Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 13 अप्रैल, 2020 | 13 Apr 2020
उन्नयन: मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय
बिहार शिक्षा परियोजना परिषद (Bihar Education Project Council-BEPC) ने राज्य के सरकारी स्कूलों में पढने वाले 6वीं से 12वीं तक के छात्रों के लिये ‘उन्नयन बिहार कार्यक्रम’ के तहत ‘उन्नयन: मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय’ नामक मोबाइल एप की शुरुआत की है। इस एप के माध्यम से लॉकडाउन के दौरान घरों में रहकर भी छात्र अपनी पढाई कर सकेंगे। इस एप पर 6वीं कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक के छात्र किसी भी विषय विशिष्ट की पुस्तकें डाउनलोड कर उसे पढ़ सकते हैं। इस एप पर पढाई के साथ-साथ प्रश्न भी पूछ सकते हैं। इसके अलावा BEPC ने स्कूली छात्रों के लिये अध्ययन सामग्री के ऑडियो प्रसारण हेतु ऑल इंडिया रेडियो (AIR) के साथ कार्य करने की भी योजना बना रहा है। ध्यातव्य है कि अब तक ‘उन्नयन बिहार कार्यक्रम’ के तहत केवल 8वीं कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक की सामग्री ही उपलब्ध कराई गई थी, किंतु अब इस एप पर 6वीं से लेकर 12वीं तक का कंटेंट अपलोड किया जाएगा। इसके अलावा BEPC कक्षा 4 और 5 के लिये सामग्री उपलब्ध कराने पर भी कार्य कर रहा है, इन कक्षाओं के लिये सामग्री तैयार की जा रही है। उल्लेखनीय है कि कोरोनावायरस के तीव्र प्रसार को रोकने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 21 दिन के लिये देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई थी, जिसे मौजूदा परिस्थिति के मद्देनज़र और अधिक बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में स्कूली छात्रों की पढाई सर्वाधिक प्रभावित हो रही है।
जलियाँवाला बाग हत्याकांड की वर्षगाँठ
13 अप्रैल, 2020 को जलियाँवाला बाग हत्याकांड की 101वीं वर्षगाँठ है। ध्यातव्य है कि 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर (पंजाब) के जलियाँवाला बाग में ‘बैशाखी’ के दिन सैंकड़ों निर्दोष लोगों की हत्या कर दी गई थी, इसे भारतीय इतिहास में सर्वाधिक दुखद नरसंहार के रूप में जाना जाता है। दरअसल 9 अप्रैल, 1919 को (कुछ स्रोतों में 10 अप्रैल भी) रोलैट एक्ट का विरोध करने के आरोप में पंजाब के दो लोकप्रिय नेता डॉ. सत्यपाल एवं डॉ. सैफुद्दीन किचलू को सरकार ने गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी के विरोध में 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर (पंजाब) के जलियाँवाला बाग में एक शांतिपूर्ण सभा का आयोजन किया गया। जनरल डायर ने इस विशाल सभा को अपने आदेश की अवहेलना माना और सभास्थल पर मौजूद निहत्थे लोगों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। आँकड़ों के अनुसार, इस घटना में मरने वाले लोगों की संख्या 379 थी, किंतु वास्तव में इससे कहीं ज्यादा लोग मारे गए थे। इस नरसंहार के विरोध में रवींद्रनाथ टैगोर ने ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रदान की गई ‘नाइटहुड’ (Knighthood) की उपाधि त्याग दी थी। इस हत्याकांड की जाँच के लिये कॉन्ग्रेस ने मदन मोहन मालवीय की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त की। ब्रिटिश सरकार ने भी इस हत्याकांड की जाँच के लिये हंटर आयोग का गठन किया था।
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के उत्पाद और निर्यात में शीर्ष स्थान पर भारत
दुनिया में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (Hydroxychloroquine- HCQ) के उत्पादन और निर्यात में भारत शीर्ष स्थान पर है। आँकड़ों के अनुसार, वैश्विक आपूर्ति में भारत की हिस्सेदारी तकरीबन 70 प्रतिशत है। फार्मास्क्युटिकल्स विभाग (Department of Pharmaceuticals) के अनुसार, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की उत्पादन क्षमता देश की आवश्यकता और निर्यात की मांग को पूरा करने के लिये पर्याप्त है। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन एक मलेरियारोधी दवा है। यह क्लोरोक्विन (Chloroquine) का एक यौगिक/डेरिवेटिव (Derivative) है, जिसे क्लोरोक्विन से कम विषाक्त (Toxic) माना जाता है। रूमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) और लूपस (Lupus) जैसी कुछ अन्य बीमारियों के मामलों में भी डॉक्टर की सलाह पर इस दवा का उपयोग किया जाता है। मार्च, 2020 में प्रकाशित एक फ्राँसीसी वैज्ञानिक के शोध के अनुसार, COVID-19 से संक्रमित 20 मरीज़ों में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के प्रयोग से अन्य मरीज़ो की तुलना में बेहतर परिणाम पाए गए। हालाँकि, विश्व की किसी भी स्वास्थ्य संस्था द्वारा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन को COVID-19 के उपचार के लिये प्रमाणित नहीं किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन एक रोग प्रतिरोधक है और यह इलाज नहीं है।
अंतर्राष्ट्रीय मानव अंतरिक्ष उड़ान दिवस
प्रत्येक वर्ष 12 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय मानव अंतरिक्ष उड़ान दिवस का आयोजन किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 7 अप्रैल, 2011 को पारित एक प्रस्ताव के माध्यम से 12 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय मानव अंतरिक्ष उड़ान दिवस के रूप में घोषित किया गया था। इस दिवस के आयोजन का उद्देश्य मानव जाति के लिये अंतरिक्ष युग की शुरुआत का जश्न मनाने और सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के महत्त्व को याद करना है। ध्यातव्य है कि पूर्व सोवियत संघ के नागरिक यूरी गेगरिन ने 12 अप्रैल, 1961 को वोस्टॉक नामक अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष के लिये पहली उड़ान भरी थी, जिसके साथ वे अंतरिक्ष पर जाने वाले पहले व्यक्ति बन गए थे। इस एतिहासिक घटना ने मानव जाति के लिये अंतरिक्ष की खोज के रास्ते खोल दिये और इस क्षेत्र में आज भी नई-नई खोज की जा रही हैं।