बेंगलुरु में चल रहे एयरो इंडिया 2019 में पहली बार नीति आयोग के अटल नवाचार मिशन और IIT मुम्बई के स्टार्ट-अप द्रोण एविएशन द्वारा मिलकर बनाए गए ATL ड्रोन मॉड्यूल को प्रदर्शित किया गया। अटल ड्रोन माड्यूल बनाने का उद्देश्य देश के युवा छात्र-छात्राओं को ड्रोन बनाने की कला सिखाना और इसके ज़रिये सामुदायिक स्तर पर कई समस्याओं का हल ढूंढना है। गौरतलब है कि चौथी औद्योगिक क्रांति के युग में भौतिकी, गणित, रसायन शास्त्र और संवेदी प्रौद्योगिकी की अवधारणा को एक साथ जोड़ने की सबसे विकसित प्रौद्योगिकी ड्रोन है। इसके इस्तेमाल से समस्याओं के समाधान के कई नए तरीके विकसित किये जा सकते हैं। द्रोण एविएशन देश में ड्रोन बनाने वाली पहली कंपनी है, जो ड्रोन बनाने के लिये नवाचार पर केंद्रित है। ज्ञातव्य है कि भारत में नवाचार और उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देने के लिये नीति आयोग द्वारा तैयार किया गया अटल नवाचार मिशन भारत सरकार की प्रमुख पहल है। इसका उद्देश्य युवा पीढ़ी को डिज़ाइनिंग, समस्याओं के समाधान के तरीके खोजने और परस्पर सहयोग तथा गहन सोच जैसे 21वीं सदी के नए कौशल से सुसज्जित करना है।
केंद्र सरकार और जनता के बीच सुशासन के मॉडल को और मजबूत बनाने के उद्देश्य से गृह मंत्रालय ने पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो को एक अखिल भारतीय सर्वेक्षण करने की ज़िम्मेदारी सौंपी है। ‘ऑल इंडिया सिटीजंस सर्वे ऑफ पुलिस सर्विसेज़’ नामक यह सर्वेक्षण नई दिल्ली के National Council of Applied Economic Research द्वारा नौ महीनों में पूरा कर लिया जाएगा। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य पुलिस के बारे में लोगों के विचारों और उनके रवैये को समझना है। इसके तहत यह देखा जाना है कि ऐसे अपराधों और घटनाओं की संख्या कितनी है, जिनकी रिपोर्ट पुलिस में दर्ज नहीं की जाती है। यह सर्वेक्षण मध्य मार्च 2019 में शुरू होगा और इसके दायरे में देश के 173 ज़िलों के 1.20 लाख घर शामिल किये जाएंगे। यह सर्वेक्षण NSSO (राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन) की रूपरेखा के अनुरूप होगा। सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सर्वेक्षण में उचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। गौरतलब है कि नागरिक केंद्रित पुलिस सेवाएँ प्रदान करने के संबंध में राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रयासों को मजबूती देने के उद्देश्य से सरकार समय-समय पर अनेक कदम उठाती है। इसके लिये स्वतंत्र एजेंसियाँ जन-आकांक्षा संबंधी सर्वेक्षण के ज़रिये उपरोक्त प्रयासों का विश्लेषण करती हैं। ऐसे सर्वेक्षण दुनियाभर में किये जाते हैं।
अपनी हालिया दो दिवसीय दक्षिण कोरिया यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सियोल के योनसेई विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया। गौरतलब है कि विश्व के कई देशों में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर बापू की प्रतिमाओं का अनावरण किया जा रहा है। योनसेई विश्वविद्यालय दक्षिण कोरिया के सर्वाधिक प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में से एक है। दक्षिण कोरिया में महात्मा गांधी को विश्व शांति के प्रतीक के रूप में सम्मान दिया जाता है। इस अवसर पर दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन, प्रथम महिला किम जूंग-सूक और संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की-मून भी उपस्थित थे।
हाल ही में नई दिल्ली में एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) द्वारा शिष्ट भारत अभियान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की थीम थी...स्कूलों और कॉलेजों में नैतिक विज्ञान शिक्षा के महत्व पर चर्चा करना और पाठ्यक्रम में नैतिक विज्ञान को एक विषय के रूप में शामिल करना। केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने इस अभियान की शुरुआत करते हुए कहा कि इस तरह के अभियान जनता को रचनात्मक दिशा में ले जाते हैं और वरिष्ठ लोगों को अपने आचरण से युवा पीढ़ी के सामने उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिये, ताकि युवा अपनी पुरानी पीढ़ियों को देखकर स्वभाविक रूप से मूल्यों को प्राप्त कर सकें।
हाल ही में नई दिल्ली में ऊर्जा एवं पर्यावण: चुनौतियां और अवसर (ENCO 2019) सम्मेलन और प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसे वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने आयोजित किया था। इसका उद्घाटन करते हुए अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि आज के त्वरित प्रौद्योगिकीय उन्नति के दौर में ऊर्जा और पर्यावरण विकासशील देशों के लिये ही नहीं, बल्कि विकसित देशों के लिये भी चिंता के प्रमुख विषय हैं। वैश्विक रुझान दर्शाते हैं कि कोयला भारत सहित अधिकांश देशों के लिये ऊर्जा का प्रमुख स्रोत बना रहेगा, जबकि ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत भी बढ़ते रहेंगे। भारत सभी नागरिकों को किफायती दाम पर बिजली उपलब्ध कराने के साथ ही उद्योग 4.0 (चौथी औद्योगिक क्रांति) के अनुरूप औद्योगिक राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिये संकल्पबद्ध है। सम्मेलन में जीवाश्म ईंधनों के उपयोग और व्यावहारिक विकल्पों से संबंधित पर्यावरण के मामलों पर व्यवहार्य विचार पेश करने पर भी चर्चा हुई।
हाल ही में आठवें विश्व कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी सम्मेलन का आयोजन मुंबई में किया गया। इसके आयोजन की ज़िम्मेदारी वर्ल्ड कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी कांग्रेस (World CSR Congress) को सौंपी गई थी। यह संस्था उद्यमिता, सामाजिक ज़िम्मेदारी, स्थिरता और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने का काम करती है। आठवें विश्व कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी सम्मेलन की थीम कॉर्पोरेट रणनीतियों, नवाचार और रणनीतिक गठजोड़ पर ध्यान केंद्रित करने के लिये सतत विकास लक्ष्य (SDG) रखी गई थी।
दक्षिण दिल्ली में एक वेस्ट टू वंडर पार्क बनाया गया है, जिसका उद्घाटन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने किया। औद्योगिक एवं अन्य तरह के 150 टन कचरे का इस्तेमाल करके दिल्ली के सराय काले खां में यह थीम पार्क बनाया गया है। देश में अपनी तरह के इस पहले थीम पार्क में गीजा के महान पिरामिड (18 फुट), एफिल टॉवर (60 फुट), पीसा की झुकी हुई मीनार (25 फुट), रियो डी जेनेरियो का क्राइस्ट द रिडिमर (25 फुट), रोम का कोलोज़ियम (15 फुट) और न्यूयॉर्क की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (30 फुट) का निर्माण किया गया है। इस पार्क का निर्माण दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (SDMC) ने कचरे का प्रसंस्करण करके शहर की सुंदरता बढ़ाने की पहल के रूप में किया है। पार्क में लगी प्रतिकृतियों का निर्माण ऑटोमोबाइल कचरे और पंखों, छड़ी, लोहे की चादरों, नट-बोल्ट, साइकिल और मोटरसाइकिल सहित कई अन्य तरह की धातुओं के कचरे से किया गया है। इस पार्क में आने वाले वयस्कों को 50 रुपए और 3-12 साल के बच्चों को 25 रुपए का टिकट लेना होगा। तीन साल से कम उम्र के बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों तथा नगर निगम के स्कूल के छात्रों के लिये प्रवेश नि:शुल्क है।
20 फरवरी को दुनियाभर में विश्व सामाजिक न्याय दिवस का आयोजन किया गया। वर्तमान समय में भी कई तरह के भेदभाव कायम हैं, जो लोगों के बीच दूरी का कारण बन गए हैं। ऐसे भेदभावों के कारण लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लोगों के बीच व्याप्त असमानताओं को खत्म करने के प्रति समाज को जागरूक करने के लिये विश्व सामाजिक न्याय दिवस का आयोजन किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, सामाजिक न्याय देशों के मध्य समृद्ध और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिये एक अंतर्निहित सिद्धांत है। सामाजिक न्याय का अर्थ है- लिंग, आयु, धर्म, अक्षमता तथा संस्कृति की भावना को भूलकर समान समाज की स्थापना करना। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2007 में इस दिवस को मनाने का एलान किया गया। इसके तहत वैश्विक सामाजिक न्याय विकास सम्मेलन आयोजित कराने तथा 24वें महासभा सत्र का आह्वान करने की घोषणा की गई।