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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 29 मई, 2020

  • 29 May 2020
  • 8 min read

‘पाई’ चैटबोट 

हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली (National Payments Corporation of India- NPCI) ने ‘पाई’ (PAi) नाम से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) आधारित चैटबोट की शुरुआत की है। इस चैटबोट का उद्देश्य देश में वित्तीय समावेशन को बढ़ाना है। यह देश में डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिये एक नई और महत्त्वपूर्ण पहल है। यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता अथवा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित चैटबोट लोगों को 24x7 NPCI के लेन-देन से संबंधित सभी प्रोडक्ट्स के बारे में जागरूक करेगा। उपयोगकर्त्ता शब्दों अथवा आवाज़ के माध्यम से प्रश्न भेज सकते हैं और NPCI के विभिन्न उत्पादों जैसे FASTag, RuPay और UPI Chalega आदि के संबंध में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। NPCI देश में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणाली के संचालन के लिये एक समग्र संगठन है। इसे भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) द्वारा भारत में भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (The Payment and Settlement Systems Act, 2007) के प्रावधानों के तहत एक मज़बूत भुगतान और निपटान अवसंरचना के विकास हेतु स्थापित किया गया है। इसे कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 (अब कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8) के प्रावधानों के तहत ‘गैर-लाभकारी संगठन’ के रूप में शामिल किया गया है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान प्रणाली द्वारा शुरू की गई प्रमुख पहलों में एकीकृत भुगतान प्रणाली (UPI), भीम एप (BHIM App), तत्काल भुगतान सेवा (IMPS) और भारत बिल भुगतान प्रणाली (BBPS) आदि प्रमुख हैं।

मुज्तबा हुसैन

मशहूर उर्दू लेखक और व्यंग्यकार मुज्तबा हुसैन (Mujtaba Hussain) का हाल ही में 83 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। मुज्तबा हुसैन अपने व्यंग लेखन के लिये काफी जाने जाते थे और उर्दू अखबारों में लिखे गए उनके स्तंभ काफी चर्चित थे। मुज्तबा हुसैन का जन्म 15 जुलाई, 1936 को हुआ था। वर्ष 1956 में हैदराबाद से बी.ए. (BA) की डिग्री प्राप्त करने के पश्चात् वे हैदराबाद के प्रसिद्ध उर्दू अखबार ‘सियासत’ में उप-संपादक के पद पर नियुक्त हो गए। लगभग 6 वर्षों बाद 12 अगस्त, 1962 को इसी अखबार में हास्य-व्यंग का दैनिक स्तंभ ‘शीशा-ओ-तिशा’ लिखना शुरू किया, जिसे वे मुसलसल 17 वर्षों तक लिखते रहे। इसके अतिरिक्त उन्होंने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के उर्दू विभाग में संपादक की भूमिका भी अदा की। वर्ष 1986 में उर्दू अकादमी, दिल्ली ने उन्हें उनके रचनात्मक साहित्य के लिये सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया, जिसके बाद उन्हें ‘गालिब अवार्ड’ से भी सम्मानित किया गया। हिंदी में उनकी तीन किताबें प्रकाशित हुई- ‘जापान चलो’, ‘किस्सा आरामकुर्सी का’ और ‘स्विस बैंक में खाता हमारा’। उर्दू साहित्य में मुज्तबा हुसैन के योगदान को देखते हुए उन्हें वर्ष 2007 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था और वे उर्दू के पहले व्यंग्यकार थे जिन्हें पद्म सम्मान मिला था। 

राज्य स्वास्थ्य रजिस्टर

कर्नाटक सरकार ने भविष्य में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिये राज्य की आबादी के स्वास्थ्य संबंधी डेटा को एकत्र करने हेतु 'राज्य स्वास्थ्य रजिस्टर' नामक अपने तरह के पहले कार्यक्रम को शुरू करने की घोषणा की है। इस राज्यव्यापी कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य के प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना है। इस कार्यक्रम को सर्वप्रथम एक पायलट परियोजना के तौर पर राज्य के चिक्काबल्लापुरा (Chikkaballapura) और दक्षिण कन्नड़ (Dakshina Kannada) ज़िले में लॉन्च किया जाएगा, जिसके बाद इसकी सफलता को देखते हुए राज्यव्यापी स्तर पर इसके विस्तार से संबंधित निर्णय लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि COVID-19 महामारी के अनुभव ने देश भर में एक मज़बूत और वास्तविक समय के सार्वजनिक स्वास्थ्य डेटा की आवश्यकता का प्रदर्शन किया है, ऐसे में प्रत्येक नागरिक के स्वास्थ्य संबंधी डेटा के भंडार को बनाए रखना आवश्यक हो गया है। इस संबंध में राज्य के सभी 6.5 करोड़ लोगों का स्वास्थ्य सर्वेक्षण करने के लिये प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी, राजस्व विभाग तथा आशा वर्कर्स के साथ शिक्षा विभाग के अधिकारी तैनात किये जाएंगे। इस परियोजना को निजी अस्पतालों की साझेदारी में निष्पादित किया जाएगा।

विश्व भूख दिवस (World Hunger Day) 

प्रत्येक वर्ष 28 मई को ‘विश्व भूख दिवस’  (World Hunger Day) के रूप में मनाया जाता है। ‘विश्व भूख दिवस’ ‘द हंगर प्रोजेक्ट’ (The Hunger Project) नामक वैश्विक संगठन की एक पहल है। ‘द हंगर प्रोजेक्ट’ वैश्विक स्तर पर भूख के लिये एक तर्कसंगत उपाय खोजने के लिये प्रतिबद्ध एक वैश्विक संगठन है। इस वैश्विक संगठन की स्थापना वर्ष 1977 में की गई थी और यह विश्व भर में समान विचार रखने वाले लोगों का गैर-लाभकारी समूह है। संयुक्त राष्ट्र (United Nations-UN) का अनुमान है कि वर्ष 2050 तक लगभग 2 बिलियन लोग गरीबी के दायरे में आ जाएंगे और उन्हें भोजन की कमी का सामना करना पड़ेगा। ग्लोबल हंगर रिपोर्ट, 2018 के अनुसार, भारत को इस सूचकांक में 119 देशों में से 103वाँ स्थान दिया गया है तथा देश में भुखमरी के स्तर को ‘गंभीर’ श्रेणी के रूप में वर्गीकृत किया गया है। एक अनुमान के अनुसार, विश्व में लगभग 800 मिलियन लोगों के पास खाने के लिये पर्याप्त भोजन नहीं है। 

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