Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 04 मई, 2020 | 04 May 2020
कोयला मंत्रालय की ‘परियोजना निगरानी इकाई’
हाल ही में कोयला मंत्रालय ने केंद्र सरकार द्वारा आवंटित की गई कोयला खानों के परिचालन को सुगम बनाने की सुविधा हेतु एक परियोजना निगरानी इकाई शुरू की है। कोयला मंत्रालय की यह ‘परियोजना निगरानी इकाई’ ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (Ease of Doing Business) की सुविधा प्रदान करेगी क्योंकि इससे खानों को संचालित करने के लिये समय पर स्वीकृति प्रदान की जाएगी। यह इकाई खदानों को राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों से उनके संचालन के लिये मंज़ूरी लेने में भी मदद करेगी। यह इकाई देश में कारोबारी माहौल और कोयले के उत्पादन को बेहतर बनाने में भी मददगार साबित होगी। भारत में कोयले को सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण ईंधन के रूप में देखा जाता है और यह देश में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध भी है। वर्ष 2019 के आँकड़ों के अनुसार, कोयला देश की ऊर्जा ज़रूरतों का लगभग 55 प्रतिशत हिस्सा कवर करता है। ध्यातव्य है कि देश की औद्योगिक विरासत स्वदेशी कोयले की नींव पर ही बनाई गई है। भारत में दुनिया का पाँचवाँ सबसे बड़ा कोयला भंडार मौजूद है। भारत में कोयले का उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्यों में शामिल हैं-ओडिशा, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना।
के.एस. निसार अहमद
कन्नड़ के मशहूर कवि और प्रोफेसर के.एस. निसार अहमद (K. S. Nissar Ahmed) का 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। के.एस. निसार अहमद का जन्म 5 फरवरी, 1936 को बंगलुरु के ग्रामीण ज़िले के देवनहल्ली नामक शहर में हुआ था, और उनका पूरा नाम कोकरे होसहल्ली शेख हैदर निसार अहमद (Kokkare Hosahalli Shekh Haider Nissar Ahmed) था। के.एस. निसार अहमद अपनी नित्योत्सव कविता के कारण कर्नाटक सहित में काफी प्रसिद्ध थे। उनकी रचना बाद में एक लोकप्रिय भी गीत बन गई थी। प्रोफेसर अहमद पेशे से एक भूगर्भशास्त्री थे और उन्होंने भूगर्भशास्त्र के व्याख्याता (Lecturer) के तौर पर अध्यापन भी किया था। वे वर्ष 2007 में शिवमोगा में आयोजित कन्नड़ साहित्य सम्मेलन के 73वें अध्यक्ष भी थे। के.एस. निसार अहमद को वर्ष 1981 में राज्योत्सव पुरस्कार और वर्ष 2008 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। राज्योत्सव पुरस्कार कर्नाटक राज्य का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जिसे कर्नाटक सरकार द्वारा 1 नवंबर को कर्नाटक राज्य के गठन के अवसर पर कन्नड़ राज्योत्सव में प्रदान किया जाता है।
शहरी रोज़गार गारंटी योजना
हाल ही में हिमाचल प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल की बैठक में निर्णय लिया गया कि कोरोनावायरस (COVID-19) महामारी के मद्देनज़र राज्य में अर्थव्यवस्था को पुनः सृदृढ़ करने के उद्देश्य से शहरी जनता को मुख्यमंत्री शहरी रोज़गार गारंटी योजना के तहत 120 दिन का रोज़गार प्रदान किया जाएगा। यदि आवश्यक हो तो इस संबंध में लोगों के कौशल उन्नयन हेतु अनिवार्य प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा। ध्यातव्य है कि कोरोनावायरस (COVID-19) महामारी के फलस्वरूप प्रदेश में बाहरी राज्यों से कई लोग वापस आएँ हैं, जिन्हें जीवनयापन के पर्याप्त रोज़गार उपलब्ध कराना सरकार का दायित्त्व हो गया है। राज्य में लौटे ये लोगो विभिन्न क्षेत्रों में कुशल हैं और सरकार के निर्देशानुसार, उनकी कार्यकुशलता के अनुरूप ही उन्हें रोज़गार और स्वरोज़गार मुहैया कराने हेतु प्रशिक्षण दिया जाएगा। ध्यातव्य है कि राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश भवन और अन्य सन्निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड (Himachal Pradesh Building and Other Construction Workers Welfare Board) के तहत पंजीकृत लगभग एक लाख श्रमिकों को 2000 रुपए प्रदान किये हैं, जिस पर अब तक 20 करोड़ रुपए खर्च किये जा चुके हैं। राज्य के मंत्रिमंडल ने इन श्रमिकों को और 2000 रुपए प्रदान करने का निर्णय लिया है।
सत्यजीत रे
02 मई, 2020 को सारे देश में मशहूर फिल्म निर्माता सत्यजीत रे (Satyajit Ray) की जन्मशती मनाई गई। 02 मई, 1921 को कलकत्ता में जन्मे सत्यजीत रे 20वीं शताब्दी के कुछ चुनिंदा प्रसिद्ध लोगों में से एक थे, जिन्होंने फिल्मों की यथार्थवादी शैली को एक नई दिशा देने के साथ-साथ साहित्य, चित्रकला जैसी अन्य विधाओं में भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। सत्यजीत रे प्रमुख रूप से फिल्म निर्देशक के रूप में जाने जाते हैं और उन्होंने अपने कैरियर में तकरीबन 36 फिल्मों का निर्देशन किया। सत्यजीत रे को वर्ष 1991 में ऑस्कर से सम्मानित किया गया था। अपनी जीवनकाल में सत्यजीत रे को दादा साहेब फाल्के, भारत रत्न और कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त हुए थे। सत्यजीत रे की कुछ चर्चित फिल्मों में पाथेर पांचाली, अपुर संसार, अपराजितो, जलसा घर, अभियान आदि का नाम शामिल है। फ्रांँस सरकार ने फिल्म जगत में असाधारण योगदान के लिये सत्यजीत रे को वर्ष 1992 में अपने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘लिजिएन ऑफ ऑनर’ (Legion of Honour) से पुरस्कृत किया था। सत्यजीत रे का निधन अप्रैल 1992 में हुआ था।