क्वांटम ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक | 03 Jun 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में IIT मद्रास के शोधकर्त्ताओं ने द्विविमीय फिल्म (Dimensional Film) पर गोल्ड के नैनोकणों (Nanoparticles) की ड्राप-कास्टिंग करके टंगस्टन डाईसेलेनाइड (Tungsten Diselenide- WSe2) के ऑप्टो-इलेक्ट्रॉनिक गुणों (ऑप्टिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स का संयोजन) में लगभग 30 गुना तक वृद्धि करने के उपाय की खोज की है।
एक सरल प्रक्रिया में एक अधःस्तर (substrate) पर किसी विलयन को बूंद-बूंद करके टकराने/गिराने की प्रक्रिया को ड्रॉप कास्टिंग कहा जाता है।
- उल्लेखनीय है कि इस अध्ययन का सबसे चुनौतीपूर्ण पहलू कमरे के तापमान पर 100 केल्विन तक इन पदार्थों का नियंत्रित फोटोलुमिनेसेंस (Photoluminescence) माप करना था।
प्रमुख बिंदु
- शोधकर्त्ताओं द्वारा किया गया यह शोध एप्लाइड फिजिक्स लेटर्स (Appलियेd Physics Letters) नामक विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
- टंगस्टन डाईसेलेनाइड (WSe2) और मोलिब्डेनम डाईसेलेनाइड (MoSe2) जैसे पदार्थों का उनके ऑप्टो-इलेक्ट्रॉनिक गुणों (Opto-Electronic Properties) के विश्लेषण के लिये गहन अध्ययन किया जा रहा है।
- इन पदार्थों का एक प्रमुख गुण प्रकाश संदीप्ति/फोटोलुमिनेसेंस (Photoluminescence-PL) है, जिसमें पदार्थ प्रकाश को अवशोषित करता है और इसे स्पेक्ट्रम के रूप में फिर से उत्सर्जित करता है।
द्विविमीय पदार्थ (Two-dimensional Material)
परमाणुओं की वास्तविक रूप में एक परत से मिलकर बनने वाले पदार्थ की संरचना दो आयामी/द्विविमीय (Two-dimensional) होती हैं।
- फोटोलुमिनेसेंस गुणों का उपयोग विभिन्न उपकरणों जैसे कि क्वांटम LED तथा उपयोग संचार और अभिकलन (Computation) में किया जा सकता है।
- अर्द्धचालकों में इलेक्ट्रॉन ऊर्जा बैंड के रूप में जुड़े रहते हैं जिसे संयोजकता बैंड (Valance Band) कहा जाता है और ये इलेक्ट्रॉन के चालन में योगदान करते हैं। परंतु, जैसे ही इनमें बाहर से कुछ ऊर्जा संचालित/अपवाहित की जाती है जिसे चालन बैंड (Conduction Band) कहा जाता है, तो ये अर्द्धचालक अस्थाई हो सकते हैं और चारों तरफ से चालन में योगदान कर सकते हैं।
एक्साइटॉन (Exciton)
- जब एक इलेक्ट्रॉन चालन/संवहन बैंड के तहत संयोजकता से निकलता है, तो यह पीछे एक प्रतिछाया छोड़ जाता है जिसे ‘होल’ (Hole) कहते हैं। चालन बैंड के इलेक्ट्रॉन और संयोजकता बैंड के होल एक साथ मिलकर एक बैंड बना सकते हैं, जिससे एक संघटित वस्तु (Composite Object) या छद्मकण (Pseudoparticle) का निर्माण होता है जिसे एक्साइटॉन के रूप में जाना जाता है। टंगस्टन सेलेनाइड में फोटोलुमिनेसेंस ऐसे ही एक्साइटॉन्स का एक परिणाम है।
- एक्साइटॉन का निर्माण दो तरीकों से हो सकता है। पहला जब किसी घटक में इलेक्ट्रॉन और होल का चक्रण (Spin) एक-दूसरे के विपरीत दिशा में हो और दूसरा जब वे एक ही दिशा में संरेखित हों। पहली स्थिति में बनने वाले एक्साइटॉन ब्राइट एक्साइटॉन (Bright Exciton) और दूसरी स्थिति में बनने वाले एक्साइटॉन को डार्क एक्साइटॉन (Dark Exciton) कहा जाता है।
- चूँकि ब्राइट एक्साइटॉन बनाने वाले इलेक्ट्रॉन और होल एक दूसरे-की विपरीत दिशा में चक्रण करते हैं, अतः ये पुनः संयोजित होकर काफी मात्रा में प्रकाश उत्सर्जित करते हैं। लेकिन पुनर्संयोजन का यह तरीका डार्क एक्साइटॉन के लिये उपलब्ध नहीं है।
- चूँकि इलेक्ट्रॉन और होल के चक्रण एक-दूसरे समानांतर होते हैं, उनके पुनर्संयोजन को कोणीय संवेग संरक्षण के नियम (Rule of Conservation of Angular Momentum) से हतोत्साहित किया जाता है। इसलिये डार्क एक्साइटॉन, ब्राइट एक्साइटॉन की तुलना में लंबे समय तक बने रहते हैं।
- डार्क एक्साइटॉन को पुनर्संयोजन में मदद करने के लिये बाह्य प्रभाव की आवश्यकता होती है। IIT मद्रास के शोधकर्त्ताओं ने इन्ही बाह्य प्रभावों का पता लगाने का प्रयास किया है।
गोल्ड की क्षमता
- जब शोधकर्त्ताओं निष्कर्ष निकाला है कि जब गोल्ड के नैनोकणों को एकल स्तरीय टंगस्टन डाईसेलेनाइड की सतह पर ड्राप कास्ट किया जाता है तो सतह पर पर डार्क एक्साइटॉन्स के युग्म की उत्पत्ति होती है जो प्रकाश उत्सर्जित करने के लिये पुनर्संयोजित होते हैं। इस प्रकार गोल्ड के नैनोकणों की मदद से डार्क एक्साइटॉन्स को ब्राइट एक्साइटॉन्स में बदल जाते हैं।
- गोल्ड के नैनोकणों के कारण उत्पन्न प्लास्मोनिक प्रभाव (Plasmonic effect) एक प्रसिद्ध अवधारणा है। लेकिन, द्विविमीय प्रणाली के लिये इसका उपयोग अभी नया है।
- वैज्ञानिकों के अनुसार यदि एकल स्तरीय (Monolayer) टंगस्टन डाईसेलेनाइड पर गोल्ड के नैनोकणों को ड्राप-कास्ट किया जाएगा तो यह प्लास्मोनिक प्रभाव के कारण समतलीय विदुतीय क्षेत्र उत्पन्न करेगा जो चालन बैंड के इलेक्ट्रॉनों के चक्रण को उसी स्थिति में बनाए रखने में मदद कर सकता है, इससे डार्क एक्साइटॉन, ब्राइट एक्साइटॉन में परिवर्तित हो जाते हैं।