क्वाड बैठक | 22 Feb 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने क्वाड समूह (Quadrilateral Group) के मंत्रिस्तरीय बैठक में ऑस्ट्रेलिया, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ भाग लिया। इस बैठक में भारत-प्रशांत और म्याँमार में सैन्य अधिग्रहण के मुद्दों पर चर्चा की गई।
प्रमुख बिंदु
- बैठक की मुख्य बातें
- इस बैठक में समकालीन चुनौतियों पर चर्चा की गई, विशेष रूप से कोविड-19 के सस्ते टीकों, दवाओं तथा चिकित्सा उपकरणों तक पहुँच बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की गई।
- इस बैठक में आतंकवाद निरोधी, समुद्री सुरक्षा और व्यापक क्षेत्र में लोकतांत्रिक मज़बूती को प्राथमिकता देने पर भी चर्चा की गई।
- क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता, कानून का शासन, पारदर्शिता, अंतर्राष्ट्रीय समुद्र में आवाजाही की स्वतंत्रता तथा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिये एक नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय आदेश आदि के संबंध में प्रतिबद्धता को बनाए रखने पर ज़ोर दिया गया।
- क्वाड ने अपने साझा दृष्टिकोण (Common Vision) को आसियान की एकता और एक मुक्त, स्वतंत्र तथा समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र हेतु व्यक्त किया। इस बात का उल्लेख किया गया कि इंडो-पैसिफिक अवधारणा (Indo-Pacific Concept) पर यूरोप जैसे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का समर्थन प्राप्त हो रहा है।
- इस बैठक में जलवायु परिवर्तन, मानवीय सहायता, आपदा राहत और आपूर्ति शृंखला को मज़बूत करने में सहयोग पर चर्चा की गई।
- क्वाड की मंत्रिस्तरीय बैठक वर्ष में कम-से-कम एक बार आयोजित करने और एक स्वतंत्र तथा मुक्त भारत-प्रशांत क्षेत्र पर सहयोग बढ़ाने के लिये वरिष्ठ एवं वर्किंग स्तरों पर नियमित बैठकें आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की गई।
- महत्त्व
- चीनी बलों की वास्तविक नियंत्रण रेखा से वापसी की पृष्ठभूमि में आयोजित बैठक यह रेखांकित करती है कि भारत की क्वाड में रुचि सामरिक नहीं है, लेकिन रणनीतिक रूप से है।
- भारत को क्वाड की वजह से चीन के साथ सुरक्षा, समृद्धि, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते शक्ति असंतुलन को दूर करने में सहायता मिलेगी।
- क्वाड का गठन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक नए यूएसए प्रशासन की प्रतिबद्धता का संकेत है।
- क्वाड की गतिविधियों में वर्ष 2020 के कोविड-19 संकट, चीन की बढ़ती मुखरता और इसका सभी क्वाड साझेदारों के साथ बिगड़ते संबंधों के कारण तेज़ी आई है।
- चीनी अधिकारियों ने क्वाड की तुलना एक "मिनी नाटो" से की है और कहा है कि इसकी गतिविधियों का उद्देश्य तीसरे पक्ष (चीन) को लक्षित करना है। क्वाड सदस्यों द्वारा इसे खारिज कर दिया गया है।
- नाटो (NATO- उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) एक राजनीतिक और सैन्य गठबंधन है, जिसका प्राथमिक लक्ष्य अपने सदस्यों की सामूहिक रक्षा तथा उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र में लोकतांत्रिक शांति को बनाए रखना है।
- चीनी बलों की वास्तविक नियंत्रण रेखा से वापसी की पृष्ठभूमि में आयोजित बैठक यह रेखांकित करती है कि भारत की क्वाड में रुचि सामरिक नहीं है, लेकिन रणनीतिक रूप से है।
- क्वाड
- चतुर्भुज सुरक्षा संवाद’ (QUAD- Quadrilateral Security Dialogue) अर्थात् क्वाड भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच अनौपचारिक रणनीतिक वार्ता मंच है। यह 'मुक्त, खुले और समृद्ध' भारत-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने और समर्थन के लिये इन देशों को एक साथ लाता है।
- क्वाड की अवधारणा औपचारिक रूप से सबसे पहले वर्ष 2007 में जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे द्वारा प्रस्तुत की गई थी, हालाँकि चीन के दबाव में ऑस्ट्रेलिया के पीछे हटने के कारण इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका।
- शिंज़ो आबे द्वारा वर्ष 2012 में हिंद महासागर से प्रशांत महासागर तक समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका को शामिल करते हुए एक ‘डेमोक्रेटिक सिक्योरिटी डायमंड’ (Democratic Security Diamond) स्थापित करने का विचार प्रस्तुत किया गया।
- ‘क्वाड’ समूह की स्थापना नवंबर 2017 में हिंद-प्रशांत क्षेत्र को किसी बाहरी शक्ति (विशेषकर चीन) के प्रभाव से मुक्त रखने हेतु नई रणनीति बनाने के लिये हुई और आसियान शिखर सम्मेलन के एक दिन पहले इसकी पहली बैठक का आयोजन किया गया।
- क्वाड के सभी चार देशों (जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और यूएसए) द्वारा वर्ष 2020 में मालाबार अभ्यास (Malabar Exercise) में भाग लिया गया।
- मालाबार अभ्यास भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेनाओं के बीच होने वाला एक वार्षिक त्रिपक्षीय नौसेना अभ्यास है, जिसे भारतीय तथा प्रशांत महासागरों में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है।
स्रोत: द हिंदू