रेलवे दुर्घटनाएँ एवं कवच प्रणाली | 22 Jun 2024

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (RRSK), कवच, समितियाँ

मेन्स के लिये:

रेलवे सुरक्षा: चुनौतियाँ, उठाए गए कदम और आगे की राह

स्रोत: इडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, रंगपानी में कंचनजंगा एक्सप्रेस की टक्कर ने सुरक्षा उपायों को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया है। 

  • सुरक्षा विकास के बावजूद भारतीय रेलवे में दुर्घटनाओं की दर में उतार-चढ़ाव देखा गया है; कंपनी ने वित्त वर्ष 2022-2023 में छह दुर्घटनाएँ और वित्त वर्ष 2023-2024 में चार दुर्घटनाएँ दर्ज कीं। यह इस प्रकार की दुर्घटनाओं को रोकने की निरंतर आवश्यकता को रेखांकित करता है।

रेलवे दुर्घटनाओं के पीछे क्या कारण हैं?

  • पटरी से उतरना: भारत में कई रेल दुर्घटनाएँ पटरी से उतरने के कारण होती हैं, वर्ष 2020 की एक सरकारी सुरक्षा रिपोर्ट में पाया गया कि देश में 70% ट्रेन दुर्घटनाओं के लिये वे ज़िम्मेदार थे।
  • मानवीय त्रुटियाँ: रेलवे कर्मचारी, जो ट्रेनों और पटरियों के कार्यान्वयन, रखरखाव एवं प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार होते हैं, थकान, लापरवाही, भ्रष्टाचार या सुरक्षा नियमों एवं प्रक्रियाओं की अवहेलना मानवीय त्रुटियों के प्रति प्रवण होती हैं।
  • सिग्नलिंग संबंधी विफलताएँ: सिग्नलिंग प्रणाली, जो पटरियों पर ट्रेनों की गति और दिशा को नियंत्रित करती है, तकनीकी खराबी, पावर आउटेज या मानवीय त्रुटियों के कारण विफल हो सकती है।
  • मानवरहित समपार (Unmanned level crossings- UMLCs): UMLCs वे स्थान होते हैं जहाँ यातायात को नियंत्रित करने के लिये किसी बैरियर या सिग्नल के बिना रेलवे ट्रैक गुज़रते हैं। मानवरहित समपार दुर्घटनाओं का उच्च जोखिम रखते हैं क्योंकि वाहन या पैदल यात्री आ रही ट्रेन से अनभिज्ञ हो सकते हैं अथवा उस समय पटरी पार करने की कोशिश कर सकते हैं जब कोई ट्रेन निकट हो।
  • अवसंरचनात्मक दोष: रेलवे अवसंरचना—जिसमें पटरियाँ, पुल, ओवरहेड तार और रोलिंग स्टॉक (कोच, डब्बे, इंजन आदि) शामिल हैं, प्रायः खराब रखरखाव, पुराना होने, हमला, तोड़फोड़ या प्राकृतिक आपदाओं के कारण दोषपूर्ण हो जाती है।
    • इसके अलावा, कई रूट 100% से अधिक क्षमता पर संचालित हैं, जिससे भीड़भाड़ और ओवरलोडिंग के कारण दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
  • सुरक्षा और सूचना प्रवाह चुनौती: भारत में रेलवे की स्थापना के बाद से, स्थापित प्रक्रियाओं और मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न स्तरों पर अधिकारियों द्वारा समय-समय पर क्षेत्र निरीक्षण महत्वपूर्ण रहा है।
    • यह "टॉप टू डाउन" दृष्टिकोण स्वाभाविक रूप से उच्च अधिकारियों पर विचलन का पता लगाने की ज़िम्मेदारी डालता है, जिससे "पुलिस और लुटेरे" की स्थिति बनती है, जहाँ उच्च अधिकारी फ्रंटलाइन कर्मचारियों को संदेह की दृष्टि से देखते हैं, और बाद वाला "यदि आप पकड़ सकते हैं तो मुझे
      • यह परिदृश्य सतही अनुपालन को प्रोत्साहित करता है और अंतर्निहित मुद्दों को छुपाता है, पारदर्शिता और स्पष्टता को कमजोर करता है।
      • ऐसी गतिशीलता प्रतिकूल हो सकती है, विशेष रूप से रेलवे सुरक्षा मामलों में, जहाँ कई दुर्घटनाएँ 'लगभग चूक' स्थितियों, असुरक्षित प्रथाओं, या समय के साथ मानक से विचलन की एक शृंखला के परिणामस्वरूप होती हैं।पकड़ सकते हैं" दृष्टिकोण अपनाते हैं। 

दुर्घटनाओं को कम करने के लिये रेलवे ने क्या कदम उठाए हैं?

  • पर्याप्त वित्तपोषण: राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (RRSK) तथा रेल सुरक्षा कोष के रूप में विशेष निधियों का सृजन, तथा पूंजी अनुदान के माध्यम से भी इन आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उपयोग की अनुमति।
    • राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष (RRSK): यह महत्त्वपूर्ण परिसंपत्तियों के लिये एक सुरक्षा कोष है। इसकी स्थापना वर्ष 2017-18 में पाँच वर्ष की अवधि के लिये 1 लाख करोड़ रुपए के साथ ट्रैक नवीनीकरण, सिग्नलिंग परियोजनाओं, पुल पुनर्वास आदि महत्त्वपूर्ण सुरक्षा संबंधी कार्यों के लिये की गई थी।
    • वर्ष 2023-24 की अवधि तथा तत्पश्चात वर्ष  2024-25 के लिये 2.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक के पूंजीगत व्यय का आवंटन किया गया।
  • रेलवे नेटवर्क का विस्तार: जहाँ एक ओर देश के सुदूरवर्ती भागों तक रेल नेटवर्क का विस्तार किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर भीड़भाड़ वाले मार्गों की क्षमता में वृद्धि भी की जा रही है।
    • राष्ट्रीय रेल योजना, 2030 का लक्ष्य नए समर्पित माल ढुलाई एवं उच्च गति रेल गलियारों की पहचान करना तथा ट्रेनों की औसत गति में वृद्धि करना है।
  • LHB डिज़ाइन कोचः मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों के लिये हल्के और सुरक्षित कोच। ये कोच जर्मन प्रौद्योगिकी पर आधारित हैं और साथ ही पारंपरिक ICF डिज़ाइन कोचों की तुलना में बेहतर एंटी-क्लाइम्बिंग फीचर्स, अग्निरोधी सामग्री, उच्च गति क्षमता के साथ-साथ सुदीर्घ अवधि के लिये होते हैं।
  • आधुनिक पटरी संरचना: मज़बूत और अधिक टिकाऊ पटरियाँ एवं पुल। इसमें प्री-स्ट्रेस्ड कंक्रीट स्लीपर (PSC), हायर अल्टीमेट टेन्साइल स्ट्रेंथ (UTS) रेल, PSC स्लीपरों पर पंखे के आकार का लेआउट टर्नआउट, गर्डर ब्रिज पर स्टील चैनल स्लीपर आदि का उपयोग करना शामिल है।
  • तकनीकी उन्नयन: कोचों तथा वैगनों के डिज़ाइन एवं विशेषताओं में सुधार किया गया है। इसमें संशोधित सेंटर बफर कपलर, बोगी माउंटेड एयर ब्रेक सिस्टम (BMBS), बेहतर सस्पेंशन डिज़ाइन के साथ-साथ कोचों में स्वचालित आग एवं धुआँ पहचान प्रणाली का प्रावधान करना शामिल है।
    • इसमें स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) कवच स्थापित करना भी शामिल है।
    • भारतीय रेलवे ने बेहतर रेलवे यातायात नियंत्रण के लिये ब्लॉक प्रोविंग एक्सल काउंटर (BPAC) स्थापित किया है। BPAC ट्रेनों में लगाया जाने वाला एक ट्रेन डिटेक्शन सिस्टम है, जो ट्रैक पर दो बिंदुओं के बीच ट्रेन के क्रॉसिंग का स्वचालित रूप से पता लगाता है।
      • यह एक ही समय में दो ट्रेनों को एक ही ब्लॉक सेक्शन में होने की अनुमति नहीं देता है, जिससे ट्रेनों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग (EI)

  • यह सिग्नल, पॉइंट एवं लेवल-क्रॉसिंग गेट को नियंत्रित करने के लिये कंप्यूटर-आधारित प्रणाली तथा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करता है। 
  • पारंपरिक रिले इंटरलॉकिंग सिस्टम के विपरीत, EI इंटरलॉकिंग लॉजिक को प्रबंधित करने के लिये सॉफ्टवेयर एवं इलेक्ट्रॉनिक घटकों का उपयोग करता है। 
  • EI निर्बाध ट्रेन गति को सुविधाजनक बनाने के लिये सभी तत्त्वों के समन्वय को सुनिश्चित करता है। 
  • वर्ष 2022 तक, भारत में 2,888 स्टेशन इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम से संबद्ध थे, जिसमें भारतीय रेलवे नेटवर्क का 45.5% शामिल था।

कवच प्रणाली क्या है?

  • परिचय:
    • वर्ष 2020 में लॉन्च किया गया कवच, तीन भारतीय विक्रेताओं के सहयोग से अनुसंधान डिज़ाइन और मानक संगठन (Research Design and Standards Organisation- RDSO) द्वारा विकसित टक्कर-रोधी सुविधाओं वाला एक कैब सिग्नलिंग ट्रेन नियंत्रण प्रणाली है।
    • इसे राष्ट्रीय स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (Automatic Train Protection- ATP) प्रणाली के रूप में अपनाया गया है।
    • यह सुरक्षा अखंडता स्तर-4 (Safety Integrity Level- SIL-4 मानकों का पालन करता है और मौजूदा सिग्नलिंग प्रणाली पर सतर्क निगरानीकर्त्ता के रूप में कार्य करता है, जो 'रेड सिग्नल' के निकट पहुँचने पर लोको पायलट को सचेत करता है और सिग्नल को पार होने से रोकने के लिये आवश्यक होने पर स्वचालित ब्रेक लगाता है।
      • सुरक्षा अखंडता स्तर एक माप है जिसका उपयोग कार्यात्मक सुरक्षा मानकों में सुरक्षा फंक्शन द्वारा प्रदान किये गए जोखिम में कमी के स्तर को मापने के लिये किया जाता है। SIL को SIL 1 (सुरक्षा अखंडता का सबसे कम स्तर) से लेकर SIL 4 (सुरक्षा अखंडता का सबसे ज़्यादा स्तर) तक की सीमा में परिभाषित किया जाता है।
    • यह प्रणाली आपातकालीन स्थितियों के दौरान SoS संदेश भी प्रसारित करती है।
    • इसमें नेटवर्क मॉनिटर सिस्टम के माध्यम से ट्रेनों की गतिविधियों की केंद्रीकृत लाइव निगरानी की सुविधा है।
  • कवच के घटक:
    • कवच प्रणाली की तैनाती में तीन महत्त्वपूर्ण घटक शामिल हैं:
      • सबसे पहले, रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक को ट्रैक में एकीकृत किया गया है। RFID विद्युत चुंबकीय क्षेत्रों का उपयोग करके किसी वायरलेस डिवाइस से सूचना को स्वचालित रूप से पहचानता है, इसके लिये भौतिक संपर्क या दृष्टि की रेखा की आवश्यकता नहीं होती है।
      • दूसरा, ड्राइवर का केबिन (लोकोमोटिव) RFID रीडर, एक कंप्यूटर और ब्रेक इंटरफेस उपकरण से सुसज्जित है
      • अंततः रेलवे स्टेशनों पर टावर और मॉडेम सहित रेडियो अवसंरचना स्थापित की जाती है।

  • कवच की स्थिति:
    • कवच का लक्ष्य भारत के 68,000 किलोमीटर से अधिक के व्यापक रेलवे नेटवर्क को सुरक्षित करना है, लेकिन इसकी शुरूआत के बाद से वर्तमान में केवल 1,500 किलोमीटर ही इस प्रणाली से सुसज्जित है।
      • ट्रैकसाइड स्थापना के लिये प्रति किमी 50 लाख रुपए और प्रति ट्रेन 70 लाख रुपए की लागत आती है।
    • इसका लक्ष्य वर्ष 2025 तक 6,000 किलोमीटर की दूरी तय करना है, जिसमें दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा जैसे प्रमुख मार्ग शामिल हैं।
      • जबकि वर्तमान क्षमता 1,500 किमी प्रतिवर्ष है, वर्ष 2026 तक इसके 5,000 किमी तक पहुँचने की उम्मीद है।
    • सिस्टम को 4G/5G अनुकूल बनाने के लिये अपग्रेडेशन की योजना बनाई गई है।
    • स्थापना का कार्य जारी है, तथा ऑप्टिकल फाइबर केबल, टावर और स्टेशन उपकरण जैसे घटकों को लगाया जा रहा है। 

समितियों की सिफारिशें:

  • काकोदकर समिति (2012):
    • ट्रैक रखरखाव और निरीक्षण के लिये उन्नत तकनीकों को अपनाना
    • मानव संसाधन विकास और प्रबंधन में सुधार लाना
  • बिबेक देबरॉय समिति (2014):
    • रेल बजट को आम बजट से अलग करना
    • गैर-प्रमुख गतिविधियों की आउटसोर्सिंग
    • भारतीय रेलवे अवसंरचना प्राधिकरण (Railway Infrastructure Authority of India) का गठन करना
  • विनोद राय समिति (2015)
    • एक स्वतंत्र सांविधिक रेलवे सुरक्षा प्राधिकरण (Railway Safety Authority) का गठन करना
    • स्वतंत्र और निष्पक्ष जाँच करने के लिये रेलवे दुर्घटना जाँच बोर्ड (Railway Accident Investigation Board) का गठन करना।
    • रेलवे संपत्तियों के स्वामित्व और रखरखाव के लिये एक पृथक रेलवे अवसंरचना कंपनी (Railway Infrastructure Company) का निर्माण करना
    • रेलवे कर्मचारियों के लिये प्रदर्शन संबद्ध प्रोत्साहन योजना (performance-linked incentive scheme) शुरू करना

भारत में रेलवे सुरक्षा बढ़ाने के लिये क्या कदम उठाने की आवश्यकता है?

  • सुरक्षा संबंधी कार्यों में निवेश बढ़ाना: ट्रैक नवीनीकरण, रेल पुलों की मरम्मत, सिग्नलिंग अपग्रेड, कोच नवीनीकरण आदि के लिये अधिक धन का आवंटन किया जाए।
  • मानवीय त्रुटियों को कम करने के लिये कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना: रेलवे कर्मचारियों को नवीनतम तकनीकों, उपकरणों, प्रणालियों, सुरक्षा नियमों और प्रक्रियाओं के संबंध में नियमित एवं व्यापक प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिये।
  • समपार या लेवल क्रॉसिंग को समाप्त करना: मानवरहित और मानवयुक्त लेवल क्रॉसिंग को रोड ओवरब्रिज (ROBs) या रोड अंडरब्रिज (RUBs) से प्रतिस्थापित किया जाना चाहिये।
  • उन्नत तकनीकों को अपनाना: ‘कवच’ जैसे टक्कर-रोधी उपकरण (anti-collision devices (ACDs)/ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली (Train Collision Avoidance System- TCAS), ट्रेन सुरक्षा चेतावनी प्रणाली (Train Protection Warning System- TPWS), स्वचालित ट्रेन नियंत्रण (Automatic Train Control- ATC) आदि शामिल किये जाएँ।
  • प्रदर्शन संबद्ध प्रोत्साहन: रेलवे कर्मचारियों को उनके प्रदर्शन और सुरक्षा नियमों एवं प्रक्रियाओं के अनुपालन के आधार पर पुरस्कृत एवं प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
  • गैर-प्रमुख कार्यों की आउटसोर्सिंग: अस्पतालों, कॉलेजों आदि के रखरखाव जैसी गैर-प्रमुख गतिविधियों को निजी या सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं को हस्तांतरित किया जा सकता है, जिससे दक्षता में सुधार हो सकता है और लागत कम हो सकती है।
  • नियमित सुरक्षा ऑडिट और निरीक्षण: रेलवे कर्मचारियों, अवसंरचनाओं और उपकरणों के सुरक्षा प्रदर्शन की निगरानी, मूल्यांकन और लेखा-परीक्षण करना और चूक के लिये सख्त जवाबदेही एवं दंड लागू करना।
  • समन्वय और संचार को संवृद्ध करना: रेलवे संचालन से संलग्न रेलवे बोर्ड, क्षेत्रीय रेलवे, विभिन्न डिवीजनों, उत्पादन इकाइयों, अनुसंधान संगठनों आदि के बीच समन्वय एवं सुधार लाया जाए।
  • गोपनीय घटना रिपोर्टिंग और विश्लेषण प्रणाली (Confidential Incident Reporting and Analysis System- CIRAS) की स्थापना करना: इसे एक ब्रिटिश विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया था; एक सदृश तंत्र भारत में लागू किया जाना चाहिये जो निचले स्तर के कर्मचारियों को गोपनीयता बनाए रखते हुए वास्तविक समय में विचलन की रिपोर्ट करने के लिये प्रोत्साहित करे।
  • भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा (IRMS): निष्ठा, स्वामित्व और सुरक्षा पर IRMS योजना के प्रभाव का मूल्यांकन करना तथा सुरक्षा के प्रति विशेषज्ञता एवं प्रतिबद्धता बढ़ाने हेतु इसे संशोधित करने के साथ-साथ कार्यान्वित करने पर भी विचार करना।
  • सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं से सीखना:
    • हाल में हुई दुर्घटनाओं के बावजूद, भारतीय रेलवे ने अंतर्राष्ट्रीय मानकों की तुलना में एक मज़बूत सुरक्षा रिकॉर्ड बनाए रखा है। वर्ष 2022 में, भारतीय रेलवे ने प्रति मिलियन ट्रेन किलोमीटर पर 0.03 दुर्घटनाएँ दर्ज कीं, जो 35 देशों में प्रति मिलियन ट्रेन किलोमीटर औसत 0.39 से काफी कम है।
    • यूनाइटेड किंगडम: यूरोप में ट्रेन दुर्घटनाओं की सबसे कम दर ब्रिटेन में है।
      • ट्रेन सुरक्षा एवं चेतावनी प्रणाली (Train Protection and Warning System- TPWS) उन ट्रेनों को स्वचालित रूप से रोक देती है जो खतरे वाले सिग्नल को पार करती हैं या गति सीमा से अधिक गति से चलती हैं।
      • यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली (European Train Control System- ETCS) ट्रेनों और सिग्नलिंग केंद्रों के बीच निरंतर संचार प्रदान करती है।
    • जापान: जापान की उच्च गति वाली शिंकानसेन रेलगाड़ियाँ, जो 320 किमी/घंटा तक की गति से चलती हैं, ने स्वचालित रेल नियंत्रण (Automatic Train Control- ATC) प्रणाली, व्यापक स्वचालित रेल निरीक्षण प्रणाली (Comprehensive Automatic Train Inspection System- CATIS) तथा भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली (Earthquake Early Warning System- EEWS) जैसे उन्नत सुरक्षा उपायों के कारण वर्ष 1964 से एक उत्तम सुरक्षा रिकॉर्ड बनाए रखा है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न: रेल दुर्घटनाओं को रोकने में भारतीय रेलवे के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। सुरक्षा बढ़ाने और ऐसी दुर्घटनाओं के जोखिम को कम करने के लिये क्या उपाय लागू किये जा सकते हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित संचार प्रौद्योगिकियों पर विचार कीजिये: (2022)

  1. निकट-परिपथ (क्लोज़-सर्किट) टेलीविज़न
  2. रेडियो आवृत्ति अभिनिर्धारण
  3. बेतार स्थानीय क्षेत्र नेटवर्क

उपर्युक्त में कौन-सी लघु-परास युक्तियाँ/प्रौद्योगिकियाँ मानी जाती हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1,2 और 3

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न. किरायों का विनियमन करने के लिये रेल प्रशुल्क प्राधिकरण की स्थापना आमदनी-बंधे (कैश स्ट्रैप्ड) भारतीय रेलवे को गैर-लाभकारी मार्गों और सेवाओं को चलाने के दायित्व के लिये सहायिकी (सब्सिडी) मांगने पर मजबूर कर देगी। विद्युत क्षेत्र के अनुभव को सामने रखते हुए, चर्चा कीजिये कि क्या प्रस्तावित सुधार से उपभोक्ताओं, भारतीय रेलवे या कि निजी कंटेनर प्रचालकों को लाभ होने की आशा है? (2014)