Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 20 अप्रैल, 2020 | 20 Apr 2020
COVID-19 टीके के परीक्षण हेतु उच्च-स्तरीय कार्यबल
केंद्र सरकार ने टीकों और दवाओं के परीक्षण के लिये एक उच्च-स्तरीय कार्यबल का गठन किया है। इस कार्यबल में नीति आयोग, रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation-DRDO), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research- ICMR) के सदस्य शामिल हैं। इस कार्यबल का प्रमुख उद्देश्य टीके के लिये विकास प्रक्रिया निर्मित करना है। यह कार्यबल राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की एक सूची तैयार करेगा जो टीके के विकास पर कार्य कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में कोरोनावायरस (COVID-19) की वैक्सीन का विकास करने के लिये दुनिया भर में 70 परीक्षण किये जा रहे हैं। इनमें से 5 मानव परीक्षण के स्तर पर पहुँच गए हैं। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा अभी देश में केवल निवारक उपायों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है और सरकार वैक्सीन के विकास पर काफी कम उपाय कर रही है। ध्यातव्य है कि कोरोनावायरस से संबंधित चिंताएँ भारत समेत दुनिया के सभी देशों में प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं, नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, भारत में कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 17000 के पार पहुँच गई है और इस वायरस के कारण कुल 559 लोगों की मृत्यु हो गई है।
कीटाणुनाशक रसायन का छिड़काव हानिकारक
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, किसी व्यक्ति या समूह पर कीटाणुनाशक रसायन का छिड़काव करना शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से हानिकारक हो सकता है। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कहा है कि COVID-19 के उपचार की प्रक्रिया में किसी भी परिस्थिति में लोगों पर कीटाणुनाशक दवा का छिड़काव करने की सिफारिश नहीं की गई है। उल्लेखनीय है कि मंत्रालय से सोडियम हाइपोक्लोराइट जैसे कीटाणुनाशकों को लोगों को संक्रमण मुक्त करने हेतु उपयोग करने के संबंध में जानकारी मांगी थी, जिसके जवाब में मंत्रालय ने कहा कि सोडियम हाइपोक्लोराइट के छिडकाव से नाक, गले में जलन और सांस की तकलीफ जैसी समस्याएँ हो सकती है तथा फेफड़ों में भी परेशानी हो सकती है। विदित है कि रसायनिक कीटाणुनाशक हानिकारक कीटाणुओं को समाप्त करते हैं, इनका उपयोग सफाई करने और ऐसी जगहों तथा सतहों को संक्रमणमुक्त करने के लिये किया जाता है, जिनके बारे में संदेह हो कि उन्हें कोरोनावायरस से ग्रस्त व्यक्ति ने बार-बार छूआ है।
नासा का ‘कमर्शियल क्रू प्रोग्राम’
हाल ही में नासा (NASA) ने घोषणा की है कि वह 27 मई, 2020 को अंतरिक्ष यात्रियों की एक उड़ान लॉन्च करेगा। नासा के अनुसार, इस मिशन में फाल्कन-9 (Falcon 9) रॉकेट का उपयोग किया जाएगा। इस मिशन के द्वारा अंतरिक्ष यात्रियों को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station-ISS) पर प्रवास के लिये भेजा जाएगा। इस मिशन को एलन मस्क की स्पेस कंपनी ‘स्पेस एक्स’ (SpaceX) द्वारा लॉन्च किया जाएगा। अंतरिक्ष यात्री बॉब बेकन और डोग्लास हर्ले स्पेस एक्स (SpaceX) के फाल्कन-9 रॉकेट (Falcon 9) से ISS के लिये उड़ान भरेंगे। बॉब बेकन को वर्ष 2000 में नासा द्वारा एस्ट्रोनॉट (Astronaut) के तौर पर चुना गया था और वो अब तक दो अंतरिक्ष उड़ानों पर जा चुके हैं। इनके अतिरिक्त डोग्लास हर्ले को भी वर्ष 2000 में ही एस्ट्रोनॉट के तौर पर चुना गया था और वो भी अब तक दो बार अंतरिक्ष उड़ानें भर चुके हैं। अंतरिक्ष यात्रियों को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) भेजने वाले नासा के मिशन को ‘कमर्शियल क्रू प्रोग्राम’ नाम दिया गया है। इस मिशन को अमेरिकी सरकार द्वारा वित्त पोषित किया गया है।
विदेशी नागरिकों की वीज़ा अवधि में बढ़ोतरी
हाल ही में गृह मंत्रालय ने कोरोनावायरस (COVID-19) के कारण लागू किये गए लॉकडाउन के प्रभावस्वरूप भारत में फँसे सभी विदेशी नागरिकों के सामान्य और ई-वीज़ा की अवधि को 3 मई तक बढ़ा दिया है। केंद्र सरकार के अनुसार, वीज़ा अवधि के विस्तार के लिये किसी से कोई फीस भी नहीं ली जाएगी। सरकार के अनुसार, राजनयिकों और संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों के अतिरिक्त उन सभी विदेशी नागरिकों का वीज़ा तीन मई तक निलंबित रहेगा जिन्हें इस अवधि में भारत आना था। ध्यातव्य है कि भारत समेत दुनिया के सभी देशों में कोरोनावायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण दुनिया के लगभग सभी देशों ने लॉकडाउन लागू कर दिया है, भारत में भी लॉकडाउन का दूसरा चरण लागू किया गया है। देशव्यापी स्तर पर लागू किये गए लॉकडाउन के कारण भारत में लॉकडाउन के पहले से मौजूद विदेशी लोग यहीं फँस गए हैं, ऐसी स्थिति में उन लोगों को संक्रमण से बचाना और उनकी वीज़ा अवधि को बढ़ाना सरकार के लिये अनिवार्य हो जाता है।