राज्यसभा उपसभापति के चुनाव के लिये मतदान में देरी मानदंडों के खिलाफ | 13 Jul 2018
चर्चा में क्यों?
राज्यसभा के महासचिव देश दीपक वर्मा ने सरकार द्वारा राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव में की जा रही देरी को नियम के विरुद्ध एवं संसदीय मर्यादा के खिलाफ बताया है। वर्तमान में इस चुनाव ने राजनीतिक मोड़ ले लिया है और सरकार तथा विपक्ष के बीच खींचतान का विषय बन चुका है। उल्लेखनीय है कि विगत 30 जून, 2018 को श्री पी.जे. कुरियन की सेवानिवृत्ति के बाद उपसभापति का पद रिक्त हो चुका है।
प्रमुख बिंदु:
- राज्यसभा के उपसभापति पद को निरस्त नहीं किया जा सकता है। इस संदर्भ में नियम में कोई प्रावधान नहीं मौजूद है।
- राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव में अनिश्चितकालीन देरी करना संसदीय गरिमा के विरुद्ध होगा।
- गौरतलब है कि राज्यसभा के नियमों में उपसभापतियों की तालिका (panel of Vice-Chairman) होती है जिसमें सदन के छ: से सात वरिष्ठ सदस्य शामिल होते हैं। ये सदस्य सभापति या उपसभापति की अनुपस्थिति में सदन की अध्यक्षता करते हैं। किंतु तालिका के सदस्य उपसभापति की भूमिका नहीं निभा सकते।
उपसभापति के बारे में:
- यह ऊपरी सदन का पीठासीन अधिकारी होता है।
- राज्यसभा द्वारा अपने सदस्यों में से किसी एक को उपसभापति के रूप में चुना जाता है और यदि किसी कारण उपसभापति का पद खाली हो जाता है तो सदन पुनः नए उपसभापति का चुनाव करता है।
- उपसभापति निम्नलिखित तीन कारणों से अपना पद रिक्त करता है-
♦ राज्यसभा से उसकी सदस्यता समाप्त हो जाने पर;
♦ सभापति को लिखित त्यागपत्र सौंपकर और
♦ यदि राज्यसभा उसे हटाने के लिये बहुमत से प्रस्ताव पारित करती है। उल्लेखनीय है कि ऐसे प्रस्ताव के लिये 14 दिन पूर्व नोटिस देना अनिवार्य होता है। - सभापति का पद खाली रहने या सभापति की अनुपस्थिति में उपसभापति, सभापति के रूप में कार्य करता है। साथ ही दोनों मामलों में उसमें सभापति की सभी शक्तियाँ निहित होती हैं।
- उल्लेखनीय है कि उपसभापति सभापति का अधीनस्थ नहीं होता है बल्कि वह राज्यसभा के प्रति उत्तरदायी होता है।
- उपसभापति भी सभापति की तरह सदन की कार्यवाही के दौरान बराबर मत की स्थिति में ही मतदान कर सकता है न कि पहले। इस तरह उसे निर्णायक मत देने का अधिकार है।
- उपसभापति को हटाने का प्रस्ताव विचाराधीन रहने पर वह सदन की कार्यवाही के लिये पीठासीन नहीं हो सकता है, भले ही वह सदन में उपस्थित हो।
- सभापति द्वारा सदन की कार्यवाही की अध्यक्षता के दौरान उपसभापति एक सामान्य सदस्य की तरह सदन की कार्यवाही में भाग लेता है और मतदान की स्थिति में मतदान भी कर सकता है।
- उपसभापति को संसद द्वारा निर्धारित नियमित वेतन एवं भत्ता प्राप्त होता है और यह भारत की संचित निधि पर भारित होता है।