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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 17 अप्रैल, 2020

  • 17 Apr 2020
  • 7 min read

सुरक्षित नहीं है ज़ूम एप: गृह मंत्रालय

गृह मंत्रालय ने वीडियो कॉलिंग/कॉन्फ्रेंसिंग एप ज़ूम (Zoom App) के संबंध में एडवाइज़री जारी की है, जिसके अनुसार यह वीडियो कॉलिंग/कॉन्फ्रेंसिंग एप सुरक्षित नहीं है और इसका सावधानीपूर्वक प्रयोग आवश्यक है। ज़ूम एप एक फ्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग एप है, जिसके ज़रिये यूज़र एक बार में अधिकतम 100 लोगों के साथ बात कर सकता है। एप में वन-टू-वन मीटिंग और 40 मिनट की ग्रुप कॉलिंग की सुविधा है। ध्यातव्य है कि कोरोनावायरस के कारण दुनिया के लगभग सभी देशों में लॉकडाउन लागू किया गया है, जिसके कारण भारत समेत सभी देशों में ऑनलाइन वीडियो कॉलिंग/कॉन्फ्रेंसिंग का चलन काफी बढ़ गया है और इसी के साथ ज़ूम एप का प्रयोग भी काफी व्यापक स्तर पर होने लगा है। ज़ूम एप की बढ़ती लोकप्रियता के साथ ही सुरक्षा को लेकर इस एप पर कई सवाल खड़े किये जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इस एप के यूज़र से संबंधित डेटा के लीक होने के कई मामले भी सामने आए हैं। गृह मंत्रालय के अनुसार यदि लोग एडवाइज़री के बावजूद भी इस एप का प्रयोग करते हैं, तो कुछ आवश्यक बातों का ध्यान रखा जाए जैसे-.लगातार पासवर्ड बदलते रहें, कॉन्फ्रेंस कॉल में शामिल होने के लिये किसी को अनुमति देते हुए सतर्कता बरतें, ज्वाइन ऑप्शन को डिसऐबल करें, स्क्रीन शेयरिंग का ऑप्शन केवल होस्ट के पास रखें और किसी व्यक्ति के लिये पुनः ज्वाइन का ऑप्शन बंद रखें। 

रिवर्स रेपो रेट

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है। RBI ने रिवर्स रेपो रेट को 4 प्रतिशत से घटाकर 3.75 प्रतिशत कर दिया है।  ध्यातव्य है कि जब बैंक अपनी कुछ धनराशि को रिज़र्व बैंक में जमा कर देते हैं तो RBI द्वारा वाणिज्यिक बैंकों को उस धनराशि पर एक निश्चित दर से ब्याज दिया जाता है। रिज़र्व बैंक जिस दर पर ब्याज देता है उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। रिवर्स रेपो रेट में कटौती से बैंकों को अपना अतिरिक्त धन रिज़र्व बैंक के पास जमा कराने पर कम ब्याज प्राप्त होता है। ऐसी स्थिति में बैंक अपने अतिरिक्त धन को रिज़र्व बैंक के पास रखने के स्थान पर लोगों को बांटकर अधिक ब्याज प्राप्त करने पर ज़ोर देते हैं। इसके प्रभावस्वरूप बैंक अपने ऋण पर ब्याज दरों में कटौती कर देते हैं। यह विधि अर्थव्यवस्था में नकदी प्रवाह को बढ़ाने में मदद करती है।  ध्यातव्य है कि देशव्यापी लॉकडाउन के पश्चात् से भारत समेत दुनिया भर की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है, जिसके मद्देनज़र भारत सहित तमाम देश अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिये लगातार प्रयास कर रहे हैं।

रंजीत चौधरी

हाल ही में प्रसिद्ध अभिनेता रंजीत चौधरी का 64 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। 19 सितंबर, 1955 को मुंबई में जन्मे रंजीत चौधरी को ‘खट्टा-मीठा’, ‘बातों बातों में’ और ‘बॉलीवुड/हॉलीवुड’ में उनके अभिनय के लिये याद किया जाता है। रंजीत चौधरी फिल्मों, टेलीविज़न और थिएटर में अपने बेहतरीन कार्य के लिये काफी जाना जाता था। रंजीत चौधरी ने वर्ष 1978 में फिल्म 'खट्टा मीठा' के ज़रिये बॉलीवुड में अपने कैरियर की शुरुआत की थी। इसके पश्चात् उन्होंने ‘बातों बातों में’ और 'खूबसूरत' जैसी फिल्मों में भी कार्य किया। एक एक्टर के साथ-साथ रंजीत चौधरी बेहतरीन लेखक भी थे। उन्होंने सैम एंड मी (Sam & Me) का स्क्रीन प्ले लिखा और उसमें अभिनय भी किया था। भारत के अतिरिक्त उन्होंने विदेशी सिनेमा में भी कार्य किया था, उन्हें सबसे पहले हॉलीवुड फिल्म 'लोलनी इन अमेरिका' (Lonely in America) में भी कार्य किया था।

भारत की आर्थिक वृद्धि दर 1.9 प्रतिशत: IMF 

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम कर दिया है। IMF ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 1.9 प्रतिशत कर दिया है। इससे पूर्व जनवरी, 2020 में IMF ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 5.8 प्रतिशत बताया था। IMF के अनुसार, कोरोनावायरस (COVID-19) को फैलने से रोकने के लिये लागू किये गए लॉकडाउन के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था काफी अधिक प्रभावित हुई है और इसके कारण संपूर्ण विश्व वर्ष 1930 की मंदी से भी अधिक प्रभावित हो सकता है। उल्लेखनीय है कि कोरोनावायरस और लॉकडाउन के कारण भारत समेत विश्व के तमाम देशों के उद्योग क्षेत्र प्रभावित हुए हैं और निर्यात पर भी काफी प्रभाव पड़ा है। IMF के अनुसार, भारत उन दो बड़े देशों में शामिल है जहाँ वित्तीय वर्ष 2020-21 में आर्थिक वृद्धि दर सकारात्मक रहेगी। दूसरा देश चीन है जहाँ IMF के अनुसार 1.2 प्रतिशत वृद्धि दर रह सकती है। IMF एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था है जो अपने सदस्य देशों की वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नज़र रखने का कार्य करती है। यह अपने सदस्य देशों को आर्थिक एवं तकनीकी सहायता प्रदान करने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय विनिमय दरों को स्थिर रखने तथा आर्थिक विकास को सुगम बनाने में भी सहायता प्रदान करती है।

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