भारतीय राजनीति
राज्यसभा सांसद
- 02 Dec 2019
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प्रीलिम्स के लिये:
राज्यसभा
मेन्स के लिये:
राज्यसभा सांसदों की अतिरिक्त समय संबंधी मांग
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राज्यसभा सांसदों ने राज्यसभा में बहस के लिये अतिरिक्त समय की मांग की है।
मुख्य बिंदु:
- राज्यसभा सचिवालय द्वारा सांसदों की अतिरिक्त समय की मांग को पूरा करने के लिये पूर्ववर्ती उदाहरणों का अध्ययन किया जा रहा है।
- कुछ छोटे राज्य भी राज्यसभा में समान प्रतिनिधित्व की मांग कर रहे हैं।
बहस के लिये समान समय की मांग:
- राज्यसभा के ऐतिहासिक 250वें सत्र के दौरान सदन में ‘भारतीय राजनीति में राज्यसभा की भूमिका तथा आगे की राह’ पर एक बहस का आयोजन किया गया।
- इस बहस में भाग लेने वाले सदस्यों में से एक-चौथाई सदस्यों ने राज्यसभा में होने वाली बहस में सभी सदस्यों के लिये समान समय आवंटित करने का मुद्दा उठाया।
- चूँकि राज्यसभा संसद में राज्यों का प्रतिनिधित्त्व करने वाला सदन है अतः सदस्यों ने सभी राज्यों को समान प्रतिनिधित्त्व प्रदान करने की मांग करते हुए कहा कि इससे सही अर्थों में संघवाद की प्राप्ति होगी।
- राज्यसभा सदस्यों ने प्रत्येक सदस्य को अपने विचार सार्थक रूप से व्यक्त करने के लिये उसे न्यूनतम पाँच मिनट का समय देने की मांग की। वर्तमान में विभिन्न दलों के सदस्यों को सदन में उनकी सामर्थ्य के अनुसार समय मिलता है जिससे स्वतंत्र, मनोनीत और छोटे दलों से संबंधित सदस्यों को बहस में बहुत कम समय मिल पाता है।
- राज्यसभा सचिवालय के अनुसार, प्रत्येक सदस्य के लिये न्यूनतम समय सीमा तय करना उचित है, लेकिन सभी राज्यों को समान प्रतिनिधित्व प्रदान के लिये कानूनी राय तथा राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।
राज्यसभा:
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद-80 राज्यसभा के गठन का प्रावधान करता है।
- राज्यसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 हो सकती है, परंतु वर्तमान में यह संख्या 245 है।
- इनमें से 12 सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा से संबंधित क्षेत्र के 12 सदस्यों को मनोनीत किया जाता है।
- यह एक स्थायी सदन है अर्थात् राज्यसभा का विघटन कभीं नहीं होता है।
- राज्य सभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष होता है एवं प्रत्येक 2 वर्ष बाद एक-तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं।
- वर्तमान में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्यों की संख्या सर्वाधिक (31) है।
- राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्त्व पद्धति द्वारा एकल संक्रमणीय मत के आधार पर होता है।
- राज्यसभा में दो पदाधिकारी होते हैं- सभापति (Chairman) और उपसभापति (Deputy Chairman)
- इन दो पदाधिकारियों के अलावा राज्यसभा में एक और अधिकारी होता है जो राज्यसभा महासचिव कहलाता है।
- महासचिव की नियुक्ति राज्यसभा के सभापति द्वारा की जाती है। यह सभापति, सदन एवं सदस्यों के संसदीय कृत्यों और क्रियाकलापों संबंधी मामलों का सलाहकार होता है।