12 जून को दुनियाभर में बाल श्रम निषेध दिवस आयोजित किया गया। बाल श्रम उन्मूलन को दृष्टिगत रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organisation) ने बाल श्रम निषेध दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 2002 में की थी। बाल मज़दूरी के खिलाफ जागरूकता फैलाने और 14 साल से कम उम्र के बच्चों को इस काम से निकालकर उन्हें शिक्षा दिलाना इस दिवस का प्रमुख उद्देश्य है। इस वर्ष बाल श्रम निषेध दिवस की थीम Children shouldn't work in fields, but on dreams रखी गई है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, आज भी दुनियाभर में 152 मिलियन बच्चे मज़दूरी करते हैं। भारत में जनगणना 2011 की रिपोर्ट बताती है कि देश में एक करोड़ से ज़्यादा बाल मज़दूर हैं। हर साल हज़ारों बच्चे ट्रैफिकिंग (दुर्व्यापार) के ज़रिये एक राज्य से दूसरे राज्यों में ले जाए जाते हैं। सीमापार ट्रैफिकिंग के ज़रिए नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी गरीब देशों से भी भारत में ऐसे बच्चे हजारों की संख्या में लाए जाते हैं। ज़बरन बाल मज़दूरी, गुलामी और बाल वेश्यावृत्ति आदि के लिये इन बच्चों को खरीदा और बेचा जाता है।
अमेरिका के बाद अब भारत ने भी स्पेस वॉर को ध्यान में रखते हुए अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत करना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी ने एक नई एजेंसी गठित करने को मंजूरी दे दी है। इस एजेंसी का नाम डिफेंस स्पेस रिसर्च एजेंसी (DSRO) रखा गया है, जो उच्च क्षमता के आधुनिक हथियार और तकनीक विकसित करेगी। यह एजेंसी संयुक्त सचिव स्तर के वैज्ञानिक के तहत काम करेगी तथा शीघ्र ही इसे वैज्ञानिकों की एक टीम उपलब्ध कराई जाएगी, जो तीनों सेनाओं के साथ मिलकर काम करेगी। यह डिफेंस स्पेस एजेंसी को R & D सहयोग करेगी, जिसमें तीनों सेनाओं के सदस्य शामिल हैं। ज्ञातव्य है कि डिफेंस स्पेस एजेंसी को अंतरिक्ष में युद्ध (War in Space) लड़ने में सहयोग करने के लिये बनाया गया है। डिफेंस स्पेस एजेंसी को बेंगलुरु में एयर वाइस मार्शल रैंक के अधिकारी के तहत स्थापित किया गया है, जो धीरे-धीरे तीनों सेनाओं की स्पेस से संबंधित क्षमताओं से लैस हो जाएगी। इसके साथ ही एक स्पेशल ऑपरेशंस डिवीज़न भी बनाया जा रहा है जिसका उद्देश्य देश के भीतर और बाहर स्पेशल ऑपरेशन में सहयोग करना है। आपको बता दें कि इसी साल मार्च में भारत ने एक एंटी-सैटेलाइट टेस्ट किया था, जिसमें अंतरिक्ष में सैटेलाइट को निशाना बनाकर नष्ट किया गया था।
सतर्कता आयुक्त शरद कुमार को अंतरिम केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (CVC) नियुक्त किया गया है। वर्तमान CVC के.वी. चौधरी का कार्यकाल 9 जून को पूरा हो गया और सतर्कता आयुक्त टी.एम. भसीन का कार्यकाल 10 जून को पूरा हुआ। आतंकवाद रोधक जाँच एजेंसी NIA यानी राष्ट्रीय जाँच एजेंसी के पूर्व प्रमुख रह चुके शरद कुमार ने पिछले वर्ष 12 जून को सतर्कता आयुक्त का कार्यभार संभाला था। CVC में उनका कार्यकाल अगले साल अक्तूबर में 65 साल की आयु पूरी होने के बाद समाप्त होगा। फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली चयन समिति द्वारा नया CVC चुने जाने तक वह इस पद पर बने रहेंगे। गौरतलब है कि के. संथानम समिति की सिफारिशों पर सरकार ने फरवरी, 1964 में केंद्रीय सतर्कता आयोग की स्थापना की थी। 25 अगस्त, 1988 को एक अध्यादेश के ज़रिये सांविधिक दर्जा देकर इसे बहुसदस्यीय आयोग बनाया गया। केंद्रीय सतर्कता आयोग विधेयक संसद के दोनों सदनों द्वारा वर्ष 2003 में पारित किया गया तथा राष्ट्रपति ने भी इसे स्वीकृति दी।
रिज़र्व बैंक ने ऑटोमेटेड टेलर मशीन (ATM) के इस्तेमाल पर लगने वाले शुल्कों की समीक्षा के लिये एक पैनल का गठन किया है। इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर की अध्यक्षता में बना यह पैनल अपनी पहली मीटिंग के दो महीने के भीतर रिपोर्ट देगा। इससे पहले इसी महीने हुई मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा में रिज़र्व बैंक ने एटीएम (ATM) इंटरचेंज फी स्ट्रक्चर की समीक्षा के लिये एक पैनल गठित करने की बात कही थी। ज्ञातव्य है कि कुछ समय पहले संसद की एक समिति ने रिज़र्व बैंक से ATM से जुड़ी कठिनाइयों को दूर करने हेतु इस दिशा में उचित कदम उठाने के लिये कहा था। रिज़र्व बैंक के आँकड़ों के अनुसार, सितंबर 2018 के अंत तक देश में ATM की संख्या 2,21,492 थी। इनमें से 1,43,844 ATM सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के, 59,645 निजी क्षेत्र के बैंकों के तथा 18,003 एटीएम विदेशी बैंकों, भुगतान बैंकों, लघु वित्त बैंकों और व्हाइट लेबल ATM थे।
हाल ही में जारी IMD विश्व प्रतिस्पर्द्धा रिपोर्ट ( World Competitiveness Report ) के अनुसार सिंगापुर दुनिया की सबसे प्रतिस्पर्द्धी अर्थव्यवस्था बन गया है। रिपोर्ट में दूसरे स्थान पर हॉन्गकॉन्ग है और बीते 9 सालों में पहली बार ऐसा हुआ है कि अमेरिका को इसमें तीसरा स्थान मिला है। स्विट्ज़रलैंड चौथे और UAE पाँचवें स्थान पर रहा। नीदरलैंड्स, स्वीडन, डेनमार्क, कतर और आयरलैंड टॉप-10 में शामिल रहे। भारत पिछले साल के 44वें स्थान की तुलना में इस साल एक स्थान ऊपर चढ़कर 43वें स्थान पर रहा। रिपोर्ट में भारत के बारे में कहा गया है कि इसने GDP में तेज़ बढ़ोतरी, कारोबार में आसानी के लिये विभिन्न कानूनों में सुधार और शिक्षा पर सरकारी खर्च बढ़ने के कारण अपनी कर नीतियों के मामले में भी अच्छा प्रदर्शन किया। IMD की इस रैंकिंग में GDP, सरकारी खर्च, भ्रष्टाचार का स्तर और बेरोज़गारी जैसे मापदंडों (Indicators) को ध्यान में रखा जाता है। IMD की इस रैंकिंग की शुरुआत 1989 में हुई थी। इसके तहत 235 मापदंडों पर 63 अर्थव्यवस्थाओं को रैंकिंग दी जाती है।