जैव विविधता और पर्यावरण
तेज़ी से हरित मंज़ूरी पर राज्यों की रैंकिंग
- 21 Jan 2022
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986, पर्यावरण प्रभाव आकलन। मेन्स के लिये:पर्यावरणीय मंज़ूरी (EC) प्रक्रिया और भारत में संबंधित बाधाएँ, भारत में व्यापार करने में आसानी और इससे संबंधित चुनौतियाँ। |
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राज्यों विशेष रूप से राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरणों (State Environment Impact Assessment Authorities) को उस गति से रैंक करने का निर्णय लिया है जिस गति से वे विकास परियोजनाओं को पर्यावरणीय मंज़ूरी (Environmental Clearances) प्रदान करते हैं।
- "ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (Ease of Doing Business)" के लिये विशेष रूप से "मंज़ूरी हेतु समय के आधार पर राज्यों की रैंकिंग" के संदर्भ में की गई कार्रवाई का मुद्दा नवंबर 2021 में उठाया गया था।
- सभी क्षेत्रों में पर्यावरण मंज़ूरी दिये जाने की औसत अवधि वर्ष 2019 के 150 दिनों से कम की तुलना में वर्ष 2021 में 90 दिनों से कम है।
राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (SEIAAs):
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प्रमुख बिंदु:
- परिचय:
- पर्यावरणीय मंज़ूरी (EC) के अनुदान में दक्षता और समयबद्धता के आधार पर राज्यों को स्टार-रेटिंग प्रणाली के माध्यम से प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया गया है।
- यह मान्यता और प्रोत्साहन के साथ-साथ जहाँ आवश्यक हो, सुधार के लिये प्रेरित करने के तरीके के रूप में अभिप्रेत है।
- राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (SEIAA) जो कम से कम समय में परियोजनाओं को मंज़ूरी देता है, मंज़ूरी की उच्च दर तथा कम “आवश्यक विवरण” चाहता है, उसे सर्वोच्च स्थान दिया जाएगा।
- रेटिंग प्रणाली हेतु पैरामीटर:
- SEIAAs को पाँच मापदंडों पर 0 और 1 के बीच और EC देने के लिये 0 और 2 के बीच वर्गीकृत किया जाएगा।
- पैरामीटर हैं:
- परियोजनाओं के लिये EC या संदर्भ की शर्तों (ToR) की मांग वाले प्रस्तावों को स्वीकार करने हेतु एसईआईएए द्वारा लिये गए दिनों की औसत संख्या।
- प्राधिकरण द्वारा संबोधित शिकायतों की संख्या।
- उन मामलों का प्रतिशत जिनके लिये SEIAAs या ‘राज्य विशेषज्ञ मूल्यांकन समितियों’ (SEACs) द्वारा साइट का दौरा किया जाता है।
- उन मामलों का प्रतिशत जिनमें प्राधिकरण परियोजना प्रस्तावकों से एक से अधिक बार अतिरिक्त जानकारी मांगता है।
- 30 दिनों से अधिक पुराने नए या संशोधित ToRs चाहने वाले प्रस्तावों के निपटान का प्रतिशत।
- 120 दिनों से अधिक पुराने, नए या संशोधित EC चाहने वाले प्रस्तावों के निपटान का प्रतिशत।
- इस कदम की आलोचना
- SEIAA को 'रबड़ स्टैम्प प्राधिकरण' बनाना:
- इस तरह की रेटिंग प्रणाली SEIAA को एक 'रबर स्टैम्प अथॉरिटी' बना देगी, जहाँ उसके प्रदर्शन को उस रूप में आँका जाएगा, जहाँ वे पर्यावरणीय गिरावट और सामुदायिक आजीविका को खतरे में डालते हैं।
- अनुच्छेद-21 के विरुद्ध:
- यह रेटिंग प्रणाली भी पर्यावरण के कानून के खिलाफ है और संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) का उल्लंघन करती है तथा पर्यावरण एवं लोगों की कीमत पर केवल व्यापार को लाभ पहुँचाती है।
- SEIAAs के जनादेश को बाधित करना:
- यह कदम पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 और पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना के तहत SEIAAs के जनादेश को गंभीर रूप से बाधित करेगा।
- यह रेटिंग प्रणाली पर्यावरण प्रभाव आकलन की गुणवत्ता में और कमी ला सकती है और यह प्रणाली केवल नियामक प्रक्रिया को कमज़ोर करती है, जबकि यह तर्क भी सही नहीं है कि मौजूदा प्रणाली के कारण व्यवसायों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, क्योंकि व्यवसायों की खराब स्थिति अर्थव्यवस्था की समग्र स्थिति के कारण है।
- SEIAAs के प्रदर्शन का आकलन करने हेतु इससे संबंधित मानदंड पर्यावरण संरक्षण जनादेश से अलग होने चाहिये।
- यह अधिनियम केंद्र सरकार को अपने सभी रूपों में पर्यावरण प्रदूषण को रोकने और देश के विभिन्न हिस्सों के लिये विशिष्ट पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने हेतु अधिकृत (धारा 3 (3) के तहत) प्राधिकरण स्थापित करने का अधिकार देता है।
- SEIAA को 'रबड़ स्टैम्प प्राधिकरण' बनाना:
- भारत में पर्यावरणीय मंज़ूरी
- भारत में किसी परियोजना की पर्यावरणीय मंज़ूरी या तो राज्य सरकार और/या केंद्र सरकार द्वारा दी जानी चाहिये।
- पर्यावरणीय मंज़ूरी के पीछे मूल उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों का कम-से-कम नुकसान सुनिश्चित करना और परियोजना निर्माण के चरण में उपयुक्त उपचारात्मक उपायों को शामिल करना है।
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा जारी पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) अधिसूचना हेतु निर्णय लेने के लिये पर्यावरणीय मंज़ूरी और जन सुनवाई की प्रक्रिया का विवरण शामिल है।
- यह EIA अधिसूचना सरकार के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र/निजी क्षेत्र दोनों के लिये उनके द्वारा शुरू की गई बड़ी परियोजनाओं हेतु मान्य है।
- पर्यावरण पर भौतिक-रासायनिक, जैविक, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक घटकों के सापेक्ष प्रस्तावित परियोजनाओं, योजना कार्यक्रमों या विधायी कार्यों की संख्या का संभावित प्रभाव पड़ता है।
आगे की राह:
- हालांँकि पर्यावरण प्रभाव का आकलन पर्यावरण की रक्षा करने तथा पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था, विकास तथा प्रदूषण के बीच संतुलन बनाए रखने हेतु आवश्यक है, लेकिन इसके दीर्घकालिक चरणों में सुधार करना आवश्यक है क्योंकि यह भारत में व्यापार शुरू करने में एक बड़ी बाधा बन गया है।
- पिछले कुछ वर्षों में प्रशासनिक और नौकरशाही के मुद्दों ने स्थानीय निवेशकों के लिये भारत में निवेश को कठिन बना दिया है।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस