अमेरिका ने भारत की डेटा स्थानीयकरण नीति की आलोचना की है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि की नेशनल ट्रेड एस्टीमेट रिपोर्ट ऑन फॉरेन ट्रेड बैरियर-2019 में कहा गया है कि भारत ने हाल ही में देश के लोगों के ऑनलाइन डेटा को स्थानीय स्तर पर संग्रहीत करने की आवश्यकता जताई है। भारत का यह कदम दोनों देशों के बीच डिजिटल व्यापार में एक बड़ी बाधा बन सकता है। इन नियमों से डेटा आधारित सेवाओं की आपूर्ति करने वालों की लागत बढ़ेगी और अनावश्यक डेटा सेंटर का निर्माण करना होगा। इसके अलावा स्थानीय कंपनियों को सर्वश्रेष्ठ वैश्विक सेवाएँ मिलने में कठिनाई होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार ने जुलाई 2018 में व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2018 का मसौदा प्रकाशित किया था। यदि यह पारित होकर कानून बन जाता है तो पर्सनल डेटा प्रोसेसिंग करने वाली कंपनियों, खासकर विदेशी कंपनियों पर भारी बोझ पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्त्वपूर्ण फैसले में यह व्यवस्था दी है कि दहेज या अन्य प्रकार की यातनाओं के खिलाफ महिलाएँ देश के किसी भी हिस्से में मुकदमा दर्ज करा सकती हैं। यह मामला लंबे समय से एक कानूनी मुद्दा बना हुआ था क्योंकि इस पर अलग-अलग तरह के फैसले आए थे। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को खत्म कर दिया है। 2015 में सुप्रीम कोर्ट के सामने एक ऐसा ही मामला आया था, जिसके बाद कोर्ट ने इस पर विस्तृत फैसला देने के लिये इसे तीन जजों की पीठ को सौंप दिया था। दरअसल, आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 177 के तहत कोई भी आपराधिक मामला उसी जगह दर्ज हो सकता है, जहाँ वह घटना घटी है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने अलग-अलग राज्यों से जुड़ी छह याचिकाओं पर यह फैसला दिया।
मोरक्को और अमेरिका द्वारा प्रायोजित अफ्रीकन लायंस नामक वार्षिक सैन्याभ्यास 16 मार्च से 7 अप्रैल तक दक्षिणी मोरक्को में आयोजित किया गया। इस अभ्यास में आतंकवाद रोधी अभियानों, भूमि और वायु अभ्यासों के साथ-साथ सामरिक अनुकरण पर प्रशिक्षण भी शामिल था। इस अभ्यास में अमेरिका और मोरक्को के अलावा कनाडा, स्पेन, ब्रिटेन, सेनेगल, ट्यूनीशिया की सैन्य इकाइयों ने भी हिस्सा लिया। अफ्रीकन लायंस एक वार्षिक अभ्यास है, जिसे प्रत्येक देश की रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं की अंतर-क्षमता और आपसी समझ को बेहतर बनाने के लिये आयोजित किया जाता है।
ब्रिटेन के सांसदों ने एक नया कानून बनाकर बिना किसी समझौते वाले ब्रेक्ज़िट पर प्रतिबंध लगा दिया है। सांसदों के इस कदम के बाद अब प्रधानमंत्री थेरेसा मे को ब्रेक्ज़िट के लिये यूरोपीय संघ से और समय मांगना पड़ेगा। हाल ही में इस कानून के जुड़े विधेयक को ब्रिटेन की संसद ने मंज़ूरी दे दी। लेकिन सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इसकी वज़ह से यूरोपीय संघ के साथ बातचीत के उसके आयाम सीमित हो जाएंगे। सरकार ने विधेयक को गैर-परंपरागत बताते हुए उसका विरोध किया। नया कानून बनने के बाद सरकार ने एक प्रस्ताव रखकर संसद को बताया कि वह ब्रेक्ज़िट के लिये यूरोपीय संघ से और समय मांगेगी। इसकी नियत तारीख 29 मार्च थी, जिसे एक बार टाला जा चुका है। इसके बाद हुए एक नवीनतम घटनाक्रम में यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने कहा कि यूरोपीय संघ को लचीला रुख अपनाते हुए ब्रिटेन को ब्रेक्ज़िट प्रक्रिया की समय सीमा बढ़ाते हुए इसके लिए एक साल तक का समय देने पर विचार करना चाहिये। ब्रसेल्स में हुई यूरोपीय संघ की बैठक में 27 नेताओं में से अधिकांश ने ब्रेक्ज़िट को एक साल के लिए स्थगित करने की योजना का समर्थन किया। साथ ही, समझौते के रूप में यूरोपीय संघ ने ब्रिटेन को छह महीने की देरी से यानी 31 अक्तूबर तक ब्रेक्ज़िट लागू करने की अनुमति दे दी है।
ब्रिटेन ने सोशल मीडिया के शीर्षतम अधिकारियों को नुकसानदेह सामग्री को लेकर व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह बनाने और आपत्तिजनक मंचों को बंद करने को लेकर अपनी तरह की विश्व की पहली कार्ययोजना पेश की है। इसके आधार पर एक कानून बनाया जाएगा। फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के प्रमुखों से चर्चा के बाद ये प्रस्ताव तैयार किये गए हैं। इसके कुछ प्रस्तावों को लेकर अभिव्यक्ति की आज़ादी की चिंताएं भी सामने आई हैं। ‘ये विश्व में अग्रणी प्रस्ताव हैं और किसी और देश ने पहले ऐसा नहीं किया। प्रस्तावित नियमनों से सोशल मीडिया कंपनियों को इस बात की ज़िम्मेदारी लेनी होगी कि कि वे ऑनलाइन नुकसानदेह बातों की पहचान करेंगी और उन्हें हटाएंगी। जो ऐसा नहीं करेगा उन्हें पहले चेतावनी जारी की जाएगी और उसके बाद दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
लिकुड पार्टी के अध्यक्ष बेंजामिन नेतन्याहू पाँचवीं बार इज़राइल के प्रधानमंत्री बनने की ओर अग्रसर हैं। उनकी दक्षिणपंथी पार्टी लिकुड और पारंपरिक राजनीतिक सहयोगियों को संसद में 55 के मुकाबले 65 सीटों से बहुमत मिला है। इज़राइल की संसद (नेसेट) में कुल 120 सीटें हैं। संसद का अंतिम स्वरूप अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन देश में अब एक सत्तारूढ़ गठबंधन की सरकार बनाने को लेकर राजनीतिक वार्ताओं का दौर चलेगा। हालांकि, किसी भी परिदृश्य में नेतन्याहू बड़े विजेता बन कर उभरे हैं। चुनाव परिणाम ने इजराइल के दक्षिणपंथ की ओर लगातार झुकाव को प्रदर्शित किया है।