केंद्र सरकार ने फेम इंडिया योजना के दूसरे चरण के तहत राज्यों में 5595 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद को मंज़ूरी दे दी है। इसमें सबसे अधिक 600 बसें उत्तर प्रदेश के 11 शहरों के लिये स्वीकृत की गई हैं। दूसरे स्थान पर तमिलनाडु है, जिसे 550 बसें खरीदने की मंज़ूरी मिली है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार के भारी उद्योग विभाग ने 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों, स्मार्ट सिटी तथा राज्य परिवहन निगमों से फेम इंडिया योजना के तहत इलेक्ट्रिक बसों को चलाने के लिये आवेदन मांगे थे। इन बसों को परिचालन लागत के आधार पर चलाया जाएगा। राज्यों की तरफ से कुल 14,988 बसों के लिये आवेदन मिले थे। केंद्र सरकार फेम इंडिया योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिये सब्सिडी देती है। केंद्र सरकार ने फेम-2 योजना के तहत 10 हज़ार करोड़ रुपए स्वीकृत किये हैं, जिनमें से 8095 करोड़ रुपए वाहनों की खरीद पर दिये जाने वाले प्रोत्साहनों पर खर्च किये जाने हैं। इसके अलावा 1000 करोड़ रुपए चार्जिंग स्टेशन बनाने पर खर्च किये जाएंगे। यह योजना फेम इंडिया-1 का विस्तारित संस्करण है। फेम इंडिया-1 योजना 1 अप्रैल, 2015 को लागू की गई थी।
7 अगस्त को देशभर में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य कार्यक्रम ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में हुआ। भुवनेश्वर को वहाँ की हथकरघा की समृद्धि संस्कृति के कारण मुख्य कार्यक्रम स्थल के रूप में चुना गया। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के आयोजन का मुख्य लक्ष्य महिलाओं एवं लड़कियों का सशक्तीकरण करना था। भारत में बुनकरों की आधी से अधिक आबादी पूर्वी एवं उत्तर-पूर्वी राज्यों में रहती है, जिनमें से अधिकतर महिलाएँ हैं। ज्ञातव्य है कि यह पाँचवां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस था। 29 जुलाई, 2015 को भारत सरकार द्वारा जारी राजपत्र में 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में अधिसूचित किया गया था। इसका उद्देश्य हथकरघा उद्योग के महत्त्व एवं आमतौर पर देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में इसके योगदान के बारे में जागरूकता फैलाना और हथकरघा को बढ़ावा देना, बुनकरों की आय को बढ़ाना उनके सामाजिक स्तर में वृद्धि करना था। 7 अगस्त की तारीख का चयन भारत की आज़ादी की लड़ाई में इसके विशेष महत्त्व को देखते हुए किया गया। वर्ष 1905 में इसी दिन कोलकाता के टाउनहॉल में एक जनसभा में स्वदेशी आंदोलन की औपचारिक रूप से शुरुआत हुई थी। इस आंदोलन में घरेलू उत्पादों और उत्पादन प्रक्रियाओं का पुनरोत्थान शामिल था। भारत सरकार ने इसी की याद में 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में घोषित किया है। पहला राष्ट्रीय हथकरघा दिवस वर्ष 2015 में मनाया गया था और चेन्नई में इसका मुख्य समारोह आयोजित किया गया था।
राजस्थान सरकार ने राज्य में उच्च शिक्षा के नए मॉडल की शुरुआत की है। इसे Resource Assistance for Colleges with Excellence (RACE) नाम दिया गया है। इस मॉडल के तहत सरकारी कॉलेजों में फैकल्टी तथा चल संपत्ति के समान वितरण पर बल दिया जाएगा तथा संसाधनों का अधिकतम उपयोग संभव हो सकेगा। इसके तहत संसाधनों की उपलब्धता को तर्कसंगत बनाया जाएगा। इस मॉडल के तहत सुविधाओं के बँटवारे के लिये एक पूल बनाया जाएगा, जो अवसंरचना की कमी वाले कॉलेजों को लाभान्वित करेगा। RACE संसाधनों को चैनलाइज़ करके गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने में सहायता करेगा। यह मॉडल छोटे कॉलेजों को स्वायत्तता देगा और स्थानीय स्तर पर उनकी समस्याओं का समाधान खोजने में मदद करेगा। देश में उच्च शिक्षा में राजस्थान की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, राज्य के 34 ज़िलों में से 29 में कुल नामांकन 12 प्रतिशत से भी कम है, जबकि केंद्र सरकार ने वर्ष 2020 तक 30 प्रतिशत नामांकन का लक्ष्य रखा है।
डिजिटल इंडिया के तहत किसानों को तकनीक से जोड़ने के लिये पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय तथा कृषि मंत्रालय ने मेघदूत मोबाइल एप लॉन्च किया है। यह एप किसानों को उनके क्षेत्र के अनुसार कृषि और मवेशियों के लिये मौसम आधारित सलाह स्थानीय भाषा में देगा। इस एप की मदद से किसान तापमान, वर्षा, नमी और वायु की गति और दिशा के बारे में जान सकते हैं। किसान मौसम संबंधी यह जानकारी प्राप्त कर फसल और मवेशियों की बेहतर तरीके से देखभाल कर सकते हैं। एप की सूचनाएँ सप्ताह में दो दिन- मंगलवार और शुक्रवार को अपडेट होंगी। शुरुआत में यह एप देश के 150 ज़िलों के स्थानीय मौसम के बारे में जानकारी देगा। अगले एक साल में इसकी सेवा का विस्तार किया जाएगा। मेघदूत एप को भारत मौसम विज्ञान विभाग और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने मिलकर विकसित किया है। एप पर सूचनाओं को चित्र और मैप के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा है। अभी इसे whatsapp और फेसबुक से जोड़ा गया है तथा भविष्य में इसे यू-ट्यूब से भी जोड़ दिया जाएगा। गौरतलब है कि इससे पहले किसानों के लिये किसान सुविधा एप और पूसा कृषि मोबाइल एप लाया जा चुका है। किसान सुविधा एप पर मौसम, बाज़ार मूल्य, बीज, उर्वरक, कीटनाशक और कृषि मशीनरी के बारे में जानकारी मिलती है, जबकि पूसा कृषि मोबाइल एप भारतीय कृषि शोध संस्थान के द्वारा लाई गई नई तकनीकों के बारे में बताता है।
संयुक्त राष्ट्र की संस्था विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के अनुसार, सूखा, बाढ़ और आर्थिक तंगी से जूझ रहा ज़िम्बाब्वे भयंकर भुखमरी की चपेट में है। इस अफ्रीकी देश में करीब 36 लाख लोगों के पास अक्तूबर तक खाने को कुछ नहीं बचेगा। यह आँकड़ा अगले साल जनवरी में 55 लाख तक पहुँच सकता है। इसके साथ ही आर्थिक रूप से बदहाल ज़िम्बाब्वे में चक्रवात और सूखे का कहर भी देखने को मिल रहा है। वर्तमान में विश्व खाद्य कार्यक्रम द्वारा सात लाख लोगों तक खाने-पीने की सामग्री पहुँचाई जा रही है तथा अक्तूबर से दिसंबर के बीच यह लक्ष्य 17 लाख रखा गया है। ज्ञातव्य है कि आर्थिक बदहाली का सामना कर रहे ज़िम्बाब्वे में डॉलर और अन्य विदेशी मुद्राओं का चलन बंद होने की वज़ह से वैश्विक स्तर की सहायता एजेंसियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। आपको बता दें कि ज़िम्बाब्वे को पहले दक्षिण रोडेशिया, रोडेशिया, रोडेशिया गणराज्य और ज़िम्बाब्वे रोडेशिया के नाम से जाना जाता था। अफ्रीकी महाद्वीप के दक्षिणी भाग में ज़ाम्बेजी और लिम्पोपो नदियों के बीच स्थित एक भू-आबद्ध (Land Locked) देश है। इसकी सीमाएँ दक्षिण में दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण-पश्चिम में बोत्सवाना, पश्चिमोत्तर में जाम्बिया और पूर्व में मोजाम्बीक से मिलती हैं।