वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना पहला बजट पेश करने से पहले 4 जुलाई को वर्ष 2018-19 का आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) पेश किया।
असम की तर्ज़ पर अब नगालैंड ने भी अपना स्थानीय NRC बनाने की तैयारी कर ली है। इसी 10 जुलाई से इस पर काम शुरू होने जा रहा है तथा इसके लिये 60 दिनों की समय-सीमा तय की गई है। इस National Register of Citizens (NRC) को तैयार करने का प्रमुख उद्देश्य राज्य में स्थानीय और बाहरी लोगों की पहचान करना है। गौरतलब है कि राज्य में अक्सर बाहरी लोगों पर स्थानीय निवासी का प्रमाणपत्र हासिल करने के आरोप लगते रहे हैं। राज्य सरकार ने इस पूरी कवायद के लिये 60 दिनों की समय-सीमा तय की है। Register of Indigenous Inhabitants of Nagaland (RIIN) नामक यह अभियान पूरी तरह NRC के तौर पर ही काम करेगा। बाद में लोग इसमें अपने दावे और आपत्तियाँ भी दाखिल कर सकेंगे। हर पाँच साल बाद इस रजिस्टर का डेटा अपडेट किया जाएगा। इसके लिये कई टीमों का गठन किया जाएगा जो गाँव-गाँव जाकर आँकड़े जुटाएंगी जिसमें संबंधित व्यक्ति के वोटर कार्ड, पैन कार्ड और आधार कार्ड से संबंधित आँकड़े भी शामिल होंगे। इसके पूरा होने के बाद सिर्फ राज्य के मूल निवासियों की होने वाली संतानों को ही जन्म प्रमाणपत्र के साथ मूल निवासी का प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। रजिस्टर तैयार होने के बाद पहले के तमाम प्रमाणपत्रों को रद्द कर सभी मूल निवासियों को बार कोड वाले नए प्रमाणपत्र जारी किये जाएंगे जिनमें संबंधित व्यक्ति का पूरा ब्योरा दर्ज होगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अपने फैसलों की कॉपी हिंदी सहित 6 क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने की बात कही है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले अब तक केवल अंग्रेज़ी भाषा में ही अपलोड किये जाते रहे हैं। अब उन्हें हिंदी में भी अनुवाद कर वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा तथा इसके साथ ही कन्नड़, असमिया, ओड़िया और तेलुगू जैसी क्षेत्रीय भाषाओं में भी फैसला आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड होगा। आपको बता दें कि लंबे समय से सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के फैसलों की कॉपी क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध करने की मांग होती रही है। हिंदी और क्षेत्रीय भाषा में फैसले उपलब्ध होने से अंग्रेज़ी नहीं समझने वाले लोगों को फायदा होगा। शुरुआत में सिविल मैटर जिनमें दो लोगों के बीच विवाद हो, क्रिमिनल मैटर, मकान मालिक और किरायेदार का मामला तथा वैवाहिक विवाद से संबंधित मामले के फैसलों को क्षेत्रीय भाषाओं में अपलोड किया जाएगा। 500 पेज और बहुत विस्तृत फैसलों का संक्षिप्त सार ही अपलोड किया जाएगा।
केंद्र सरकार ने खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि की है। वर्ष 2019-20 के लिये मुख्य खरीफ फसल धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3.7 प्रतिशत बढ़ाकर 1815 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है। धान के MSP में 65 रुपए प्रति क्विंटल, ज्वार में 120 रुपए प्रति क्विंटल तथा रागी के MSP में 253 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई। इसके अलावा तुअर, मूंग और उड़द दालों का MSP भी क्रमश: 215 रुपए, 75 रुपए और 100 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है। मूंगफली में 200 रुपए क्विंटल तथा सोयाबीन में 311 रुपए क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। मध्यम कपास का MSP 105 रुपए क्विंटल तथा लंबे कपास का MSP 100 रुपए क्विंटल बढ़ाया गया है। ज्ञातव्य है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य वह कीमत है, जिस पर केंद्र सरकार किसानों को उनकी उपज का भुगतान करने की गारंटी देती है।
प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्त्ता और बांग्लादेश के नोआखाली में गांधी आश्रम ट्रस्ट की सचिव झरना धरा चौधरी का 27 जून को ढाका में निधन हो गया। उनकी गिनती प्रख्यात गांधीवादियों में होती है, जिन्होंने अपना पूरा जीवन शांति, सांप्रदायिक सद्भाव और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिये समर्पित कर दिया। वह अहिंसा और सांप्रदायिक सद्भाव के गांधीवादी सिद्धांतों से बेहद प्रभावित थीं। उनके काम की पहचान को मान्यता देते हुए वर्ष 2013 में उन्हें पद्मश्री, वर्ष 2010 में गांधी सेवा पुरस्कार तथा वर्ष 1998 में जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें गांधी सेवा पुरस्कार और सामाजिक कार्यों के लिये एकुशे (Ekushey) पदक जैसे कई अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कार भी मिले। आपको बता दें कि नोआखाली में गांधी आश्रम ट्रस्ट महिलाओं की आय बढ़ाने के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन करता है और गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करता है।
प्रख्यात औद्योगिक समूह बिड़ला परिवार के सबसे वरिष्ठ सदस्य बसंत कुमार बि़ड़ला का 3 जून को 98 वर्ष की उम्र में मुंबई में निधन हो गया। वह वर्तमान दौर के प्रसिद्ध उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला के दादा थे। वह महात्मा गांधी के नज़दीकी उद्योगपति घनश्यामदास बिड़ला के सबसे छोटे पुत्र और आदित्य विक्रम बिड़ला के पिता थे। 80 वर्ष पूर्व बसंत कुमार बिड़ला ने व्यापार की कमान संभाल ली थी और सबसे पहले केसोराम इंडस्ट्रीज़ के चेयरमैन बने थे। इसके बाद उन्होंने कॉटन, विस्कॉस, पॉलियेस्टर, नायलॉन, रिफ्रेक्ट्री पेपर, शिपिंग, टायर कॉर्ड, ट्रांसपेरेंट पेपर, सीमेंट, चाय, कॉफी, इलायची, केमिकल्स, प्लाइवुड आदि में अपने समूह को शीर्ष पर पहुँचाया। इसके अलावा वह कई चेरिटेबल ट्रस्ट और शिक्षा संस्थानों से जुड़े हुए थे।