Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 13 जून, 2020 | 13 Jun 2020
अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय के अधिकारियों पर प्रतिबंध
हाल ही में अमेरिकी प्रशासन ने अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (International Criminal Court-ICC) के उन कर्मचारियों के विरुद्ध प्रतिबंधों की घोषणा की है, जो अमेरिकी सैनिकों और खुफिया अधिकारियों तथा इज़रायल समेत संबद्ध राष्ट्रों की अफगानिस्तान एवं अन्य जगहों पर संभावित युद्ध अपराधों की जाँच कर रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस संबंध में घोषणा करते हुए कहा कि हेग (Hague) स्थित अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) अमेरिका की प्रभुता को तोड़ने की कोशिश कर रहा है। अमेरिकी प्रशासन के इस आदेश के माध्यम से उन लोगों की अमेरिकी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी जो ICC की जाँच में सहायता कर रहे हैं। वहीं ऐसे लोगों एवं इनके परिवारजनों को अमेरिका से बाहर जाने की अनुमति भी नहीं दी जाएगी। वहीं अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) ने इस संबंध में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट किया कि ‘संपत्ति जब्त करने और यात्रा पर रोक लगाने जैसे प्रतिबंध मानवाधिकार उल्लंघनकर्त्ताओं के लिये होते हैं, न कि पीड़ितों को न्याय दिलाने वालों के लिये।’ हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय विश्व की शीर्ष वैधानिक संस्था है जिसके पास नरसंहार, मानवता के विरुद्ध अपराधों तथा युद्ध अपराधों के मामलों में अभियोग चलाने का स्थायी अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकार है। इसकी स्थापना ‘रोम संविधि’ (Rome Statute) के अंतर्गत वर्ष 1998 में हुई थी।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधीन भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (National Highway Authority of India- NHAI) यूनिक क्लाउड आधारित एवं आर्टिफिासियल इंटेलीजेंस (AI) द्वारा संचालित बिग डाटा एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म एवं प्रोजेक्ट मैनेजमेंट साफ्टवेयर के लॉन्च के साथ पूर्ण रूप से डिजिटल संगठन बन गया है। NHAI का समस्त कार्य अब ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से किया जा रहा है। सभी परियोजना दस्तावेज़ीकरण, अनुबंधात्मक निर्णय एवं मंज़ूरी अब केवल पोर्टल के माध्यम से ही किये जा रहे हैं। NHAI का डिजिटलीकरण निर्माण कार्य को त्वरित करने के अतिरिक्त, यह सटीक एवं सही समय पर निर्णय लिये जाने को भी सुगम बनाएगा। उल्लेखनीय है कि मौजूदा COVID-19 महामारी के परिदृश्य में लगभग सभी संगठनों का कामकाज लगभग पूरी तरह से रुक गया है, ऐसे में पूर्ण रूप से डिजिटल होना भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को बिना किसी असुविधा के कार्य करने के लिये प्रेरित करेगा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) का गठन भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1988 के तहत राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, अनुरक्षण एवं प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए किया गया था। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को अन्य छोटी परियोजनाओं सहित, राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना का कार्य सौंपा गया है।
बिश्वजीत दासगुप्ता
हाल ही में वाइस एडमिरल बिश्वजीत दासगुप्ता (Biswajit Dasgupta) ने पूर्वी नौसेना कमान (Eastern Naval Command-ENC) में चीफ ऑफ स्टाफ (Chief of Staff) के रूप में कार्यभार संभाला है। वह वाइस एडमिरल एस. एन. घोरमाडे (S N Ghormade) का स्थान लेंगे। वाइस एडमिरल बिश्वजीत दासगुप्ता राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (National Defence Academy) के पूर्व छात्र रहे हैं। उन्हें वर्ष 1985 में भारतीय नौसेना में तैनाती मिली थी और वह नौवहन और डायरेक्शन (Navigation and Direction) में विशेषज्ञ हैं। वाइस एडमिरल बिश्वजीत दासगुप्ता ने मिसाइल वाहक INS निशंक, INS कार्मुक, INS ताबर और विमान वाहक युद्धपोत INS विराट समेत चार अग्रणी जहाज़ों का नेतृत्त्व किया है। वर्ष 2017-18 के दौरान उन्होंने विशाखापट्टनम में प्रतिष्ठित ईस्टर्न फ्लीट (Eastern Fleet) की कमान संभाली थी और उसके बाद उन्हें NCC मुख्यालय में अतिरिक्त महानिदेशक के तौर पर नियुक्त किया गया था। एडमिरल बिश्वजीत दासगुप्ता को उनकी विशिष्ट सेवा के लिये अति विशिष्ट सेवा पदक (AVSM) और विशिष्ट सेवा पदक (VSM) प्राप्त हो चुका है।
गुलज़ार देहलवी
हाल ही में प्रसिद्ध उर्दू शायर गुलज़ार देहलवी (Gulzar Dehlavi) का 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। गुलज़ार देहलवी का असली नाम आनंद मोहन जुत्शी (Anand Mohan Zutshi) था, गुलज़ार देहलवी का जन्म 07 जुलाई, 1926 को पुरानी दिल्ली के गली कश्मीरियां (Gali Kashmirian) में हुआ था। गुलज़ार देहलवी ने दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) से MA और LLB की पढ़ाई की थी। भारतीय स्वतंत्रता के पश्चात् जब भारत सरकार ने अंग्रेज़ी में साइंस रिपोर्टर (Science Reporter) और हिंदी में विज्ञान प्रगति (Vigyan Pargati) नाम से पत्रिकाएँ शुरू कीं, तो गुलज़ार देहलवी ने ही उर्दू में विज्ञान पत्रिका शुरू करने के पक्ष में आवाज़ उठाई और तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने भी उनकी इस मांग का समर्थन किया था। वर्ष 1975 में भारत सरकार ने उर्दू में विज्ञान की पहली पत्रिका ‘साइंस की दुनिया' (Science ki Duniya) शुरू की और गुलज़ार देहलवी को बाद में उस पत्रिका का संपादक भी नियुक्त किया गया। गुलज़ार देहलवी का संबंध दिल्ली में बसे कश्मीरी पंडितों से हैं।