कुछ दिन पूर्व अपने निर्धारित प्रक्षेपण के दिन आई तकनीकी खामी की वज़ह से स्थगित हुई चंद्रयान-2 की उड़ान को 22 जुलाई को दोपहर 2:43 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रॉकेट GSLV MK-3 यानी बाहुबली ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया। अब अलग-अलग चरणों में सफर पूरा करते हुए यान 7 सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की निर्धारित जगह पर उतरेगा। चंद्रयान-2 के तीन हिस्से हैं- ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर। अंतरिक्ष वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के सम्मान में लैंडर का नाम विक्रम रखा गया है। रोवर का नाम प्रज्ञान है, जिसका अर्थ है ‘ज्ञान’। चंद्रमा की कक्षा में पहुँचने के बाद लैंडर-रोवर अपने ऑर्बिटर से अलग हो जाएंगे। लैंडर ‘विक्रम’ 7 सितंबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के नज़दीक उतरेगा। लैंडर उतरने के बाद रोवर उससे अलग होकर अन्य प्रयोगों को अंजाम देगा। लैंडर और रोवर के काम करने की कुल अवधि 14 दिन की है। चंद्रमा के हिसाब से यह एक दिन की अवधि होगी। वहीं ऑर्बिटर सालभर चंद्रमा की परिक्रमा करते हुए विभिन्न प्रयोगों को अंजाम देगा। आपको बता दें कि वर्ष 2008 में भारत ने चंद्रयान-1 लॉन्च किया था, जो एक ऑर्बिटर अभियान था। ऑर्बिटर ने 10 महीने तक चंद्रमा का चक्कर लगाया था तथा वहाँ पानी का पता लगाने का श्रेय भारत के इसी अभियान को जाता है।
केंद्र सरकार ने 58 और अनावश्यक कानूनों को समाप्त करने के लिये विधेयक लाने की मंज़ूरी दे दी है। इसका उद्देश्य अपनी महत्ता खो चुके पुराने कानूनों को समाप्त करना है। NDA सरकार ने अपने दो कार्यकाल के दौरान अब तक 1824 ऐसे कानूनों को खत्म किया है। इनमें अधिकांश ऐसे कानून हैं, जिन्हें प्रमुख या मुख्य कानूनों में संशोधन करने के लिये लागू किया गया था और अब ये अपनी प्रासंगिकता खो चुके हैं। स्वतंत्र कानून के रूप में कानूनी पुस्तकों में इनका होना व्यवस्था में बाधक बनता है। वर्ष 2014 में पहली बार NDA सरकार के सत्ता में आने के बाद पुराने कानूनों को निरस्त करने के लिये दो सदस्यीय पैनल की स्थापना की गई थी। इस पैनल ने केंद्र और राज्य सरकारों से इन कानूनों को निरस्त करने की सिफारिश करने से पहले सभी संबधित पक्षों के साथ परामर्श भी किया था। वर्ष 2014 में NDA सरकार बन जाने के बाद विधि आयोग ने अपनी 248, 249, 250 और 251वीं अंतरिम रिपोर्टों में क्रमश: 72, 113, 74 और 30 अनावश्यक और अप्रासंगिक हो चुके कानूनों (जिनमें कुछ राज्यों के कानून भी शामिल थे) की पहचान करके उन्हें जल्द-से-जल्द निरस्त करने की सिफारिश की थी। वैसे विधि आयोग हर बार ऐसे कानूनों को समाप्त करने के लिये अपनी रिपोर्ट में उल्लेख करता रहता है।
केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चार राज्यों में नए राज्यपालों की नियुक्ति की है तथा दो राज्यपालों का तबादला कर दिया। नगा वार्ता के पूर्व वार्ताकार आर.एन. रवि को नगालैंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया है तथा प्रख्यात वकील पूर्व सांसद जगदीप धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया है। रमेश बैस को त्रिपुरा का राज्यपाल नियुक्त किया गया है तथा फागू चौहान बिहार के राज्यपाल के तौर पर लालजी टंडन का स्थान लेंगे। मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को उत्तर प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया है, उनकी जगह बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन लेंगे।
शांति के लिये नोबेल पुरस्कार विजेता और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति स्व. नेल्सन मंडेला के जन्मदिन 18 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र द्वारा नेल्सन मंडेला अंतर्राष्ट्रीय दिवस के तौर पर मनाया जाता है। वर्ष 2010 में 18 जुलाई को जब मंडेला 92 वर्ष के हुए तब से प्रतिवर्ष यह दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था। आपको बता दें कि दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदी शासन के दौरान नेल्सन मंडेला ने अपने जीवन के 27 साल वहाँ की जेलों में बिताए। संयुक्त राष्ट्र ने नेल्सन मंडेला को यह सम्मान उनके जीवित रहते शांति स्थापना, रंगभेद उन्मूलन, मानवाधिकारों की रक्षा और लैंगिक समानता की स्थापना के लिये किये गए उनके सतत प्रयासों के लिये दिया। नेल्सन मंडेला को साहस, करुणा और स्वतंत्रता, शांति एवं सामाजिक न्याय के लिये प्रतिबद्धता का वैश्विक प्रतीक माना जाता है। वह 10 मई, 1994 से 14 जून, 1999 तक दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रहे तथा वह अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति थे।
अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक फर्नांडो कॉर्बेटो (Fernando Corbato) का 93 वर्ष की उम्र में न्यूयॉर्क में निधन हो गया। कॉर्बेटो ने कंप्यूटर पासवर्ड का आविष्कार किया था। उन्होंने 1960 के दशक में कंप्यूटर टाइम शेयरिंग सिस्टम (CTSS) को लेकर एक प्रोजेक्ट पर काम किया, जिसमें विभिन्न स्थानों पर कई उपयोगकर्त्ताओं को एक ही कंप्यूटर को टेलीफोन लाइनों के माध्यम से एक साथ एक्सेस करने की सुविधा दी गई। उनकी इसी खोज की वज़ह से आज पर्सनल कंप्यूटर पासवर्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं। वह मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में प्रोफेसर थे। CTSS ने कई लोगों के लिये एक समय में एक कंप्यूटर का उपयोग करना और जटिल गणितीय कार्य करना संभव बना दिया। कॉर्बेटो की इस खोज से यह संभव हो पाया कि एक कंप्यूटर सिस्टम को कई लोग अलग-अलग अकाउंट से खोल सकते हैं। इस दौरान किसी अन्य यूज़र के फाइल या डाटा को नहीं खोला जा सकता। इससे किसी का निजी डेटा लीक होने की संभावना कम हो गई।
केन्या के राष्ट्रीय संग्रहालय और अमेरिका में अरकंसास विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ताओं ने बंदर प्रजाति के सबसे छोटे जीवाश्म की खोज की है, जो खरगोश के आकार जैसा है। ऐसे बंदर केन्या में लगभग 4.2 मिलियन वर्ष पहले रहते थे। इस बंदर का नाम नैनोपिथेकस ब्राउनी है जो विश्व में बंदर की सबसे छोटी प्रजाति है। इसका वज़न मात्र 2-3 पाउंड होता है। अफ्रीका में 'ओल्ड वर्ल्ड' के नाम से मशहूर टेलापोइन बंदरों के एक बड़े समूह का हिस्सा रहता है, जिन्हें ‘ग्वेन’ के नाम से भी जाना जाता है। बंदर का यह जीवाश्म केन्या के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा गया है।