5 जून को दुनियाभर में विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन किया गया। पर्यावरण के संरक्षण के लिये कार्य करने और जागरूकता फैलाने की दृष्टि से यह संयुक्त राष्ट्र का सबसे महत्त्वपूर्ण दिवस है। पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर वर्ष 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से वैश्विक स्तर पर पर्यावरण की चिंता करते हुए विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का विचार रखा गया। इसकी शुरुआत स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुई, जहाँ पहली बार वैश्विक पर्यावरण सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें 119 देश शामिल हुए थे। विश्व में लगातार बढ़ते प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की चिंताओं के चलते विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत 1974 में हुई थी। विश्व पर्यावरण दिवस की इस वर्ष की थीम वायु प्रदूषण (Air Pollution) रखी गई है। हर वर्ष इस दिवस की मेज़बानी एक अलग देश करता है और इस बार यह मेज़बानी चीन कर रहा है।
अमेरिका ने भारत से कारोबारी वरीयता का दर्जा यानी GSP वापस ले लिया है। अब भारत के लगभग दो हज़ार से अधिक उत्पादों को अमेरिका में शुल्क मुक्त आयात की सुविधा नहीं मिलेगी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसी वर्ष 4 मार्च को GSP के दर्जे से बाहर करने का ऐलान किया था और इसके लिये 60 दिनों का समय दिया गया था| इस फैसले के पीछे अमेरिका ने तर्क दिया कि भारत ने उसके उत्पादों को अपने बाज़ार में उपयुक्त और उचित पहुँच उपलब्ध कराने का आश्वासन नहीं दिया। वर्ष 2018 में भारत से अमेरिका को होने वाला कुल निर्यात 51.4 अरब डॉलर था, जिसमें से केवल 6.35 अरब डॉलर का निर्यात GSP के तहत हुआ था। ज्ञातव्य है कि अमेरिका GSP के तहत कई विकासशील देशों (लगभग 120) से आयात होने वाले उत्पादों पर शुल्क नहीं लगाता। GSP की शुरुआत अमेरिका ने ट्रेड एक्ट, 1974 के तहत 1976 में की थी।
उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को अब अपने ऋण पर ब्याज में अधिकतम छूट मिल सकेगी। राज्य की सहकारी गन्ना विकास समितियों व चीनी मिल समितियों के निबंधक की ओर से एक नई व्यवस्था लागू की गई है। इस संशोधित व्यवस्था से हर किसान को ऋण पर ब्याज में अधिकतम छूट का लाभ मिल सकेगा। इस व्यवस्था के लागू होने से पूर्व केवल 3.7 प्रतिशत ब्याज अनुदान का लाभ किसानों को मिल पा रहा था तथा शेष 4 प्रतिशत ब्याज अनुदान का लाभ किसानों को इसलिये नहीं मिल पा रहा था क्योंकि समितियों द्वारा वर्ष में केवल एक बार ही ऋण वसूली की डिमांड लगाने के आदेश थे। नई व्यवस्था के तहत अब वर्ष में दो बार ऋण वसूली की डिमांड लगाई जाएगी। इससे ऐसे किसान जो लिये गए कृषि ऋण को समय के अंदर वापसी करना चाहते हैं, उन्हें नाबार्ड ऋण की आदायगी पर मिलने वाली ब्याज छूट का पूर्ण लाभ मिल सकेगा। ज्ञातव्य है कि वर्ष 1994 से नाबार्ड योजना के तहत गन्ना किसानों को उर्वरक, बीज, दवाओं के लिये कृषि ऋण की व्यवस्था गन्ना समितियों के माध्यम से प्रारम्भ की गई। वर्ष 2011 से राज्य सरकार एवं भारत सरकार के सहयोग से किसानों के हित में यह प्रावधान भी इस योजना में शुरू किया गया कि यदि कोई किसान ऋण की वापसी तय समय में कर देता है तो उसे ब्याज में और अतिरिक्त 4 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।
अफगानिस्तान और रूस के बीच कूटनीतिक संबंधों की 100वीं वर्षगांठ के मौके पर हाल ही में तालिबान के शीर्ष राजनीतिक सलाहकार सहित समूह के वरिष्ठ ओहदेदारों ने मास्को में अफगानिस्तान की राजनीतिक हस्तियों से मुलाकात कर अफगानिस्तान में शांति के लिये प्रतिबद्धता जताई। तालिबान के सह-संस्थापक और नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने कहा कि वे 18 साल के संघर्ष को समाप्त करना चाहते हैं, लेकिन विदेशी ताकतों के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद ही ऐसे किसी समझौते पर दस्तखत करेंगे। शांति की राह में मुख्य अवरोध अफगानिस्तान पर विदेशी ताकतों का कब्ज़ा है और यह समाप्त होना चाहिये। गौरतलब है कि तालिबान के गठन में मुल्ला उमर की मदद करने वाले बरादर को पाकिस्तान की एक जेल से रिहाई के बाद जनवरी में समूह का राजनीतिक प्रमुख नियुक्त किया गया था।
इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के गठबंधन सरकार बनाने में असफल रहने के बाद इज़राइली सांसदों ने संसद भंग करने के पक्ष में मतदान कर किया, जिससे नेतन्याहू इज़राइली इतिहास में पहले नामित प्रधानमंत्री बन गए, जो सरकार बनाने में असफल रहे। देश में अब 17 सितंबर को फिर से आम चुनाव कराए जाएंगे। ज्ञातव्य है कि करीब छह सप्ताह पहले ही निर्वाचित हुए इज़राइली सांसदों ने 21वीं नेसेट (इजराइली संसद) को भंग करने और इसी कैलेंडर वर्ष में दूसरी बार आम चुनाव कराने के पक्ष में 45 के मुकाबले 74 मतों से प्रस्ताव पारित किया। नेतन्याहू ने 9 अप्रैल को हुए चुनाव में रिकॉर्ड पाँचवीं बार जीत हासिल की थी, लेकिन उनकी यह जीत अस्थायी साबित हुई। उनके और इज़राइल के पूर्व रक्षा मंत्री के बीच मतभेद के कारण गठबंधन नहीं हो सका। नेतन्याहू 120 सदस्यीय सदन में केवल 60 सांसदों का समर्थन ही हासिल कर सके और केवल एक मत से बहुमत साबित नहीं कर पाए। नेसेट को भंग करने के बाद यह सुनिश्चित हो गया कि राष्ट्रपति रुवेन रिवलिन नई सरकार गठित करने के लिये किसी अन्य सांसद को आमंत्रित नहीं कर पाएंगे।
दक्षिण कोरिया के बॉन्ग जून-हू निर्देशित सामाजिक व्यंग्य फिल्म पैरासाइट को हाल ही में आयोजित हुए 72वें कान फिल्म महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ फिल्म अवॉर्ड से नवाजा गया। इस फिल्म की कहानी कोरिया में रहने वाले एक उच्चवर्गीय परिवार की है। ‘पैरासाइट’ एक ब्लैक कॉमेडी है जिसमें सोशल स्टेटस, महत्त्वाकांक्षाओं, भौतिकवाद और पितृसत्ता से जुड़े एलिमेंट्स देखने को मिलते हैं। गौरतलब है कि हर साल एक फिल्म को कान के प्रतिष्ठित पाम डि ओर (Palme d’Or) अवॉर्ड से सम्मानित किया जाता है। पिछले वर्ष जापान के डायरेक्टर हीरोकाज़ु कोरे-एदा की फिल्म शॉपलिफ्टर्स को यह अवॉर्ड मिला था।