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Rapid Fire करेंट अफेयर्स (14 June)

  • 14 Jun 2019
  • 7 min read
  • 13 जून को विश्वभर में अंतर्राष्ट्रीय रंगहीनता जागरूकता दिवस (International Albinism Awareness Day) मनाया गया। हमारी पृथ्वी के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग रंगों के लोग पाए जाते हैं, इनमें से कुछ प्राकृतिक रूप से काले या सफेद होते हैं तो कुछ किसी तत्त्व की कमी के कारण अजीब से रंगों के हो जाते हैं। लैटिन शब्द ऐल्बस यानी (सफेद) से इसकी उत्पत्ति हुई है। इसे ऐक्रोमिया, ऐक्रोमेसिया या ऐक्रोमेटोसिस (वर्णांधता या अवर्णता) भी कहा जाता है। यह मेलेनिन के उत्पादन में शामिल एंजाइम के अभाव या दोष की वजह से त्वचा, बाल और आँखों में रंजक या रंग के संपूर्ण या आंशिक अभाव द्वारा चिह्नित किया जाने वाला एक जन्मजात विकार है। यह मानव सहित सभी रीढ़धारियों को प्रभावित करता है। यह एक प्रकार का रोग है जिसमें त्वचा में पिगमेंट की कमी हो जाती है और इसकी वज़ह से त्वचा का रंग हल्का हो जाता है। गौरतलब है कि 18 दिसंबर, 2014 को रंगहीनता के शिकार लोगों के साथ विश्व में होने वाले भेदभाव के विरुद्ध जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 13 जून को इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा ने की थी।
  • 12 जून को भारत ने ओडिशा में बालासोर तट के निकट एक बेस से हाइपरसोनिक गति से उड़ान के लिये देश में विकसित Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle (HSTDV) का पहला सफल परीक्षण किया। यह विमान हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली विकसित करने संबंधी देश के महत्त्वाकांक्षी कार्यक्रम का एक अहम हिस्सा है। DRDO ने बंगाल की खाड़ी में डॉ. अब्दुल कलाम द्वीप से HSTDV का यह परीक्षण किया। जो विमान 6126 से 12251 किमी. प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ता है, उसे हाइपरसोनिक विमान कहते हैं। भारत का यह HSTDV परीक्षण 20 सेकंड से भी कम समय का था। इसमें सफलता मिल जाने के बाद भारत ऐसी तकनीक हासिल करने वाले देशों के चुनिंदा क्लब में शामिल हो जाएगा। चीन, अमेरिका और रूस भी हाइपरसोनिक विमान का परीक्षण कर चुके हैं। इस विमान का उपयोग मिसाइल और सैटेलाइट लॉन्च करने के लिये किया सकता है।
  • इसरो ने चंद्रमा पर जाने के लिये भारत के स्पेस मिशन चंद्रयान-2 के लॉन्च का ऐलान कर दिया है। इसरो के चेयरमैन डॉ. के. सिवान ने बेंगलुरु में बताया कि 15 जुलाई को सुबह 2 बजकर 51 मिनट पर चंद्रयान-2 को लॉन्च किया जाएगा। इसमें तीन हिस्से होंगे- लैंडर, रोवर और ऑर्बिटर। रोवर एक रोबोटिक आर्टिकल है, जिसका वज़न 27 किलो और लंबाई 1 मीटर है। लैंडर का वज़न 1.4 टन और लंबाई 3.5 मीटर है। ऑर्बिटर का वज़न 2.4 टन और लंबाई 2.5 मीटर है। लैंडर, ऑर्बिटर और रोवर को कंपोज़िट बॉडी कहा गया है। इस कंपोज़िट बॉडी को GSLV Mk lll से लॉन्च किया जाएगा और सही समय पर लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा। लैंडर अपने प्रोपल्शन का इस्तेमाल कर चंद्रमा से 30 किमी. दूर वहाँ के साउथ पोल पर लैंड करेगा। इसरो के इस मिशन स्पेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल लोगों की सुरक्षा और क्वॉलिटी ऑफ लाइफ को बेहतर बनाने के लिये किया जाएगा।
  • संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पहली बार किसी प्रस्ताव को लेकर इज़राइल का पक्ष लिया है। संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद में भारत ने इज़राइल के उस प्रस्ताव के समर्थन में वोट दिया जिसमें फिलिस्तीन के एक गैर-सरकारी संगठन शाहेद को सलाहकार का दर्जा देने की बात कही गई गई थी। अपने प्रस्ताव में इज़राइल ने कहा कि इस संगठन ने हमास के साथ अपने संबंधों का खुलासा नहीं किया था। इज़राइल के मसौदा प्रस्ताव ‘एल-15’ के पक्ष में 28 मत पड़े जबकि 15 देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया। वहीं 5 देशों ने मत-विभाजन में भाग नहीं लिया। प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने वाले देशों में ब्राज़ील, कनाडा, कोलंबिया, फ्राँस, जर्मनी, भारत, आयरलैंड, जापान, कोरिया, यूक्रेन, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं। आपको बता दें कि अब तक भारत ने कभी भी फिलीस्तीन या उसकी किसी संस्था के खिलाफ जाकर इज़राइल के पक्ष में वोट नहीं किया था।
  • अंग्रेज़ी के प्रख्यात साहित्यकार अमिताव घोष को वर्ष 2018 के लिये 54वाँ ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह अंग्रेज़ी के पहले लेखक हैं। देश के सर्वोच्च साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में उन्हें पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपए की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया गया। उन्हें यह पुरस्कार गोपाल कृष्ण गांधी ने दिया। आपको बता दें कि दिसंबर 2018 प्रतिभा रॉय की अध्यक्षता में आयोजित ज्ञानपीठ चयन समिति की बैठक में उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार देने का निर्णय लिया गया था। अंग्रेज़ी को तीन साल पहले ही ज्ञानपीठ पुरस्कार की भाषा के रूप में शामिल किया गया था। अमिताव घोष साहित्य अकादमी और पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘द सर्किल ऑफ रीजन’, ‘दे शेडो लाइन’, ‘द कलकत्ता क्रोमोसोम’, ‘द ग्लास पैलेस’, ‘द हंगरी टाइड’, ‘रिवर ऑफ स्मोक’ और ‘फ्लड ऑफ फायर प्रमुख हैं। पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी. शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था।
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