19 अगस्त को दुनियाभर में विश्व मानवतावादी दिवस या विश्व मानवता दिवस (World Humanitarian Day) का आयोजन किया जाता है। यह दिन उन लोगों की स्मृति में मनाया जाता है जिन्होंने विश्व स्तर पर मानवतावादी संकट में अपनी जान गंवाई या मानवीय उद्देश्यों के कारण दूसरों की सहायता हेतु अपने प्राणों की बाज़ी लगा दी।16 वर्ष पूर्व वर्ष 2003 में इराक की राजधानी बगदाद में इसी दिन संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर हमला किया गया था, जिसमें 22 संयुक्त राष्ट्र कर्मी मारे गए थे। इसके बाद दिसंबर 2008 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 63वें सत्र में 19 अगस्त को विश्व मानवतावादी दिवस के रूप में नामित करने का निर्णय लिया गया था। यह दिन दुनियाभर में मानवीय ज़रूरतों पर ध्यान आकर्षित करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए इन्हें पूरा करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्त्व को दर्शाता है। वर्ष 2019 के लिये इस दिवस की थीम Women Humanitarians रखी गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाने के आह्वान के बाद केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है। मंत्रालय की सबसे बड़ी चिंता शीतल पेय और मिनरल वाटर की बोतल, दूध की थैलियां और चिप्स जैसी चीज़ों की पैकिंग में प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने की है। गौरतलब है कि दैनिक इस्तेमाल वाला प्लास्टिक बहुत कम बार रिसाइकल हो पाता है। जब लोगों में स्वयं ऐसे प्लास्टिक को इस्तेमाल न करने की इच्छा होगी तभी निर्माता कंपनियाँ वैकल्पिक पैकेजिंग पर विचार करेंगी। इसके लिये मंत्रालय व्यापक स्तर पर अभियान चलाने जा रहा है, जिसमें राज्य सरकारों से लेकर नगर निगमों के स्तर तक स्थानीय शासन की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी और स्वयंसेवी संस्थाओं की भी मदद ली जाएगी। इस अभियान का उद्देश्य गांधी जयंती से पहले सिंगल यूज प्लास्टिक का न्यूनतम इस्तेमाल किया जाना है। विदित हो कि कुछ राज्य सरकारों ने पहले ही इस प्रकार के प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा रखा है। सिक्किम देश का पहला राज्य था जिसने वर्ष 1998 में प्लास्टिक का इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर दिया। कुछ समय बाद उसने प्लास्टिक की बोतल भी बेचना बंद कर दिया। तीन साल पहले हिमाचल प्रदेश ने भी प्लास्टिक की थैलियों के इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा दिया। पिछले साल महाराष्ट्र सरकार ने भी पूर्ण प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी, हालाँकि कुछ समय पहले उसने प्लास्टिक की बोतलों को कंपनियों द्वारा वापस खरीदने यानी बाई बैक की योजना के साथ बेचने का विकल्प खोल दिया। इनके अलावा जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, त्रिपुरा और मध्य प्रदेश में सिंगल यूज़ प्लास्टिक प्रतिबंधित है।
उत्तराखंड में चारों धाम को जोड़ने वाली केंद्र सरकार की आल वेदर रोड परियोजना को सर्वोच्च न्यायालय ने मंज़ूरी दे दी है। लेकिन इस योजना के तहत रोकी गई अन्य परियोजनाओं पर काम अगले आदेश तक रुका रहेगा। इसके लिये पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) समिति की मंज़ूरी लेनी होगी। बता दें कि चार धाम परियोजना का उद्देश्य सभी मौसम में इस पहाड़ी राज्य के चार पवित्र स्थलों- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ना है। इस परियोजना के पूरा हो जाने के बाद हर मौसम में चारधाम यात्रा की जा सकेगी। इसे चुनौती देने वाली याचिका में कहा गया है कि यदि इस परियोजना को मंज़ूरी दी जाती है तो पर्यावरण को 10 पनबिजली परियोजनाओं द्वारा होने वाले नुकसान के बराबर क्षति होगी। NGT ने पिछले साल 26 सितंबर को परियोजना पर निगरानी रखने के लिये एक समिति का गठन किया था। यह समिति परियोजना के पर्यावरण प्रबंधन योजना के क्रियान्वयन की देखरेख के लिये बनाई गई थी। गौरतलब है कि इस परियोजना के तहत 900 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण हो रहा है। अभी तक 400 किमी. सड़कों का चौड़ीकरण किया जा चुका है। एक अनुमान के मुताबिक इसके लिये अभी तक 25 हजार पेड़ों की कटाई हो चुकी है, जिससे पर्यावरणविद चिंतित हैं।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने इसी वर्ष 25 जून को राष्ट्रीय संसाधन दक्षता नीति का मसौदा जारी किया था तथा नागरिकों सहित सभी भागीदारो से टिप्पणी और सुझाव आमंत्रित किये थे, जिन्हें अब जारी कर दिया गया है। 2.6 ट्रिलियन डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के साथ भारत आज विश्व में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। भारत में वर्ष 1970 में जहाँ 1.18 बिलियन टन की सामान खपत होती थी, वहीं वर्ष 2015 में यह छह गुना बढ़कर 7 बिलियन टन के स्तर पर पहुँच गई। सामान की खपत, बढ़ती हुई जनसंख्या, तेज़ी से हो रहे शहरीकरण और बढ़ती हुई आकांक्षाओ के चलते इसके ओर बढ़ने की उम्मीद है। संसाधन क्षमता में वृद्धि और अतिरिक्त कच्चे सामान का प्रयोग वृद्धि, संसाधन बाधा और पर्यावरण के प्रति देखभाल संबंधी भविष्य की समस्याओ का निवारण करेगा।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र के निवासी समन्वय प्रणाली के लिये विशेष उद्देश्य न्यास कोष में 10 लाख डॉलर का योगदान दिया है। इस वैश्विक निकाय का यह कोष सभी भागीदारों के योगदान तथा वित्तीय लेन-देन का पारदर्शी एवं प्रभावी तरीके से लेखा-जोखा रखने के लिये बनाया गया है। इसके अलावा भारत संयुक्त राष्ट्र के अभियानों के लिये शांतिरक्षक और पुलिस बल भी मुहैया कराता है और इस मद में संयुक्त राष्ट्र पर भारत का 3.8 करोड़ रुपये बकाया है। यह संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक आकलन का एक तिहाई है। भुगतान में देरी से संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षा अभियानों पर भी असर पड़ता है।