Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 23 जून, 2020 | 23 Jun 2020
‘डीकार्बोनाइज़िंंग ट्रांसपोर्ट इन इंडिया’ परियोजना
अंतर्राष्ट्रीय परिवहन मंच (International Transport Forum-ITF) के सहयोग से नीति आयोग 24 जून 2020 को ‘डीकार्बोनाइज़िंंग ट्रांसपोर्ट इन इंडिया’ (Decarbonising Transport in India) परियोजना की शुरुआत करेगा जिसका उद्देश्य भारत के लिये कम कार्बन उत्सर्जन वाली परिवहन प्रणाली का मार्ग प्रशस्त करना है। देश में जलवायु और जलवायु परिवर्तन से संबंधित लक्ष्यों को पूरा करने के लिये अनिवार्य है कि सरकार ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करे। इस परियोजना के माध्यम से देश में परिवहन उत्सर्जन से संबंधित एक मूल्यांकन ढाँचा तैयार किया जाएगा, जो कि सरकार को वर्तमान और भविष्य की परिवहन चुनौतियों पर विस्तृत इनपुट प्रदान करेगा। इस परियोजना के माध्यम से भारत की विशिष्ट ज़रूरतों और परिस्थितियों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी। ध्यातव्य है कि भारत की ‘डीकार्बोनाइज़िंं ट्रांसपोर्ट इन इंडिया’ परियोजना अंतर्राष्ट्रीय परिवहन मंच (ITF) की ‘डीकार्बोनाइज़िंंग ट्रांसपोर्ट इन इमर्जिंग इकोनॉमीज़’ (Decarbonising Transport in Emerging Economies) का एक हिस्सा है। अंतर्राष्ट्रीय परिवहन मंच (ITF) की यह परियोजना वैश्विक पटल पर उभरते देशों की सरकारों को उनके परिवहन उत्सर्जन को कम करने और उनके जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के तरीकों की पहचान करने में मदद करती है। अंतर्राष्ट्रीय परिवहन मंच (ITF) कुल 60 सदस्य देशों वाला एक अंतर-सरकारी संगठन है। यह संगठन देशों के लिये एक परिवहन नीति के निर्माण में थिंक टैंक के रूप में कार्य करता है और साथ ही यह विभिन्न देशों के परिवहन मंत्रियों का वार्षिक शिखर सम्मेलन भी आयोजित करता है। उल्लेखनीय है कि भारत वर्ष 2008 से इस संगठन का सदस्य है।
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी
23 जून, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर उन्हे श्रद्धांजलि अर्पित की। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 06 जुलाई, 1901 को तत्कालीन कलकत्ता के एक संभ्रांत परिवार में हुआ था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी के पिता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे और कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में भी कार्य कर चुके थे। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने वर्ष 1921 में कलकत्ता से अंग्रेज़ी में स्नातक किया, जिसके पश्चात् उन्होंने वर्ष 1923 में कलकत्ता से ही बंगाली भाषा और साहित्य में परास्नातक की डिग्री प्राप्त की। भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को एक महान शिक्षाविद एवं चिंतक के रूप में याद किया जाता है। वर्ष 1934 में डॉ. मुखर्जी को मात्र 33 वर्ष की आयु में कलकत्ता विश्वविद्यालय में कुलपति (Vice Chancellor) के रूप में नियुक्त किया गया था। वर्ष 1944 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को ‘हिंदू महासभा’ का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, किंतु 4 वर्ष के भीतर ही उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया, डॉ. मुखर्जी का मत था कि ‘हिंदू महासभा’ को केवल हिंदुओं के दल के रूप में सीमित नहीं रहना चाहिये। पंडित नेहरु ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अंतरिम सरकार में उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री के रूप शामिल किया, किंतु 6 अप्रैल, 1950 को उन्होंने आंतरिक मतभेद के कारण इस्तीफा दे दिया। इसके पश्चात् 21 अक्तूबर, 1951 को दिल्ली में उन्होंने 'भारतीय जनसंघ' की स्थापना की और इसके पहले अध्यक्ष बने। मई 1953 में जम्मू-कश्मीर में डॉ. मुखर्जी को हिरासत में ले लिया गया, जिसके पश्चात 23 जून, 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई।
H-1B वीज़ा
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीज़ा समेत अन्य सभी विदेशी वर्क-वीज़ा (Work Visas) पर इस वर्ष के अंत तक लिये प्रतिबंध लगा दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के अनुसार, यह कदम उन लाखों अमेरिकी नागरिकों की मदद करने के लिये काफी आवश्यक है जो कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी के कारण उत्पन्न हुए आर्थिक संकट के चलते बेरोज़गार हो गए हैं। अमेरिकी प्रशासन के इस निर्णय से बड़ी संख्या में भारतीय IT पेशेवरों और कई अमेरिकी तथा भारतीय कंपनियों पर प्रभाव पड़ेगा, जिन्हें वित्तीय वर्ष 2021 के लिये अमेरिकी सरकार द्वारा H-1B वीज़ा जारी किया गया था। ध्यातव्य है कि अमेरिकी प्रशासन के अनुसार, अमेरिका में बेरोज़गारी दर फरवरी 2020 और मई 2020 के बीच लगभग चौगुनी हो गई है। यह नया नियम केवल उन लोगों पर लागू होगा जो वर्तमान में अमेरिका से बाहर हैं और उनके पास वैध गैर-अप्रवासी वीज़ा अथवा देश में प्रवेश करने के लिये वीज़ा के अतिरिक्त एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज़ नहीं है। गौरतलब है कि अमेरिका में रोज़गार के इच्छुक लोगों को H1-B वीज़ा प्राप्त करना होता है। H1-B वीज़ा मुख्य रूप से ऐसे विदेशी पेशेवरों के लिये जारी किया जाता है जो किसी 'खास' कार्य में कुशल होते हैं।
संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस
प्रत्येक वर्ष 23 जून को लोक सेवा (Public service) में कार्यरत लोगों को सम्मान व्यक्त करने के लिये संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस (United Nations Public Service Day) मनाया जाता है। ध्यातव्य है कि 20 दिसंबर, 2002 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) ने 23 जून को लोक सेवा दिवस के रूप में नामित किया था। इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य विकास प्रक्रिया में लोक सेवा के योगदान को रेखांकित करना है, इसके अतिरिक्त इस दिवस पर लोक सेवकों के कार्य को एक नई पहचान देने और युवाओं को लोक सेवक के रूप में अपना कैरियर बनाने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है। इस दिवस को एक नई मान्यता देने और लोक सेवा के मूल्य को बढ़ाने के लिये संयुक्त राष्ट्र (UN) ने वर्ष 2003 में संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार (UN Public Service Awards-UNPSA) कार्यक्रम की स्थापना की थी। भारत में प्रत्येक वर्ष 21 अप्रैल को सिविल सेवा दिवस (Civil Service Day) मनाया जाता है, इस दिवस का उद्देश्य भारतीय प्रशासनिक सेवा, राज्य प्रशासनिक सेवा के सदस्यों द्वारा स्वयं को नागरिकों के लिये समर्पित एवं वचनबद्ध करना है।