गगनयान मिशन के लिये रूस की राजधानी मास्को में इसरो की एक तकनीक संपर्क इकाई स्थापित करने की मंजूरी भारत सरकार ने दे दी है। इसके माध्यम से इसरो आपस में तालमेल करने एवं रूस और पड़ोसी देशों में अंतरिक्ष एजेंसियों तथा उद्योगों के साथ सहयोग करने में सक्षम हो जाएगा। इसरो के गगनयान कार्यक्रम को कुछ प्रमुख तकनीकों के विकास और विशेष सुविधाओं की स्थापना की ज़रूरत है, जो अंतरिक्ष में जीवन को सहारा देने के लिये आवश्यक हैं। गगनयान मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये 15 अगस्त, 2022 की समय-सीमा को ध्यान में रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ तकनीकी भागीदारी कायम करना अहम है। इस दिशा में रूस के साथ भागीदारी की योजना है, जो कई क्षेत्रों के लिहाज़ से अहम होगी। यह यूनिट 6 महीने में स्थापित की जाएगी तथा इसका प्रबंधन इसरो के वैज्ञानिक या इंजीनियर करेंगे। इस यूनिट को चलाने के लिये इसरो प्रतिवर्ष लगभग 1.5 करोड़ रुपए खर्च करेगा। गौरतलब है कि भारत के गगनयान मिशन में फ्राँस भी सहयोग कर रहा है। फ्राँस ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाते हुए गगनयान मिशन पर भारत के साथ मिलकर काम करने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों देशों ने इस प्रोजेक्ट के लिए एक कार्यकारी समूह गठित किया है। अंतरिक्ष सहयोग के दायरे में इसरो को फ्राँस में अंतरिक्ष अस्पताल केंद्रों की सुविधा और अंतरिक्ष औषधि, अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य की निगरानी करने, जीवन रक्षा संबंधी सहयोग देने, विकिरणों से रक्षा, अंतरिक्ष के मलबे से रक्षा और निजी स्वच्छता व्यवस्था के क्षेत्रों में विशेषज्ञता का इस्तेमाल करना शामिल है।
प्रत्येक वर्ष 1 से 7 अगस्त तक दुनियाभर में विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष इस दिवस का उद्देश्य स्तनपान से संबंधित योजनाओं की कमियों के बारे में लोगों को जागरूक करना तथा अपर्याप्त स्तनपान से माँ व शिशु के स्वास्थ्य पर बढ़ने वाले खर्च के बारे में बताना है। स्तनपान को नवजात शिशु तथा बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य की आधारशिला माना जाता है। नवजात शिशु एवं बच्चे को पर्याप्त सुरक्षा, स्नेह तथा पोषण की आवश्यकता होती है और स्तनपान इन सभी को पूरा करता है। मां का दूध बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए पोषण का सबसे अच्छा स्रोत होता है। इसका कोई अन्य विकल्प नहीं होता। यह दिवस सरकारी नीति निर्माताओं, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ और अन्य संगठनों द्वारा स्तनपान को बढ़ावा देने और उसका समर्थन करने के लिए अगस्त 1990 में हस्ताक्षरित Innocenti Declaration की याद दिलाता है। विश्व स्तनपान सप्ताह वर्ष 1992 में वर्ल्ड एलायंस फॉर ब्रेस्टफ़ीडिंग एक्शन द्वारा पहली बार आयोजित किया गया था। लोगों और संस्थाओं द्वारा इस संगठन की स्थापना वर्ष 1991 में हुई थी। WHO भी बच्चे को छह महीने की अवस्था तक लगातार स्तनपान कराने की सिफारिश करता है।
अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी और पेरू की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ पिउरा के वैज्ञानिकों ने अमेज़न के जंगलों में विश्व के सबसे छोटे बंदर के जीवाश्म का पता लगाया है। इसका वज़न एक हम्सटर (चूहों की प्रजाति का जीव) के बराबर रहा होगा। 18 मिलियन वर्ष पुराने इस जीवाश्म के दांत मिले हैं, जो एक नई प्रजाति के छोटे बंदर से संबंधित हैं। यह जीवाश्म अत्यंत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि शोधकर्त्ताओं को बंदरों के इतने पुराने जीवाश्म नहीं मिले हैं। यह जीवाश्म दक्षिण-पूर्वी पेरू में रियो ऑल्टो मादरे डी डिओस नदी के तट पर बलुआ पत्थर में मिला। पत्थर से इसे अलग करने के लिये शोधकर्त्ताओं ने पत्थरों के टुकड़ों को खोदकर उन्हें बोरों में डाला और पानी में भीगने के लिये छोड़ दिया। बाद में पत्थरों में दबे हुए जीवाश्म (दांतों, जबड़ों और हड्डियों के टुकड़ों) को छानकर उससे अलग कर लिया। इन जीवाश्मों को पेरू की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ पिउरा के संग्रहालय में रख दिया गया है, जहाँ शोधकर्त्ता इनका अध्ययन कर बंदरों के विकास का पता लगाएंगे। माना जाता है कि लगभग 40 मिलियन साल पहले दक्षिण अफ्रीका से बंदर दक्षिण अमेरिका में प्रवास कर गए थे। आज बंदरों की अधिकांश प्रजातियाँ अमेज़न के वर्षावन में निवास करती हैं।
झारखंड में गिरिडीह की चंपा कुमारी को ब्रिटेन के प्रतिष्ठित डायना अवार्ड के लिये चुना गया है। उन्हें अपने गाँव में बाल हिंसा के खिलाफ संघर्ष करने के लिये यह सम्मान मिलेगा।13 वर्षीय चंपा गिरिडीह जिले के गावां प्रखंड के जमडार गाँव की रहने वाली हैं। उनका गाँव बाल मित्र ग्राम है जिसके बाल पंचायत की वह अध्यक्ष और राष्ट्रीय महा बाल पंचायत की उपाध्यक्ष हैं। बाल मजदूरी का विरोध करते हुए चंपा ने कई बच्चों का दाखिला स्कूल में करवाया है और वह ज़िले में बाल मित्र के रूप में काम कर रही हैं। चंपा ने बाल पंचायत के सदस्यों के साथ मिलकर गाँव में दो बाल विवाह रुकवाने में कामयाबी हासिल की थी। इसके अलावा उन्होंने गांव में बच्चों के लिये शिक्षा, सुरक्षा और स्वच्छता का प्रबंध करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ब्रिटेन सरकार की ओर से वेल्स की राजकुमारी डायना की स्मृति में हर साल यह अवार्ड दिया जाता है। इस अवार्ड से 9 से 25 साल की उम्र के उन बच्चों और युवाओं को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय देते हुए सामाजिक बदलाव लाने में असाधारण योगदान दिया हो। इस साल चंपा कुमारी सहित दुनियाभर के 25 बच्चों को यह सम्मान दिया जाना है।