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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 12 मई, 2020

  • 12 May 2020
  • 8 min read

‘भरोसा’ हेल्पलाइन 

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने एक आभासी मंच के माध्यम से ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय (Central University of Odisha-COU) के ‘भरोसा’ नामक एक हेल्पलाइन नंबर (08046801010) का शुभारंभ किया है, जिसका उद्देश्य COVID-19 महामारी के कठिन समय के दौरान छात्र समुदाय की परेशानियों को दूर करना है। इस हेल्पलाइन का उद्देश्य ओडिशा के सभी विश्वविद्यालयों के छात्रों को लॉकडाउन महामारी के दौरान मानसिक और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करना है। उल्लेखनीय है कि मौजूदा दौर में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति चिंता करना काफी आवश्यक है और ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय (COU) द्वारा शुरू की गई यह हेल्पलाइन इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। मानव संसाधन विकास मंत्री ने देश भर के केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों तथा अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों से भी ‘भरोसा’ पहल का अनुकरण करने का आग्रह किया। ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आई. रामब्रह्मम के अनुसार, ‘भरोसा’ हेल्पलाइन ओडिशा के किसी भी विश्वविद्यालय के छात्रों की चिंताओं का निदान कर सकती है और परियोजना के प्रायोगिक चरण में 400 कॉलें आई थीं। इस अवसर पर केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री ने छात्रों के सुरक्षित भविष्य के लिये मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रयासों को रेखांकित करते हुए नए शैक्षणिक कैलेंडर और शिक्षा की आभासी प्रणाली के संबंध में उठाए गए कदमों पर बल दिया।

‘चैंपियंस’ पोर्टल

एक बड़ी पहल के रूप में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (Ministry of Micro, Small and Medium Enterprises) ने ‘चैंपियंस’ पोर्टल शुरु किया है। यह प्रौद्योगिकी आधारित एक प्रबंधन सूचना प्रणाली है जिसका उद्देश्य MSME क्षेत्र को राष्ट्रीय तथा वैश्विक स्तर पर सक्षम बनाने,आवश्यक गुणवत्ता प्राप्त करने और प्रशासनिक बाधाओं को दूर करने में मदद करना है। इस पोर्टल के माध्यम से MSME क्षेत्र से संबंधित समस्त जानकारियाँ एक स्थान पर उपलब्ध कराई गई हैं। यह एक नियंत्रण कक्ष-सह-प्रबंधन सूचना प्रणाली (Control Room-cum-Management Information System) है जिसे टेलीफोन, इंटरनेट और वीडियो कॉन्फ्रेंस जैसी सूचना व संचार तकनीकों (ICT) के अलावा, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स और मशीन लर्निंग द्वारा सक्षम बनाया गया है। इसे भारत सरकार की मुख्य केंद्रीयकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली और MSME मंत्रालय की अन्य वेब प्रणालियों के साथ सीधे जोडा गया है। इस पूरी प्रणाली को बिना किसी लागत के NIC की मदद से स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है। इस नियंत्रण प्रणाली के हिस्से के रूप में अब तक, 66 राज्यों में स्थानीय स्तर के नियंत्रण कक्ष बनाए जा चुके हैं। उल्लेखनीय है कि इस नियंत्रण प्रणाली के हिस्से के रूप में अब तक 66 राज्यों में स्थानीय स्तर के नियंत्रण कक्ष बनाए जा चुके हैं।

अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस

संपूर्ण विश्व में 12 मई को अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस (International Nurses Day) के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस का आयोजन मुख्य रूप से आधुनिक नर्सिंग की जनक फ्लोरेंस नाइटिंगेल (Florence Nightingale) की याद में किया जाता है। उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस समाज के प्रति नर्सों के योगदान को चिह्नित करता है। अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस 2020 की थीम 'नर्सिंग द वर्ल्ड टू हेल्थ' (Nursing the World to Health) है। इस दिवस को सर्वप्रथम वर्ष 1965 में इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स (International Council of Nurses-ICN) द्वारा मनाया गया था। किंतु जनवरी, 1974 से यह दिवस 12 मई को फ्लोरेंस नाइटिंगेल (Florence Nightingale) की सालगिरह पर मनाया जाने लगा। वे एक ब्रिटिश नागरिक थीं। उन्हें युद्ध में घायल व बीमार सैनिकों की सेवा के लिये जाना जाता है। फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने 1850 के दशक के क्रीमियन युद्ध (Crimean War) में दूसरी नर्सों को प्रशिक्षण दिया तथा उनके प्रबंधक के रूप में भी कार्य किया। उन्हें ‘लेडी विद द लैंप’ कहा जाता है। ध्यातव्य है कि उनके विचारों तथा सुधारों से आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली काफी प्रभावित हुई है। फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने ही सांख्यिकी के माध्यम से यह सिद्ध किया कि किस प्रकार स्वास्थ्य से किसी भी महामारी के प्रभाव को कम किया जा सकता है। संपूर्ण विश्व जब कोरोनावायरस (COVID-19) महामारी का सामना कर रहा है, तो ऐसे में नर्सों की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण हो गई है।

गांधी शांति पुरस्‍कार 2020

COVID-19 के कारण देश भर में लागू किये गए लॉकडाउन के मद्देनज़र गांधी शांति पुरस्‍कार 2020 के लिये नामांकन प्राप्त करने की अंतिम तिथि 15 जून, 2020 तक बढ़ा दी गई है। इससे पूर्व वर्ष 2020 के लिये नामांकन प्राप्‍त करने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल, 2020 थी। उल्लेखनीय है कि यह पुरस्कार अहिंसा और अन्य गांधीवादी तरीकों के माध्यम से लाए गए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन के लिये प्रदान किया जाता है। प्रत्येक वर्ष प्रदान किये जाने वाले इस पुरस्कार के साथ एक करोड़ रुपए की राशि और एक प्रशस्ति पात्र प्रदान की जाती है। नियमों के अनुसार, यह पुरस्कार किसी भी व्यक्ति को प्रदान किया जा सकता है, चाहे वह किसी भी राष्ट्र, प्रजाति, धर्म और लिंग से संबंधित हो। उल्लेखनीय है कि इस पुरस्कार की शुरुआत वर्ष 1995 में की गई थी और तब से यह अनवरत प्रदान किया जा रहा है।

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