Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 12 जून, 2020 | 12 Jun 2020
हींग और केसर उत्पादन में बढ़ोतरी हेतु समझौता
भारत में केसर और हींग का उत्पादन बढ़ाने के लिये हिमाचल प्रदेश के पालमपुर स्थित ‘हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान’ (Institute of Himalayan Bioresource Technology-IHBT) और हिमाचल प्रदेश के ‘कृषि विभाग’ के मध्य साझेदारी की गई है। इस साझेदारी के तहत ‘हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (IHBT) किसानों को तकनीकी जानकारी मुहैया कराने के साथ-साथ राज्य कृषि विभाग के अधिकारियों एवं किसानों को प्रशिक्षित भी करेगा। उल्लेखनीय है कि केसर और हींग को विश्व के सबसे मूल्यवान मसालों में गिना जाता है। भारत में सदियों से हींग और केसर का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है, किंतु इसके बावजूद देश में इन दोनों ही मसालों का उत्पादन काफी सीमित है। भारत में, केसर की वार्षिक माँग करीब 100 टन है, किंतु हमारे देश में इसका औसत उत्पादन लगभग 6-7 टन ही संभव हो पाता है, जिसके कारण प्रत्येक वर्ष बड़ी मात्रा में केसर का आयात करना पड़ता है। इसी प्रकार, भारत में हींग उत्पादन भी काफी सीमित है, किंतु इसके बावजूद भारत में प्रत्येक वर्ष विश्व में हींग के कुल उत्पादन के 40 प्रतिशत की खपत होती है, भारत अपनी इस आवश्यकता को पूरा करने के लिये प्रत्येक वर्ष लगभग 600 करोड़ रुपए मूल्य की तकरीबन 1200 मीट्रिक टन कच्ची हींग अफगानिस्तान, ईरान और उज्बेकिस्तान जैसे देशों से आयात करता है। इस साझेदारी के माध्यम से भारत की आयात निर्भरता में कमी की जा सकेगी। साथ ही यह हिमाचल प्रदेश में कृषि आय बढ़ाने, आजीविका में वृद्धि तथा ग्रामीण विकास के उद्देश्य को पूरा करने में सहायक सिद्ध होगी।
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस
प्रत्येक वर्ष 12 जून को बाल श्रम जैसी क्रूर और बर्बर प्रथा को रेखांकित करने और आम लोगों में इसके विरुद्ध जागरुकता पैदा करने के लिये विश्व बाल श्रम निषेध दिवस (World Day Against Child Labour) का आयोजन किया जाता है। वर्ष 2020 के लिये इस दिवस का थीम है: ‘COVID-19- प्रोटेक्ट चिल्ड्रेन फ्रॉम चाइल्ड लेबर, नाओ मोर देन एवर!’ (Covid-19: Protect Children from Child Labour, Now More Than Ever!)। इस दिवस की शुरुआत वर्ष 2002 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization-ILO) द्वारा वैश्विक स्तर पर बाल श्रम को समाप्त करने के प्रयासों की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित के उद्देश्य से की गई थी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 के लिये विश्व बाल श्रम निषेध दिवस का थीम बाल श्रम पर मौजूदा महामारी के प्रभाव को रेखांकित करती है। ध्यातव्य है कि कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी के कारण लाखों लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है, जिसमें छोटे बच्चे भी शामिल हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार, विश्व स्तर पर लगभग 152 मिलियन बच्चे ऐसे हैं जो बाल श्रम में लगे हुए हैं, जिनमें से 72 मिलियन बच्चों की कार्य स्थिति काफी चिंताजनक है।
डॉ. रतन लाल
प्रख्यात भारतीय मूल के अमेरिकी मृदा वैज्ञानिक डॉ. रतन लाल (Dr Rattan Lal) को कृषि क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार के समान माने जाने वाले प्रतिष्ठित 'विश्व खाद्य पुरस्कार' के लिये चुना गया है। डॉ. रतन लाल को यह सम्मान मृदा केंद्रित दृष्टिकोण रखते हुए खाद्य उत्पादन बढ़ाने के उपाय विकसित करने हेतु दिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि डॉ. रतन लाल द्वारा विकसित उपायों के माध्यम से न केवल प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण संभव हो पाया है, बल्कि इनसे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को भी कम किया जा सका है। डॉ. रतन लाल द्वारा विकसित तकनीक से विश्व भर के करोड़ों किसानों को लाभ हुआ है, डॉ. रतन लाल वर्तमान में ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी (Ohio State University) में प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत हैं। गौरतलब है कि डॉ. रतन लाल ने कृषि भूमि को ऊर्वर बनाए रखने की नई तकनीक को बढ़ावा देने के लिये लगभग चार महाद्वीपों में पचास वर्ष से भी अधिक समय तक कार्य किया है। विश्व खाद्य पुरस्कार (World Food Prize) एक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार है जो कि विश्व में भोजन की गुणवत्ता, मात्रा या उपलब्धता में सुधार करके मानव विकास को बढ़ावा देने वाले व्यक्ति को प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार के तहत विजेता को 2, 50,000 अमेरिकी डॉलर की राशि प्रदान की जाती है।
संयुक्त साइंस कम्युनिकेशन फोरम
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology-DST) ने सार्वजनिक क्षेत्र की विज्ञान संचार संस्थानों और एजेंसियों के बीच आपसी बातचीत, सहयोग और समन्वय को सुविधाजनक बनाने के लिये एक ‘जॉइंट साइंस कम्युनिकेशन फोरम’ (Joint Science Communication Forum) का गठन किया है। यह फोरम विभिन्न संस्थानों के विज्ञान संचार प्रयासों को एक साथ लाएगा और व्यापक स्तर पर एक आम नीति तथा सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने में मदद करेगा। इसका लक्ष्य एक राष्ट्रीय विज्ञान संचार की रूपरेखा तैयार करना है। फोरम में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के अलावा कृषि, स्वास्थ्य, संस्कृति, रक्षा, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा और सूचना और प्रसारण समेत विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया गया है। उल्लेखनीय है कि भारत में विज्ञान संचार के लिये एक मज़बूत संगठनात्मक संरचना मौजूद है। देश में कम-से-कम पाँच राष्ट्रीय संगठन, विज्ञान संचार के विकास के लिये कार्य कर रहे हैं।