भारत मौसम विज्ञान विभाग वर्ष 2020 तक देश के 660 जिलों के सभी 6500 ब्लॉकों के स्तर पर मौसम का पूर्वानुमान जारी करने की क्षमता स्थापित करने की परियोजना पर काम कर रहा है। इससे कृषि कार्यों में मौसम की अनिश्चितताओं से निपटने में मदद मिलेगी। फिलहाल मौसम विभाग ज़िला आधार पर मौसम परामर्श जारी करता है। अब मौसम विभाग ने मौसन पूर्वानुमान तथा अन्य सेवाओं का विस्तार ब्लॉक स्तर तक करने के लिये भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ समझौता किया है। वर्तमान में 200 ब्लॉक्स में पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है। मौसम विभाग के पास ज़िला स्तर पर मौसम आधारित सलाह प्रसारित करने के लिये 130 फील्ड इकाइयाँ हैं। देश के 530 ज़िलों में ग्रामीण कृषि मौसम सेवा के तहत कृषि विज्ञान केंद्र में ऐसी इकाइयों को स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है।
मौसम विभाग ने तमिलनाडु और पुद्दुचेरी में अगले 48 घंटों में चक्रवाती हवाओं के साथ बारिश होने की आशंका जताई है, जबकि 30 अप्रैल और 1 मई को भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि यह चक्रवात तट के करीब आने के बाद काफी शक्तिशाली होगा। इसे फानी नाम दिया गया है। मौसम विभाग ने कहा कि शक्तिशाली होने के बाद चक्रवाती परिसंचरण कम दबाव वाले क्षेत्र में आ गया है। यह इक्वेटोरियल हिंद महासागर और बंगाल के दक्षिण-पूर्व की खाड़ी में मौजूद है तथा तमिलनाडु और श्रीलंका के तट की ओर बढ़ रहा है।
हरियाणा के फतेहाबाद ज़िलेमें जीन परिवर्तित (GM) यानी BT बैंगन की गैरकानूनी खेती करने का मामला सामने आया है। जीएम फ्री इंडिया की ओर से यह जानकारी दी गई है कि BT बैंगन वाले खेत का निरीक्षण किया गया और एक बैंगन का नमूना भी लिया गया। इस नमूने में बैंगन जीन परिवर्तित पाया गया। बैंगन में BT CRY 1 AC प्रोटीन की पुष्टि हुई है। ज्ञातव्य है कि केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने स्वास्थ्य और पर्यावरण चिंताओं के मद्देनज़र BT बैंगन की खेती को अनुमति दिये जाने का निर्णय 2010 में रोक दिया था। साथ ही कहा गया था कि जब तक इस बीज के प्रभाव को लेकर कोई ठोस अध्ययन नहीं हो जाता तब तक इसके बारे में कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा।
केंद्र सरकार ने पूर्व थल सेनाध्यक्ष जनरल (रिटायर्ड) दलबीर सिंह सुहाग को सेशेल्स गणराज्य में भारत के अगले उच्चायुक्त के रूप में नियुक्त किया है। ज्ञातव्य है कि जनरल सुहाग विश्व की चौथी सबसे शक्तिशाली भारतीय सेना के 26वें सेना प्रमुख रहे और 31 दिसबंर, 2016 को इस पद से सेवानिवृत्त हुए। भारत और सेशेल्स दोनों देशों के बीच मित्रवत संबंध हैं। विगत कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच आर्थिक, रणनीतिक और सामरिक सहित कई मुद्दों पर द्विपक्षीय वार्ताएं हुई हैं। भारत ने सेशेल्स को समुद्री निगरानी बढ़ाने के लिये और हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा बनाए रखने में मदद के लिये डोर्नियर विमान उपहार में दिये हैं। साथ ही भारत ने सेशेल्स को प्रतिरक्षा क्षमताओं और समुद्री बुनियादी संरचना को मज़बूत बनाने के लिये 10 करोड़ डॉलर का ऋण भी दिया है।
हाल ही में पहली बार विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस बात को लेकर गाइडलाइन्स जारी की हैं कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों को कितनी देर तक टीवी या मोबाइल फोन या टैबलेट की स्क्रीन देखनी चाहिये। WHO के अनुसार, 5 साल से कम उम्र के बच्चों को हर रोज़ एक घंटे से अधिक स्क्रीन नहीं देखनी चाहिये। WHO की ओर से जारी गाइडलाइन्स में कहा गया है कि अभिभावकों में एक साल से कम उम्र के बच्चों को स्क्रीन से दूर रखने की सामान्य समझ होनी चाहिये। 5 साल से कम उम्र के बच्चों को भी फिजिकली एक्टिव रहना चाहिये और अच्छी नींद लेनी चाहिये, ताकि वे स्वस्थ जीवन बिता सकें और उसका विकास भी अच्छा हो। WHO का कहना है कि एक से चार साल तक के बच्चों को दिन भर में कम-से-कम तीन घंटे फिजिकल एक्टिविटीज़ में बिताने चाहिये। इससे वे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहेंगे। इन गाइडलाइन्स में यह भी कहा गया है कि दुनियाभर में लगभग 4 करोड़ बच्चों का वज़न सामान्य से अधिक है, जो कुल संख्या का लगभग छह प्रतिशत है।
घाना में दुनिया की सबसे बड़ी मेडिकल ड्रोन सेवा शुरू की गई है। करीब 3 करोड़ जनसंख्या वाले इस देश में ड्रोन्स की रोज़ 600 उड़ानें होंगी। इससे करीब एक करोड़ 20 लाख लोगों को फायदा होगा। इसमें मरीज़ों के लिये 2 हज़ार हेल्थ सेंटरों में वैक्सीन, रक्त तथा जीवनरक्षक दवाओं की सप्लाई की जाएगी। ड्रोन सर्विस के लिये 4 हब बनाए गए हैं और प्रत्येक हब में 30 ड्रोन रखे गए हैं। इन ड्रोन्स को कैलिफोर्निया की रोबोटिक्स कंपनी जिपलाइन ने बनाया है। घाना सरकार ने जिपलाइन को चार साल तक प्रोजेक्ट चलाने के लिये 12 मिलियन डॉलर दिये हैं। गौरतलब है कि जिपलाइन ने 2016 में पहली बार रवांडा में ड्रोन सेवा शुरू की थी।
ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया प्रांत की सरकार के तहत काम करने वाली हेरिटेज विक्टोरिया एजेंसी के पुरातत्त्वविदों ने ऑस्ट्रेलिया में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान डूबे हुए एक जहाज़ का पता लगाया है। इसका मलबा ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण पूर्वी तट के पास मिला है और 100 मीटर लंबा यह जहाज़ अब भी ठीक-ठाक स्थिति में है। MS आयरन क्राउन नाम का यह मालवाही जहाज़ 4 जून, 1942 को जापानी पनडुब्बी के तारपीडो की चपेट में आकर केवल 60 सेकेंड के भीतर समुद्र में समा गया था।
उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल रानीखेत के जंगलों में दुर्लभ किस्म की उडऩ गिलहरी (Flying Squirrel) दिखाई दी। पर्यावरण विशेषज्ञ इसे जैवविविधता के लिये बेहद महत्त्वपूर्ण बता रहे हैं तथा वन विभाग इस विलक्षण प्रजाति के वासस्थल को चिह्नित कर इसके संरक्षण की योजना बनाने की तैयारी कर रहा है। ज्ञातव्य है कि वर्ष 2016 में टिहरी ज़िले की देवलसारी रेंज में पहली बार उडऩ गिलहरी दिखी थी। इस गिलहरी के शरीर में दाएँ-बाएँ बाजुओं से पिछले दोनों पैरों तक पर्देदार लचीली त्वचा होती है। ऊँचे स्थान से छलांग लगाने पर यह त्वचा छतरी की तरह फैल जाती है और पैराग्लाइडर की तरह यह दुर्लभ गिलहरी काफी दूरी तक उड़ान भरती है। एक अनुमान के अनुसार पूरे भारत में उड़ने वाली गिलहरियों की 12 प्रजातियाँ हैं।