आंध्र प्रदेश के निजी उद्योगों में स्थानीय लोगों के लिये कोटा तय | 09 Aug 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य के स्थानीय लोगों को प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया है। आंध्र प्रदेश सरकार के इस निर्णय के बाद वहाँ के निजी उद्योग से जुड़े कई उद्यमियों ने चिंता ज़ाहिर की हैं।
प्रमुख बिंदु :
- निजी उद्यमियों के अनुसार, आंध्र प्रदेश एक नया द्विभाजित राज्य है और यहाँ के स्थानीय लोगों में रोज़गार के लिये आवश्यक कौशल की कमी है।
- विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार के इस फैसले से सबसे ज़्यादा छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार और ओडिशा के वे श्रमिक प्रभावित होंगे जो बिजली संयंत्रों, आंध्र प्रदेश के विशेष आर्थिक क्षेत्रों और पोलावरम जैसी बड़ी परियोजना में कार्यरत हैं।
- आँकड़ों के अनुसार, राज्य के निजी उद्योगों में 5 लाख से अधिक श्रमिक प्रवासी हैं और आजीविका के उद्देश्य से वहाँ रह रहे हैं।
क्या हैं निर्णय के विपक्ष में तर्क?
- आंध्र प्रदेश सरकार के इस निर्णय की आलोचना में यह कहा जा रहा है कि “हाल ही में विभाजित हुआ आंध्र प्रदेश, पूर्णतः एक कृषि प्रधान राज्य है और इस प्रकार की किसी भी नीति का बोझ वहन नहीं कर सकता है। आंध्र प्रदेश सरकार का यह निर्णय भावनात्मक दृष्टिकोण से ज़रूर सही लग सकता है, परंतु यदि व्यवसाय और उद्योग की दृष्टि से देखें तो यह निर्णय राज्य के विकास में बड़ी बाधा है। इस संदर्भ में आंध्र प्रदेश को बंगलूरू के मॉडल का अनुसरण करना चाहिये, जहाँ राज्य श्रमिक कार्यबल का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा प्रवासियों का है।”
क्या कहते हैं निर्णय के समर्थक?
- इस निर्णय के समर्थकों का मानना है कि इसके फलस्वरूप राज्य में स्थानीय लोगों के लिये रोज़गार सुनिश्चित किया जा सकेगा।
- उनका मानना यह भी है कि इसका प्रभाव बहुत ही कम प्रवासियों पर पड़ेगा, क्योंकि इस प्रस्ताव में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है और बाकी 25 प्रतिशत रोज़गार प्रवासियों लिये है।
आंध्र प्रदेश सरकार के समक्ष चुनौतियाँ?
- निजी उद्योग क्षेत्र के उद्यमियों का कहना है कि स्थानीय लोग कई उद्योगों जैसे- हॉस्पिटैलिटी और कंस्ट्रक्शन उद्योग आदि में काम करने के इच्छुक नहीं होते और ऐसे उद्योगों में प्रवासियों का काफी ज़्यादा योगदान (75 से 90 प्रतिशत) है। इस प्रकार इन उद्योगों में कार्य करने के लिये स्थानीय लोगों को प्रेरित करना सरकार की सबसे बड़ी चुनौती होगी।
- इसके अलावा राज्य के सभी लोगों को अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य करने के लिये प्रशिक्षित करना भी एक चुनौती होगी। सरकार ने उद्योगों को 3 वर्ष का समय दिया है और इस अवधि में सरकार का लक्ष्य राज्य में कार्य करने योग्य लगभग सभी लोगों को आवश्यकता के अनुसार प्रशिक्षण देना है।
आंध्र प्रदेश का उद्योग/कारखाना अधिनियम, 2019
- इस विधेयक के पारित होने से आंध्र प्रदेश ऐसा पहला राज्य बन गया है, जहाँ निजी क्षेत्र में स्थानीय लोगों के लिये रोज़गार में आरक्षण की व्यवस्था की गई है।
- विधेयक के अनुसार, निजी औद्योगिक नौकरियों में आंध्र प्रदेश के स्थानीय युवाओं के लिये 75% कोटा निर्धारित किया गया है।
- विधेयक में कहा गया है कि यदि किसी औद्योगिक इकाई को कुशल स्थानीय श्रमिक नहीं मिल पाते हैं तो उस औद्योगिक इकाई को राज्य सरकार के सहयोग से स्थानीय लोगों को कार्य के लिये प्रशिक्षित करना होगा।
- सभी उद्योगों को इस कार्य को पूरा करने के लिये 3 वर्ष का समय दिया गया है।