Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 25 जून, 2020 | 25 Jun 2020
कुशीनगर हवाई अड्डा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश में कुशीनगर हवाई अड्डे को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में घोषित किये जाने को स्वीकृति दे दी है। उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा के काफी नज़दीक होने के कारण यह हवाई अड्डा सामरिक दृष्टिकोण से काफी महत्त्वपूर्ण है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के इस फैसले से कुशीनगर न केवल आर्थिक, सामरिक और व्यापारिक योगदानों के लिये दुनिया भर में जाना जाएगा बल्कि यह पर्यटन का हब भी बनेगा। कुशीनगर उत्तर प्रदेश के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित है और गोरखपुर से 50 किलोमीटर पूर्व में है। साथ ही यह प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थलों में से एक भी है। इसके पास ही लुंबिनी, श्रावस्ती, कपिलवस्तु जैसे प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थल हैं जबकि थोड़ी दूरी पर सारनाथ और गया जैसे स्थान भी मौजूद हैं। महत्त्वपूर्ण बौद्ध स्थल होने के कारण थाईलैंड, कंबोडिया, जापान, म्याँमार जैसे देशों से लगभग प्रति सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। ऐसे में कुशीनगर के हवाई अड्डे को एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा घोषित करने से यहाँ से हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों को प्रतिस्पर्द्धात्मक लागत पर अधिक विकल्प मिल सकेंगे तथा घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिल सकेगा। इसके साथ ही क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी।
जम्मू और कश्मीर में देविका और पुनेजा पुल
हाल ही में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने आभासी मंच के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में ऊधमपुर और डोडा ज़िलों में दो अहम सेतु क्रमशः देविका और पुनेजा का शुभारम्भ किया है। तकरीबन 10 मीटर लंबा देविका पुल जम्मू-कश्मीर में ऊधमपुर ज़िले में स्थित है, ध्यातव्य है कि आज़ादी के बाद से ही इस ज़िले में एक पुल की मांग की जा रही थी, यह पुल इस क्षेत्र में यातायात की समस्या के लिये परिवर्तनकारी साबित होगी। इसके अतिरिक्त देविका सेतु के माध्यम से सेना के काफिलों और वाहनों की सुगम आवाजाही में भी सहायता मिलेगी। इस पुल का निर्माण सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation-BRO) द्वारा 75 लाख रुपए की लागत से एक वर्ष की अवधि में किया गया है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के डोडा ज़िले में स्थित पुनेजा पुल का निर्माण भी सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वारा लगभग 4 करोड़ रुपए की लागत से किया गया है और इसकी लंबाई तकरीबन 50 मीटर है। सीमा सड़क संगठन (BRO) रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एक प्रमुख सड़क निर्माण एजेंसी है। इसकी स्थापना 07 मई, 1960 को की गई थी। यह संगठन सीमा क्षेत्रों में सड़क कनेक्टिविटी प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। यह पूर्वी और पश्चिमी सीमा क्षेत्रों में सड़क निर्माण और इसके रखरखाव का कार्य करता है ताकि सेना की रणनीतिक ज़रूरतें पूरी हो सकें। गौरतलब है कि सीमा सड़क संगठन ने भूटान, म्याँमार, अफगानिस्तान आदि मित्र देशों में भी सड़कों का निर्माण किया है।
पशुपालन बुनियादी ढाँचा विकास फंड
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने 15,000 करोड़ रुपए के पशुपालन बुनियादी ढाँचा विकास फंड (Animal Husbandry Infrastructure Development Fund-AHIDF) की स्थापना को मंज़ूरी दे दी है। इस फंड का उद्देश्य डेयरी, माँस प्रसंस्करण और पशु चारा संयंत्रों में निजी कारोबारियों और MSMEs के निवेश को प्रोत्साहित करना है। सरकार के अनुमान के अनुसार, इस पहल के कारण तकरीबन 35 लाख रोज़गार सृजित होने की संभावना है। ध्यातव्य है कि सरकार द्वारा गठित यह फंड COVID-19 वायरस की रोकथाम के लिये लागू किये गये लॉकडाउन से प्रभावित लोगों की मदद करने के उद्देश्य से मई माह में घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज का हिस्सा है। इस सरकारी फंड के माध्यम से डेयरी, माँस प्रसंस्करण और पशु चारा संयंत्रों की स्थापना के लिये किसान उत्पादक संगठनों, MSMEs और निजी कंपनियों को 3-4 प्रतिशत की ब्याज़ सहायता दी जाएगी। गौरतलब है कि किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organisations-FPO), MSMEs, कंपनी अधिनियम की धारा-8 के तहत आने वाली कंपनियाँ, निजी कंपनियाँ और व्यक्तिगत उद्यमी इस फंड से लाभ प्राप्त करने के पात्र होंगे। आधिकारिक सूचना के अनुसार, ऋण चुकाने के लिये दो वर्ष की अवकाश अवधि होगी और उसके बाद छह साल में ऋण का पुनर्भुगतान करना होगा।
अमर्त्य सेन
नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन को सामाजिक न्याय के प्रश्न पर उनके द्वारा किये गए कई दशक लंबे कार्य को मान्यता देने के लिये जर्मन बुक ट्रेड (German Book Trade) के शांति पुरस्कार (Peace Prize) से सम्मानित किया गया है। जर्मन बुक ट्रेड द्वारा वर्ष 1950 से लगातार प्रतिवर्ष यह पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है। शांति पुरस्कार के माध्यम से, जर्मन बुक ट्रेड का उद्देश्य उन व्यक्तियों को सम्मानित करना है जिन्होंने साहित्य, विज्ञान और कला के क्षेत्र में अपनी गतिविधियों के माध्यम से शांति के विचार को साकार करने में उत्कृष्ट योगदान दिया है। उल्लेखनीय है कि अमर्त्य सेन से पूर्व भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को दर्शनशास्त्र के विकास में उनके योगदान के लिये वर्ष 1961 में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, इस पुरस्कार को पाने वाले वे पहले भारतीय थे। अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले प्रोफेसर अमर्त्य सेन को वर्ष 1998 में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) से सम्मानित किया गया है। अमर्त्य सेन का जन्म 3 नवंबर, 1933 को पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन (Santiniketan) में हुआ था।