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भारतीय विरासत और संस्कृति

राखीगढ़ी

  • 03 Feb 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

राखीगढ़ी हड़प्पा स्थल

मेन्स के लिये:

राखीगढ़ी का ऐतिहासिक महत्त्व

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय बजट-2020 में हरियाणा राज्य के राखीगढ़ी (Rakhigarhi) नामक हड़प्पा स्थल को एक प्रतिष्ठित स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई तथा यहाँ एक राष्ट्रीय संग्रहालय भी स्थापित किया जायेगा।

Rakhigarhi

मुख्य बिंदु:

  • हड़प्पा सभ्यता (Harappan Civilisation) के सबसे बड़े स्थलों में से एक राखीगढ़ी भारत में 500 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है।

हड़प्पा सभ्यता (Harappan Civilisation):

  • इसे सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilisation) भी कहा जाता है।
  • यह लगभग 2,500 ईसा पूर्व में यह समकालीन पाकिस्तान और पश्चिमी भारत में विकसित हुई।
  • वर्ष 1920 के दशक में भारतीय पुरातत्त्व विभाग (Indian Archeological Department) ने सिंधु घाटी में खुदाई की जिसमें दो पुराने शहरों मोहनजोदाड़ो और हड़प्पा के खंडहर का पता चला।
  • राखीगढ़ी हरियाणा के हिसार जिले में स्थित है इसे पूर्व-हड़प्पा सभ्यता बस्ती स्थल के रुप में जाना जाता है।
  • यह स्थल घग्घर नदी के तट पर स्थित इस स्थल की खोज वर्ष 1969 में सूरजभान ने की थी।
  • राखीगढ़ी के साथ उत्तर प्रदेश में हस्तिनापुर (Hastinapur), असम में शिवसागर (Shivsagar), गुजरात में धौलावीरा (Dholavira) और तमिलनाडु में आदिचनल्लूर (Adichanallur) को भी राष्ट्रीय संग्रहालयों के साथ प्रतिष्ठित स्थलों के रूप में विकसित किया जाएगा।

हस्तिनापुर (Hastinapur):

  • उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले में स्थित हस्तिनापुर महाभारत काल में पांडवों एवं कौरवों की प्राचीन राजधानी थी। प्राचीन काल में यह कई धर्मों का संगम स्थल था।
  • यहाँ स्थित श्री दिगंबर जैन बड़ा मंदिर (Shri Digamber Jain Bada Mandir) सबसे पुराने मंदिरों में से एक है जबकि अन्य मंदिरों में जंबूद्वीप जैन मंदिर, श्वेतांबर जैन मंदिर, प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर और अस्तपद जैन मंदिर भी है।
  • हस्तिनापुर को पंच प्यारे भाई धर्म सिंह के जन्मस्थान के रूप में भी जाना जाता है जो गुरु गोविंद सिंह (दसवें सिख गुरु) के शिष्य थे।
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने वर्ष 1950-52 में हस्तिनापुर में उत्खनन किया था और इसमें तीर, भाला, चिमटा, हुक, कुल्हाड़ी, चाकू आदि शामिल थे।

शिवसागर (Shivsagar):

  • असम में स्थित यह स्थान वर्ष 1699 से 1788 ईस्वी के मध्य अहोम साम्राज्य की राजधानी था और पहले इसे रंगपुर के नाम से भी जाना जाता था।
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को कारेनघर (तलातलघर) परिसर जो अहोम शक्ति का गढ़ था, में उत्खनन के दौरान रास्ते के संरचनात्मक अवशेषों के साथ, लंबी दीवारें, नालियों के लिये टेराकोटा पाइप, फूलदान और कुछ पात्र मिले थे।
  • यहाँ स्थित अन्य महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल रंग घर (Rang Ghar) है, जो अहोम राजाओं के लिए एक रंगभूमि था, जिसे खेल के लिये उपयोग किया जाता था।

धौलावीरा (Dholavira):

  • हड़प्पा सभ्यता से संबंधित यह स्थल गुजरात के कच्छ जिले में स्थित है।
  • 100 हेक्टेयर ने फैले इस स्थल की खोज वर्ष 1967-68 ईस्वी में जे. पी. जोशी ने की थी।
  • यह भारत में स्थित सिंधु सभ्यता का दूसरा सबसे बड़ा नगर था जो तीन भागों में विभाजित था- दुर्ग, मध्यम नगर और निचला नगर।
  • इस स्थल की सबसे महत्त्वपूर्ण खोज यहाँ विश्व की सबसे पुरानी जल संरक्षण प्रणाली मिली है जहाँ वर्षा जल का संचयन किया जाता था।

आदिचनल्लूर (Adichanallur):

  • तमिलनाडु के थूथुकुडी (Thoothukudi) ज़िले में इस पुरातात्विक कलश-दफन स्थल को पहले जर्मन प्रकृतिवादी डॉ. जागोर (Jagor) और बाद में एक अंग्रेज पुरात्तवविद अलेक्जेंडर रे (Alexander Rea) ने वर्ष 1876 और 1905 के बीच खुदाई का कार्य करवाया था।
    • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की वर्ष 1902-03 की वार्षिक रिपोर्ट में अलेक्जेंडर रे ने दक्षिणी भारत में खोजे गए इस स्थल को सबसे व्यापक प्रागैतिहासिक स्थल के रूप में बताया है।

स्रोत- द हिंदू

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