह पुरस्कार रिजवान आदातिया फाउंडेशन और Participatory Research in Asia द्वारा सह-प्रायोजित और मार्था फैरेल फाउंडेशन द्वारा समर्थित है। यह पूरस्कार दो श्रेणियों में दिया जाता है- मोस्ट प्रॉमिसिंग इंडिविज़ुअल और बेस्ट ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर जेंडर इक्वैलिटी। बेस्ट ऑर्गेनाइज़ेशन फॉर जेंडर इक्वैलिटी श्रेणी में यह पुरस्कार महिला जन अधिकार समिति को मिला है। आपको बता दें कि मार्था फैरेल 13 मई, 2015 को काबुल में एक गेस्ट हाउस में आतंकवादी हमले में मारे गए 14 लोगों में शामिल थीं।